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विदेशी मुद्रा में लिक्विडिटी डिस्ट्रीब्यूशन की भूमिका और सिद्धांत
लेख
लिक्विडिटी
फोरेक्स

वित्तीय बाज़ारों के कारगर ढंग से काम कर पाने में लिक्विडिटी डिस्ट्रीब्यूशन एक अहम भूमिका निभाती है। उसके चलते मुद्रा के मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव पैदा किए बगैर लोग व्यापार जो कर पाते हैं।
विदेशी मुद्रा के विभिन्न पहलुओं को लिक्विडिटी अहम रूप से प्रभावित करती है, जैसे कि खरीदारी और बिक्री दरों में असमानता और सौदे के पूरे होने की गति। अपने ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ब्रोकरेज प्रोफ़ेशनलों के पास लिक्विडिटी का एक्सेस होना चाहिए।
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी तरक्की कर रही है, डिजिटल फ़ाइनेंस इंडस्ट्री भी विकसित होकर इनोवेटिव लिक्विडिटी प्रदाताओं के लिए नए मौके बना रही है। विभिन्न बाज़ारों में ट्रेडरों के बढ़ते निवेश के चलते सफलता के लिए उचित जोखिम प्रबंधन वाली विश्वसनीय लिक्विडिटी सेवाएँ अहम हो जाती हैं। ट्रेडिंग वेन्यू और भुगतान सेवाओं समेत अनेक विकल्पों को मद्देनज़र रखते हुए किसी अनुभवी पार्टनर का चयन करना ज़रूरी होता है।
इस लेख में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि FX लिक्विडिटी आखिर कैसे काम करती है और FX में लिक्विडिटी डिस्ट्रीब्यूशन किसे कहते हैं। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि किसी विश्वसनीय लिक्विडिटी सप्लायर का चयन कैसे करना चाहिए।
प्रमुख बिंदु
- FX बाज़ार में ट्रेडिंग काफ़ी हद तक लिक्विडिटी पर निर्भर करती है।
- लिक्विडिटी कई प्रकार की होती है: जैसे मार्केट या इंट्राबैंक लिक्विडिटी।
- किसी भरोसेमंद प्रदाता का चयन करने के लिए प्राइसिंग, प्रतिष्ठा, और मुहैया कराए जाने वाले ट्रेडिंग उपकरणों पर ध्यान दें।
- लिक्विडिटी ज़ोन ऊँची एक्टिव और पेंडिंग ऑर्डर डेंसिटी वाली वह प्राइस रेंज होती है, जो कीमतों की दिशा को प्रभावित करती है।
लिक्विडिटी डिस्ट्रीब्यूशन का मतलब
विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग भारी रूप से लिक्विडिटी पर निर्भर करती है, जिसका मतलब यह होता कि कीमतों में भारी बदलावों के बिना किसी मुद्रा को कितना आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है।
कीमतों में स्थिरता को बरकरार रखने व कारगर एक्सीक्यूशन और जोखिम प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए FX बाज़ार में लिक्विडिटी एक अहम भूमिका निभाती है। ज़्यादा लिक्विडिटी कीमतों में नियमित और पूर्वानुमानित बदलावों को मुमकिन बनाती है, जबकि कम लिक्विडिटी से भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। ज़्यादा लिक्विडिटी के चलते ट्रेडर फ़टाफ़ट प्रवेश कर मनचाही कीमतों पर एग्ज़िट पोज़ीशन बना सकते हैं, जिससे स्लिपेज का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा, अस्थिर बाज़ारों में स्टॉप-लॉस ऑर्डरों के कारगर इस्तेमाल में मदद कर संभावित नुकसानों को भी वह कम कर देती है।
ज़्यादा लिक्विडिटी का मतलब विदेशी मुद्रा एक्सचेंज ट्रेडिंग में मुद्रा के जोड़े पर किसी भारी असर के बिना मुद्राओं को खरीद-बेच पाना होता है। इससे ट्रेडिंग गतिविधियाँ आसान और लिक्विडिटी पूल बड़ा हो जाता है।
बाज़ार की लिक्विडिटी बिड-आस्क स्प्रेड, लेन-देन की एक्सीक्यूशन गति, और पोज़ीशन खोलने-बंद करने की गति को प्रभावित करती है।

विदेशी मुद्रा में किसी मुद्रा जोड़े की लिक्विडिटी डिस्ट्रीब्यूशन का मतलब उसकी एक्सचेंज दर को प्रभावित किए बगैर उसे खरीद-बेच पाने की क्षमता से होता है। इसके चलते लेन-देन आसान और ट्रेडिंग वॉल्यूम अच्छी-खासी हो जाती है। यह डिस्ट्रीब्यूशन ही ट्रेड की सफलता और खुली पोज़ीशनों की तेज़तर्रार पूर्ति को निर्धारित करती है। किसी लिक्विडिटी जोड़े को तब लिक्विड माना जाता है, जब उसे फ़टाफ़ट खरीदा या बेचा जा सकता हो और उसकी ट्रेडिंग गतिविधि भी ज़्यादा हो।
ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ब्रोकरों को सबसे बड़े लिक्विडिटी पूल को एक्सेस कर एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर अनेक टोकनों पर लिक्विडिटी मुहैया करानी चाहिए। इस मल्टी एसेट लिक्विडिटी के चलते बाज़ार में आने वाले बदलावों और कई सारे ट्रेडिंग नज़रियों का उपयोग कर निवेशक अपनी कमाई को ऑप्टिमाइज़ कर पाते हैं।
व्यापर को सुचार रूप से चलाए रखने के लिए लिक्विडिटी को बरकरार रखना अहम होता है, क्योंकि उससे बिड-ऑफ़र स्प्रेड और व्यक्तिगत सौदे प्रभावित होते हैं। अपनी लिक्विडिटी को ब्रोकरेज कंपनियाँ विभिन्न स्रोतों से प्राप्त करती हैं।
रोज़ाना $75 खरब से ज़्यादा की ट्रेडिंग वॉल्यूम वाली FX बाज़ार दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा लिक्विड मार्केट है। इसमें मुख्यतः अमेरिकी डॉलर का ही प्रभुत्व है।
विदेशी मुद्रा में लिक्विडिटी की खोज कैसे करें?
FX लिक्विडिटी निर्धारित करने के लिए ब्रोकर ट्रेडिंग वॉल्यूम, बिड/आस्क स्प्रेड्स, बाज़ार की गहराई, और बाज़ार में भाग लेने वाले लोगों की संख्या जैसे विभिन्न इंडिकेटरों और तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। यानी कि सौदे की वॉल्यूम जितनी ज़्यादा होगी और स्प्रेड्स जितने तंग होंगे, लिक्विडिटी उतनी ही ज़्यादा होगी। उसी प्रकार, बाज़ार की गहराई कीमतों के अलग-अलग स्तरों पर खरीद/बेच के ऑर्डरों की मात्रा को दर्शाती है, और ज़्यादा सक्रिय भागीदार ज़्यादा लिक्विडिटी के सूचक होते हैं।

ट्रेडरों को उन विभिन्न चैनलों की अच्छी-खासी जानकारी होनी चाहिए, जिनके माध्यम से विदेशी मुद्रा फ़ंड्स बाज़ार में आ-जा सकते हैं। इसके चलते मुद्राओं को सही समय पर खरीद-बेच पाना उनके लिए आसान या मुश्किल हो सकता है। विदेशी मुद्रा में आम प्रकार की लिक्विडिटी पर चलिए एक नज़र डालते हैं।
- विदेशी मुद्रा बाज़ार की लिक्विडिटी में इंटरबैंक लिक्विडिटी का दर्जा सबसे ऊँचा होता है, क्योंकि इसे बड़े-बड़े वित्तीय संस्थानों द्वारा डायरेक्ट या इलेक्ट्रॉनिक संचार नेटवर्कों के माध्यम से अन्य संस्थानों को मुहैया जो कराया जाता है। डीप ऑर्डर बुक्स और तंग बिड-आस्क स्प्रेड इसकी खासियत होते हैं।
- रिटेल लिक्विडिटी ट्रेडरों और इंटरबैंक मार्केट के दरमियाँ बिचौलियों के तौर पर काम करते हुए रिटेल ब्रोकरों द्वारा मुहैया कराई जाती है। इसके तहत ट्रेडरों की अलग-अलग ज़रूरतों के अनुसार लिक्विडिटी के अलग-अलग स्तर प्रदान किए जाते हैं।
- मार्केट लिक्विडिटी को ट्रेड वॉल्यूम द्वारा निर्धारित किया जाता है, जहाँ ऊँची वैल्यूज़ ज़्यादा लिक्विडिटी को दर्शाती हैं। चौड़े स्प्रेड्स और स्लिपेज से बचने के लिए ट्रेडरों को बाज़ार में लिक्विडिटी के हालातों से वाकिफ़ होना चाहिए।
FX बाज़ार में ब्रोकरों का सामना बिड-एंड-आस्क स्प्रेड व स्लिपेज जैसे एलिमेंट्स से होता है — बाज़ार की लिक्विडिटी को प्रभावित करने वाले ये अहम पहलू होते हैं।
विदेशी मुद्रा में बिड-आस्क स्प्रेड उस सबसे ऊँची और सबसे कम कीमत के बीच की असमानता होती है, जिस पर कोई ग्राहक खरीदना चाहता है और कोई विक्रेता बेचना चाहता है। वह ट्रेडिंग की लागत को दर्शाती है और लिक्विडिटी का एक अहम अंग होती है। टाइट स्प्रेड ऊँची लिक्विडिटी के सूचक होते हैं, जबकि चौड़े स्प्रेड उसके निचले स्तर को दर्शाते हैं। अपनी ऊँची लिक्विडिटी के चलते EUR/USD और USD/JPY जैसे प्रमुख मुद्रा जोड़ों के स्प्रेड ज़्यादा तंग होते हैं।
विदेशी मुद्रा में स्लिपेज तब होती है, जब किसी सौदे की एक्सीक्यूशन अपेक्षित कीमत पर नहीं होती। यह सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। ऊँची लिक्विडिटी से स्लिपेज की संभावना कम हो जाती है।
लिक्विडिटी आखिर आती कहाँ से है?
ग्राहकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरकर उन्हें पूरा करने के लिए ब्रोकरों के पास लिक्विडिटी का ज़्यादा से ज़्यादा चौड़ा पूल होना चाहिए। यहाँ सवाल यह उठता है कि ब्रोकर आखिर लिक्विडिटी हासिल कैसे करते हैं।
बाज़ार के ब्रोकरों और पेशेवर मार्केट मेकर्स समेत FX ब्रोकर लिक्विडिटी प्रोवाइडर (LP) FX बाज़ार की लिक्विडिटी में अपना योगदान देते हैं। प्रमुख बैंकों की दरों को संयुक्त कर वे फ़ंड्स को हेज कर देते हैं। ब्रोकर की ऑर्डर बुक में उन फ़ंड्स को दर्शाकर वे एक सहज ट्रेडिंग अनुभव सुनिश्चित करते हैं।
वैश्विक लेन-देन में काउंटरपार्टियों के तौर पर काम करने वाले FX लिक्विडिटी डिस्ट्रीब्यूटर ग्राहकों को खरीदारों या एसेट्स से मिलाते हैं। लेन-देन को सुविधाजनक बनाकर मार्केट मेकर्स के तौर पर काम करते हुए वे बाज़ार की अस्थिरता को प्रभावित करते हैं। FX LP वे वित्तीय संस्थान होते हैं, जो मुद्राओं के बड़े पूल का स्वामित्व या एक्सेस रखकर ट्रेड एक्सीक्यूशन के लिए उसे छोटी-छोटी कंपनियों को उधार पर दे देते हैं।

कारगर मुद्रा एक्सचेंजों के लिए विदेशी मुद्रा बाज़ार में LP एक अहम भूमिका निभाते हैं। बाज़ार में कई प्रकार के LP होते हैं:
- बैंक – अपने ग्राहकों को प्रतिस्पर्धात्मक कीमतें मुहैया कराने के लिए एसेट्स को वे भारी मात्रा में जमा कर लेते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन नेटवर्क्स (ECN) – ट्रेडरों, बैंकों, और हेज फ़ंड्स के अल्गॉरिथमिल खरीदारी और बिक्री के ऑर्डरों को वे मिलाते हैं।
- मार्केट मेकर्स – यहाँ तक कि अस्थिर हालातों में भी वैश्विक बाज़ारों में लिक्विडिटी की आपूर्ति करने के लिए अपनी इन्वेंटरीज़ से वे एसेट्स को खरीदते-बेचते हैं।
- हेज फ़ंड्स – अपनी लिक्विडिटी में सुधार लाकर बाज़ार के भागीदारों को प्रतिस्पर्धात्मक कीमतें मुहैया कराने के लिए वे वित्तीय एसेट्स को भारी मात्रा में खरीद लेते हैं।
- रिटेल ब्रोकर – मुख्यतः रिटेल ट्रेडरों को लिक्विडिटी मुहैया कराते हुए लिक्विडिटी पूल्स को मैक्सिमाइज़ कर स्लिपेज को कम करने के लिए वे वित्तीय संस्थानों और रिटेल ट्रेडरों के दरमियाँ बिचौलियों के तौर पर काम करते हैं।
LP को टियर 1 और टियर 2 सप्लायरों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो मार्केट मेकर्स के तौर पर काम करते हुए ग्राहकों को लिक्विडिटी मुहैया कराते हैं, कीमतों और कमीशनों का निर्धारण करते हैं, और सौदों के लिए काउंटरपार्टियों के तौर पर काम करते हैं।
टियर 1
बड़े-बड़े बैंक और वित्तीय संस्थाएँ (उदाहरण के लिए Deutsche Bank और Barclays Capital) उन बड़ी वॉल्यूम वाले ऑर्डरों को स्वीकार करती हैं, जिन्हें छोटे-छोटे ब्रोकर हासिल नहीं कर सकते।
टियर 2
टियर 2 सप्लायर, जिन्हें प्राइम ऑफ़ प्राइम (PoP) या लिक्विडिटी एग्रीगेटर के नाम से भी जाना जाता है, बाज़ार के छोटे-छोटे भागीदारों और टियर 1 लिक्विडिटी प्रदाताओं के बीच पुल के तौर पर काम करते हैं।
PoP कंपनियाँ वे गैर-बैंकिंग लिक्विडिटी प्रदाता होते हैं, जो टियर 1 प्रदाताओं को बड़ी वॉल्यूम वाले ऑर्डर भेजने के लिए छोटे-मोटे विदेशी ब्रोकरों से अनेक छोटी-छोटी वॉल्यूम के ऑर्डरों को जमा करते हैं। B2PRIME, FXCM और Swissquote जैसे टियर 2 LP छोटे ब्रोकरों से ऑर्डर जमा करने की क्षमता रखने वाले बड़े, नामी, और विश्वसनीय विदेशी मुद्रा ब्रोकर होते हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान करना
विदेशी मुद्रा में लिक्विडिटी ज़ोन खरीदारी और बिक्री के एक्टिव और पेंडिंग ऑर्डरों की भारी मात्रा वाली हाई वॉल्यूम प्राइस रेंज होती है। ये ज़ोन कीमतों की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं और पुराने हाई और लो आमतौर पर इन्हीं ज़ोन्स में पाए जाते हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान उन ट्रेडिंग स्तरों के तौर पर की जाती है, जहाँ पिछला सपोर्ट रेज़िस्टेंस में और रेज़िस्टेंस पिछले सपोर्ट में तब्दील हो सकती है।
बाज़ार की कीमतों को भारी रूप से प्रभावित किए बगैर बड़े-बड़े ऑर्डरों को एक्सीक्यूट करने के लिए ये ज़ोन संस्थागत ट्रेडरों के लिए अहम होते हैं। ये ज़ोन कीमतों को आकर्षित करने वाले चुंबक जैसे होते हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में भारी खरीदारी या बिक्री की जाती है। ये डायनामिक सपोर्ट (खरीदारी वाले ऑर्डरों) और रेज़िस्टेंस (बिक्री वाले ऑर्डरों) वाले क्षेत्रों के तौर पर भी काम कर सकते हैं।
30 दिवसीय हाई और लो प्राइस ट्रेडिंग में अहम स्तर होते हैं। हाल ही के चरम मूल्यांकन का प्रतिनिधित्व करते हुए वे ट्रेडरों और निवेशकों के लिए मनोवैज्ञानिक बेंचमार्क बनाते हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन ट्रेडिंग उच्च लिक्विडिटी या एक्सीक्यूट किए जा रहे ऑर्डरों की भारी मात्राओं पर केंद्रित ट्रेडिंग रणनीति होती है। बड़ी-बड़ी ट्रेडिंग वॉल्यूम और अस्थिरता वाले ये ज़ोन ट्रेडरों को बाज़ार के सेंटिमेंट की बेहतर समझ प्रदान कर सोचे-समझे फ़ैसले लेने के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं।
मूविंग औसतों, बॉलिंजर बैंड्स, मनोवैज्ञानिक स्तरों, वॉल्यूम इंडिकेटरों, ऐतिहासिक प्राइस जानकारी, और कंसोलिडेशन या ब्रेकआउट्स के लिए प्राइस एक्शन विश्लेषण जैसे तकनीकी इंडिकेटरों के माध्यम से ट्रेडर लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान कर सकते हैं। लेकिन लिक्विडिटी ज़ोन फ़ूलप्रूफ़ नहीं होती, और ट्रेडरों को स्टॉप लॉस ऑर्डरों व पोज़ीशन मैनेजमेंट जैसी जोखिमों से निपटने वाली उचित तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर ऐतिहासिक डेटा की मदद से उन एरियाज़ की पहचान की जा सकती है, जहाँ अतीत में कीमत ने काफ़ी कठोर प्रतिक्रिया दी थी, जैसे कि कीमत का रिवर्स या कंसोलिडेट हो जाना, जबकि वॉल्यूम प्रोफ़ाइलें विभिन्न प्राइस स्तरों पर ट्रेडिंग गतिविधि की मात्रा को दर्शा सकती हैं, जहाँ उच्च वॉल्यूम वाले नोड्स अक्सर लिक्विडिटी ज़ोन्स के सूचक होते हैं।
सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तर भी लिक्विडिटी ज़ोन्स के तौर पर काम कर सकते हैं, क्योंकि इन स्तरों को याद रखकर ट्रेडर उनके आधार पर खरीदारी वाले फ़ैसले लेते हैं।
किसी विश्वसनीय लिक्विडिटी सप्लायर की खोज कैसे करें?
खासकर नौसिखिये ब्रोकरों के लिए ट्रेडिंग में LP एक अहम भूमिका निभाते हैं। वह इसलिए कि वे ऑर्डर बुक में विस्तार लाते हैं, ट्रेडरों के ऑर्डरों को फ़टाफ़ट एक्सीक्यूट कर देते हैं, और फ़ायदेमंद शर्तें मुहैया कराते हैं। अपर्याप्त लिक्विडिटी से भारी नुकसान हो सकते हैं, तो लिक्विडिटी पार्टनर्स की बदौलत विभिन्न रणनीतियाँ लागू कर ट्रेडर मुनाफ़ा कमा पाते हैं।

ट्रेडरों को पूंजी बाज़ारों और एसेट्स तक पहुँच मुहैया कराकर ट्रेडिंग में LP एक अहम भूमिका निभाते हैं। किसी लिक्विडिटी पार्टनर का चयन करते समय आपको इन अहम पहलुओं पर विचार कर लेना चाहिए।
टेक्नोलॉजी
भरोसेमंद LP शीर्ष स्तरीय टेक्नोलॉजी और इंफ़्रास्ट्रक्चर मुहैया कराते हैं, जैसे पुख्ता ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म, एक्सीक्यूशन की तेज़तर्रार अवधियाँ, और विश्वसनीय कनेक्टिविटी। किसी ऐसे प्रदाता का चयन करें, जो डाउनटाइम या तकनीकी समस्याओं के बिना सौदों की भारी वॉल्यूम को संभाल सकता हो।
नियामक अनुपालन और लाइसेंसिंग
LP के नियामक अनुपालन और लाइसेंसिंग को सुनिश्चित कर लें, क्योंकि अलग-अलग न्यायक्षेत्रों में अलग-अलग नियम लागू हो सकते हैं। इस बात की जाँच कर लें कि उस प्रदाता के पास लाइसेंस है या नहीं, वह आपके क्षेत्र में लागू होने वाले नियम-कायदों का पालन करता है या नहीं, और MiFID II या EMIR जैसी अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं। इससे उपयोगकर्ताओं के लिए उनकी सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है।
ट्रेडिंग उपकरण
किसी लिक्विडिटी सप्लायर का चयन करने की प्रक्रिया के तहत FX स्पॉट, क्रिप्टो एसेट्स, और इक्विटीज़ या कमोडिटीज़ जैसे विशिष्ट प्रकार के बाज़ारों या एसेट्स जैसे उनके ट्रेडिंग उपकरणों और विभिन्न प्रकार के एसेट्स पर विचार किया जाता है। इन विकल्पों की पहचान कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि ट्रेडरों और व्यवसायों की सभी ज़रूरी प्रोडक्ट्स तक पहुँच होगी।
प्रतिष्ठा
किसी LP का चयन करते समय प्रतिष्ठा बेहद ज़रूरी होती है, क्योंकि वह वादों को पूरा कर कमाल की सेवा मुहैया कराने की उनकी क्षमता की सूचक होती है। इंडस्ट्री में अच्छे-खासे नाम वाले उन प्रदाताओं की खोज करें, जिनका लाजवाब सेवाएँ प्रदान करने का सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है।
प्राइसिंग
प्राइसिंग और शुल्क भी एक और अहम फ़ैक्टर होता है। कुछ प्रदाता हर सौदे पर एक तय शुल्क वसूलते हैं, जबकि कुछ प्रदाता ट्रेड के मूल्य की एक प्रतिशत चार्ज करते हैं। किसी LP का चयन करते वक्त अलग-अलग प्रदाताओं के प्राइसिंग और शुल्क की तुलना कर सबसे बेहतरीन डील प्राप्त करें।
विभिन्न प्रदाताओं की शुल्क संरचनाएँ भी भिन्न हो सकती हैं, जैसे फ़्लैट शुल्क या कमीशन, और वे प्रतिस्पर्धात्मक स्प्रेड भी मुहैया करा सकते हैं। नियमित व्य्यापरियों को डिस्काउंट देने या फिर लंबी अवधि वाली बचत के लिए वॉल्यूम-आधारित दरें मुहैया कराने पर विचार कर लें। छिपी हुई लागत से बचने के लिए शर्तों को अच्छे से पढ़ लें।
ग्राहक सपोर्ट
24/7 सपोर्ट और संचार के विभिन्न चैनल मुहैया कराने वाले प्रदाताओं को मद्देनज़र रखते हुए ग्राहक सेवा एक और अहम पहलू हो जाती है। LP के लिए जाने-माने विकल्पों में बैंक, मार्केट मेकर्स, और ECN शामिल हैं। बैंक वित्तीय बाज़ारों और प्रतिस्पर्धात्मक प्राइसिंग का एक्सेस प्रदान करते हैं, जबकि मार्केट मेकर्स एसेट्स को खुद ही खरीदते-बेचते हैं, जिसके चलते एक्सीक्यूशन की अवधि तेज़तर्रार और स्प्रेड ज़्यादा तंग तो हो जाते हैं, लेकिन हितों के टकराव की संभावना भी उठ खड़ी होती है।
खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक सीधे पुल के तौर पर काम करते हुए ECN एक्सीक्यूशन की फ़र्राटेदार अवधि और प्रतिस्पर्धात्मक प्राइसिंग तो मुहैया कराती है, लेकिन उसके तहत एसेट कवरेज काफ़ी सीमित होती है।
अंतिम विचार
विभिन्न लिक्विडिटी समाधान और टेक्नोलॉजी सप्लायर मुहैया कराकर ट्रेड सेक्टर यूज़र फ़्रेंडली इंटरफ़ेस के माध्यम से नेवेशकों और ब्रोकरों को ट्रेडिंग उपकरणों को एक्सेस करने की सहूलियत प्रदान करता है। FX जगत में एक अहम भूमिका निभाने वाले FX अच्छे दाम, तेज़तर्रार सौदे, और वैल्यू एडेड सेवाएँ मुहैया कराते हैं, जो बाज़ार में ज़्यादा स्थिरता लाने और सफलता की बुलंदियाँ छूने में ट्रेडर के लिए मददगार साबित होते हैं।
ट्रेडरों को FX बाज़ार के प्राइस इंटरेस्ट एरियाज़ की जानकारी मुहैया कराकर लिक्विडिटी ज़ोन उन्हें कीमतों में संभावित बढ़ोतरी का अनुमान लगाकर अपनी रणनीतियों में सुधार लाने का अवसर प्रदान करते हैं। लेकिन कामयाबी की निरंतरता को बरकरार रखने के लिए विभिन्न प्रकार के विश्लेषणों के संदर्भ और संयोजन को समझना अहम होता है।
आम सवाल-जवाब
FX LP क्या होते हैं?
वैश्विक लेन-देन में काउंटरपार्टियों के तौर पर काम करने वाले विदेशी मुद्रा लिक्विडिटी प्रदाता ग्राहकों को खरीदारों या एसेट्स के साथ मैच कर लेन-देन को प्रोत्साहित करते हैं और बाज़ार की अस्थिरता को भारी रूप से प्रभावित करते हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन्स का पता कैसे चलता है?
प्राइस चार्ट्स और अक्सर सपोर्ट या रेज़िस्टेंस स्तरों के अनुकूल रहने वाले खरीदारी/बिक्री वाले ऑर्डरों की सघनता का अवलोकन कर तकनीकी विश्लेषण उपकरणों के माध्यम से ट्रेडर लिक्विडिटी ज़ोन्स का पता लगा सकते हैं।
टियर 1 LP कौन होते हैं?
टियर 1 LP मुख्यतः बड़ी वॉल्यूम वाले ऑर्डर ही स्वीकार करते हैं। यह बात छोटे-छोटे ब्रोकरों के लिए उन्हें अनुपयुक्त बनाती है। Deutsche Bank, UBS, और Barclays Capital इसके उदाहरण हैं।
LP पैसा कैसे कमाते हैं?
विभिन्न प्रकार के टोकनों वाले पूल्स से बने टोकनों को बाज़ार में एक्सचेंज करने वाले उपयोगकर्ताओं से लेन-देन शुल्क वसूलकर LP मुनाफ़ा कमाते हैं।
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लेख
फॉरेक्स ब्रोकर
22.08.2023
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