किसी CFD ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के लिए लिक्विडिटी कैसे प्राप्त करें
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बाज़ार के खिलाड़ियों के बीच CFD का काफ़ी नाम है क्योंकि CFD की बदौलत किसी सिक्यूरिटी को वास्तव में होल्ड किए बगैर ही उसकी बुनियादी कीमत में आने वाले बदलावों को लेकर अटकलें लगाई जा सकती हैं।
CFD की विशिष्ट खासियतों के बारे में आपकी समझ में निखार लाने के साथ-साथ अपने CFD ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के लिए सबसे बेहतरीन लिक्विडिटी प्रदाता के चयन में यह लेख आपके काम आएगा।
प्रमुख बिंदु
- अनुबंध की समाप्ति के समय मान्य एसेट प्राइस और अनुबंध की समाप्ति के समय उस एसेट के मूल्य के अंतर को लेकर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच हुए समझौतों को ही CFD कहते हैं।
- CFD अनुबंध कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि कमोडिटी, इंडेक्स, क्रिप्टो अनुबंध, व कई और।
- CFD ट्रेडिंग के अपने फ़ायदे होते हैं, जिसे उच्च लिक्विडिटी और हेजिंग विकल्प। उसके कुछ नुकसान भी होते हैं, जैसे काउंटरपार्टी जोखिम और बाज़ार के हालातों के प्रति अतिसंवेदनशीलता।
आइए CFD को समझते हैं
किसी अनुबंध की ओपनिंग से लेकर क्लोज़िंग तक किसी एसेट के मूल्य में आने वाले अंतर को एक्सचेंज करने के लिए किसी खरीदार और विक्रेता के बीच किए गए समझौते को कॉन्ट्रैक्ट फ़ॉर डिफ़रेंस (CFD) कहा जाता है। उसका मकसद तो किसी उत्पाद आपूर्ति समझौते (प्रोडक्ट सप्लाई अग्रीमेंट) जैसा ही होता है, लेकिन उसके संचालन के लिए न तो एसेट का स्वामित्व और न ही डिलीवरी आवश्यक होती है। एसेट के मूल्य में वृद्धि आने पर खरीदार को उसका हिस्सा मिल जाता है, व एसेट की मूल्य में गिरावट आने पर विक्रेता को उसका हिस्सा प्राप्त हो जाता है।
किसी एसेट के मालिक बने बगैर भी उसकी कीमतों में होने वाले बदलावों की अटकलें लगाकर भी ट्रेडर CFD का फ़ायदा उठा सकते हैं। क्योंकि ये अनुबंध एक्सपायर नहीं होते, लॉन्ग या शॉर्ट पोज़ीशन अपनाकर ट्रेडर बाज़ार की उठती या गिरती मूवमेंट्स का फ़ायदा उठा सकते हैं।
CFD स्टॉक्स, इंडाइस, विदेशी मुद्रा एक्सचेंज, और क्रिप्टो मुद्रा समेत कई तरह के बाज़ारों के प्रति एक्सपोज़र प्रदान करते हैं, जो पोर्टफ़ोलियो डाइवर्सीफ़िकेशन को मुमकिन बनाता है।
ये अनुबंध वर्सटाइल होते हैं, यानी कि इनके तहत ट्रेडर किसी एसेट पर लॉन्ग या शोर्ट जाकर एसेट के गिरती या उठती कीमत की अपेक्षा में खरीदारी कर सकते हैं।
किसी लॉन्ग पोज़ीशन का चयन करने का मतलब होता है एसेट के मूल्य में बढाव की अपेक्षा करते हुए कम दाम पर बाय ट्रेड डालना।
उदाहरण के तौर पर, कोई ट्रेडर Apple शेयरों के 100 CFD $160 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदता है। कुल ट्रेड वैल्यू हुई $16,000 की। अगर Apple की कीमत बढ़कर $170 हो जाती है, तो ट्रेडर को $1,000 का फ़ायदा होगा। वहीँ अगर वह $150 तक गिर जाती है तो ट्रेडर $1,000 गँवा बैठेगा।
किसी शॉर्ट पोज़ीशन के तहत ट्रेडर को एसेट के मूल्य में गिरावट के अपेक्षा रहती है व वह बिक्री वाली पोज़ीशन का चयन करता है। अगर बाद में एसेट के मूल्य में बढ़ोतरी आ जाए तो उनकी योजना बाद में कॉन्ट्रैक्ट को वापस खरीद लेने की होती, जिसके चलते उन्हें समूचे एक्सचेंज से संभवतः फ़ायदा या नुकसान हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 100 Apple शेयरों को $150 प्रति शेयर के हिसाब से शॉर्ट-सेल कर दें तो आप $145 प्रति शेयर की पोज़ीशन को क्लोज़ कर सकते हैं, जिससे आपको एक शेयर पर $500 ($150-$145) का फ़ायदा हो जाएगा।
CFD का एक अहम पहलू लिवरेज होती है, जिसकी बदौलत ट्रेडर लेन-देन की समूची कीमत एक-साथ अदा किए बगैर ही पोज़ीशन शुरू करने की सुविधा मिलती है। उसका विकल्प यह होता है कि लेन-देन को किसी मार्जिन के साथ खोला जाए, जो कि डील की समूची राशि का एक हिस्सा होता है। इससे 5:1 का लिवरेज अनुपात प्राप्त होता है, जो CFD ट्रेडिंग में एक बहुत फ़ायदे का सौदा होता है क्योंकि उसके तहत मार्जिन राशि से पाँच गुना बड़ी पोज़ीशन लॉन्च की जा सकती हैं।
CFD किन-किन प्रकार के होते हैं
बाज़ार के प्राइस फ़ीड तक ब्रोकर की पहुँच के आधार पर CFD को कई तरह के वित्तीय उपकरणों पर ट्रेड किया जा सकता है। प्रमुख प्रकार के CFD बाज़ार में वैश्विक स्टॉक, स्टॉक इंडेक्स, विदेशी मुद्रा, उद्योग सेक्टर, कमोडिटी, धातु, और ऊर्जा शामिल हैं। व्यापर के लिए उपलब्ध बाज़ारों की रेंज का लगातार विस्तार हो रहा है, जो CFD अनुबंधों को एक्वीज़िशन का एक वर्सटाइल और सुविधाजनक विकल्प बनाता है। सबसे जाने-माने CFD में शामिल हैं:
शेयर CFDs – ये सबसे आमतौर पर ट्रेड किए जाने वाले CFD होते हैं, जिनकी कीमत स्टॉक की बुनियादी कीमत से प्राप्त होती है।
क्रिप्टो मुद्रा CFDs – क्रिप्टो अनुबंधों के तहत ट्रेडर बेस एसेट के मालिक बने बगैर, लिवरेज के माध्यम से BTC, ETH, और Litecoin जैसे वर्चुअल पैसे की कीमत में आने वाली गतिविधियों पर अटकलें लगा पाते हैं, जिससे वे अस्थिर बाज़ारों में ट्रेडिंग कर पाते हैं।
कमोडिटी CFDs – कमोडिटी डिमांड किए जाने वाले भौतिक एसेट्स होते हैं, जिन्हें हार्ड और सॉफ़्ट श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। हार्ड कमोडिटियों का खनन किया जाता है, जैसे कोयला या तेल, जबकि सॉफ़्ट कमोडिटियाँ उगाई जाती हैं, जैसे मक्का या कॉफ़ी। अनुबंधों के लिए विशिष्ट कमोडिटियों में कीमती धातु, मक्का, सोयाबीन, गेहूँ, गैसोलीन, कच्चा तेल, और गर्म तेल शामिल होते हैं।
इंडेक्स CFDs – इंडेक्स CFD ज़्यादा लिवरेज, लिक्विडिटी और अस्थिरता प्रदान करने वाले, किसी विशिष्ट इंडेक्स के प्रदर्शन से जुड़े अनुबंध होते हैं। जाने-माने इनडाइसों में डाओ जोन्स, NASDAQ, लंदन स्टॉक एक्सचेंज, ऑस्ट्रलियन स्टॉक एक्सचेंज, और जापान का निक्केई शामिल है।
अगर ट्रेडरों को लगता है कि किसी विशिष्ट बाज़ार में वृद्धि आएगी, तो वे ट्रेडिंग की भारी वॉल्यूम, कम मार्जिन, ऊँची लिवरेज, ट्रेडिंग में आने वाली कम लागत, और अन्यथा मुश्किल या महँगी साबित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच का फ़ायदा उठा सकते हैं।
मुद्रा CFDs – विदेशी मुद्रा ट्रेडरों में मुद्रा CFD का काफ़ी नाम है क्योंकि उनकी बदौलत ट्रेडर मुद्राओं के जोड़ों की कीमतों में आने वाली गतिविधियों पर अटकलें लगा सकते हैं। मुद्रा CFD मुद्राओं के कई जोड़ों के लिए लिवरेज और लेन-देन में आने वाली कम लागत के फ़ायदे मुहैया कराते हैं।
CFD के फ़ायदे और नुकसान
CFD की दुनियाभर में ट्रेडिंग की जाती है क्योंकि वित्तीय व्यापार की विशेषज्ञता को लिवरेज करने का वे एक कारगर तरीका होते हैं। अनुबंध ट्रेडिंग के कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि:
लॉन्ग और शॉर्ट पोज़ीशन – CFD ट्रेडिंग में लचीलेपन की सहूलियत देते हैं, जिसके चलते निवेशक उठते और गिरते बाज़ारों का फ़ायदा उठा पाते हैं। लॉन्ग पोज़ीशन में कीमतों में आने वाली अपवर्ड मूवमेंट्स से फ़ायदा होता है, जबकि शॉर्ट पोज़ीशन में कीमतों की डाउनवर्ड मूवमेंट्स से फ़ायदा होता है, यानी कि ट्रेडर बाज़ार के अलग-अलग हालातों को भुना सकते हैं।
हेजिंग – CFD के तहत आपको हेजिंग रणनीतियाँ मिलती हैं, जिनके माध्यम से आप या तो बाज़ार में अपनी फिज़िकल पोज़ीशन को हेज कर सकते हैं या फिर विरोधी CFD पोज़ीशन लेकर संभावित नुकसानों की भरपाई कर सकते हैं, जिससे आप जोखिम को कारगर ढंग से मैनेज करते हुए बाज़ार की प्रतिकूल परिस्थितियों से अपने पोर्टफ़ोलियो की रक्षा कर पाते हैं।
लिक्विडिटी – CFD को लिक्विड बाज़ारों में ट्रेड किया जाता है, जिसके चलते पोज़ीशन बाज़ार में आसानी से प्रवेश या उससे निकास कर सकती हैं। नतीजतन ट्रेडरों को कीमतों में आने वाली मूवमेंट्स के फ़ायदे के साथ-साथ ट्रेडिंग गतिविधियों पर अधिक नियंत्रण भी प्राप्त होता है।
लागत दक्षता – CFD ट्रेडिंग में लेन-देन में कम खर्च व निवेश के पारंपरिक तौर-तरीकों की तुलना में ज़्यादा टाइट स्प्रेड होते हैं, क्योंकि इसमें कोई स्टैम्प ड्यूटी या फिर किसी बुनियादी एसेट के मालिकाना हक से संबंधित ब्रोकरेज फ़र्मों के शुल्क शामिल नहीं होते।
विभिन्न बाज़ारों में प्रवेश – CFD व्यापार-योग्य उपकरणों की एक विविध श्रृंखला प्रदान करते हैं, जिसके चलते ट्रेडिंग पोर्टफ़ोलियो का विविधिकरण व कई बाज़ारों में मौकों की लिवरेजिंग मुमकिन हो पाती है।
CFD ट्रेडिंग के अनेक फ़ायदों के बावजूद, उसके कई बड़े-बड़े जोखिम भी होते हैं, जिनके बारे में हर ट्रेडर को जानकारी होनी चाहिए।
जटिल प्रकृति – ग़लतफ़हमियों और ट्रेडिंग में होने वाली गलतियों से भरपूर CFD जटिल प्रोडक्ट होते हैं। जहाँ शेयर नए और अनुभवी निवेशकों, दोनों के लिए ही सही होते हैं, वहीँ CFD सिर्फ़ अनुभवी ट्रेडरों को ही भाते हैं।
लिवरेज वाले जोखिम – अपनी लिवरेज के चलते पारंपरिक शेयर ट्रेडिंग की तुलना में CFD ट्रेडिंग में ज़्यादा जोखिम होता है। ट्रेडरों को कुल ट्रेड वैल्यू की एक छोटी-सी कीमत (अक्सर 5%) को ही डालना पड़ता है, और अगर ट्रेड उनके हक में जाता है, तो वे अपने मुनाफ़े का 100% हिस्सा रख सकते हैं। लेकिन अगर बाज़ार उनके विपरीत चला जाए, तो अपने 100% नुकसान की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं की होती है।
डिफ़ॉल्ट जोखिम – CFD प्रदाता हमेशा अपने ग्राहकों के सर्वोत्तम हित में काम नहीं करते, जिससे काउंटरपार्टी जोखिम पैदा हो जाता है। इससे CFD ऑर्डरों की एक्सीक्यूशन में कीमत को बद से बदतर बना देने वाली देरी हो सकती है। अगर कोई ट्रेड विफल रहता है तो प्रदाता उसे ग्राहक से सलाह-मशविरा किए बगैर ही क्लोज़ कर सकता है। किसी CFD ट्रेड की सफलता ग्राहक की अटकलों के साथ-साथ CFD प्रदाता पर भी निर्भर करती है।
बाज़ार के हालातों के प्रति संवेदनशीलता – आम बाज़ार के हालातों से प्रभावित होने वाले वित्तीय एसेट्स की कीमतों में आने वाले बदलावों पर अटकलें लगाना CFD ट्रेडिंग का हिस्सा होता है। बाज़ार में हल्की-सी गिरावट से भी आप लाखों रुपये गँवा सकते हैं। राजनीतिक चुनाव जैसे आर्थिक अनिश्चितता-काल के दौरान होने वाली ट्रेडिंग में तो जोखिम और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। अप्रत्याशित हालातों के कारण बाज़ार के उतार-चढ़ावों की भविष्यवाणी करने में तो अनुभवी ट्रेडरों को भी काफ़ी दिक्कत आती है।
CFD लिक्विडिटी प्रदाता आखिर कैसे काम करते हैं
CFD लिक्विडिटी प्रदाता (LPs) रिटेल ब्रोकरों, संस्थाओं, व ट्रेडरों द्वारा किए गए सौदों को काउंटरएक्ट करते हैं, जिससे CFD की निर्बाध लिक्विडिटी के साथ-साथ ट्रेड की बेरोकटोक एंट्री और एग्ज़िट भी सुनिश्चित हो जाती है।
CFD LP बिड्स और आस्क्स के बीच एक कम अंतर को बरकरार रखते हैं, जिससे एक्सचेंज वेन्यूज़ को उच्च CFD लिक्विडिटी प्राप्त हो जाती है।
आमतौर पर CFD ब्रोकरों और अन्य ट्रेडिंग वेन्यूज़ को CFD LP API या फिर लिक्विडिटी ब्रिज मुहैया कराते हैं। उनके पास CFD उपकरणों की एक तय सूची होती है, जिसके बदले वे लिक्विडिटी मुहैया करा सकते हैं। उन उपकरणों में से CFD ब्रोकर इस बात का चयन करता है कि उसे किन-किन उपकरणों के लिए लिक्विडिटी चाहिए।
वॉल्यूम और डिपॉज़िट को लेकर CFD LP की विशिष्ट आवश्यकताएँ होती हैं। वॉल्यूम जितनी ज़्यादा होती है, डील भी उतनी ही बेहतर होती है।
किसी ब्रोकर और LP द्वारा उपकरणों और वॉल्यूम के सेट की स्वीकृति के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए जाते हैं व ब्रोकर एक डिपॉज़िट कर देता है।
नियमों और शर्तों की पूर्ति के बाद CFD LP की टेक और सपोर्ट टीम टीम लिक्विडिटी कनेक्शन स्थापित कर देती है, और लिक्विडिटी फ़्लो का आगाज़ हो जाता है। ब्रोकर इस बात का फ़ैसला करता है कि ग्राहकों के ट्रेड को LP को भेजा जाएगा या फिर ट्रेडरों के किसी विशिष्ट समूह को।
CFD ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के लिए किसी लिक्विडिटी प्रदाता का चयन कैसे करें
CFD के साथ वाणिज्यिक प्रक्रियाओं को कारगर ढंग से एक्सीक्यूट करने के लिए इस्तेमाल में आसान वाणिज्यिक उपकरणों की उपस्थिति के लिए ज़िम्मेदार LP, अत्याधुनिक ढाँचे के एक्सेस, और काउंटरपार्टी की वित्तीय पोज़ीशन का चयन करना बेहद अहम होता है। एक पेशेवर CFD कंपनी सबसे बेहतरीन ग्राहक अनुभव को सुनिश्चित कर सकती है।
LP के साथ कारगर संचार स्थापित करना बेहद अहम होता है, खासकर जब उपयोगकर्ता ने सौदेबाज़ी को किसी तीसरी पार्टी को आउटसोर्स कर दिया हो। CFD एजेंट की गतिविधियाँ विदेशी मुद्रा के ब्रोकरों से भी कहीं ज़्यादा जटिल होती हैं क्योंकि काउंटरपार्टी अलग-अलग उपकरणों को क्लेम कर सकते हैं।
किस अनुरोध को स्वीकार करना और किसे नहीं, इस बात का फ़ैसला करने के लिए अलग-अलग मैकेनिज़्मों की लोकप्रियता का विश्लेषण कर लिक्विडिटी और कमीशन रेट के बारे में पूछताछ कर लें। CFD ब्रोकर के फलते-फूलते ऑपरेशन को सुनिश्चित करने के लिए LP के साथ कारगर संचार स्थापित करना बहुत ज़रूरी होता है।
ट्रेडरों को स्पष्ट प्राइसिंग, भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म, और जोखिम को हैंडल करने वाले कारगर उपकरण मुहैया करा सकने वाले इज़्ज़तदार ब्रोकरों के साथ ही काम करने के बारे में सोचना चाहिए।
अलग-अलग CFD को समझकर बाज़ार के खिलाड़ियों के लिए कई तरह की संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं, जिनकी बदौलत वे सोचे-समझे फ़ैसले लेकर सफलता की अपनी संभावनाओं में बढ़ोतरी ला सकते हैं।
अंतिम विचार
CFD ट्रेडिंग पर अपने भारी प्रभाव के चलते CFD प्रदाता बाज़ार में भारी माँग में हैं। CFD ट्रेडिंग की लिक्विडिटी के उच्च स्तरों के कारण मुमकिन हो पाई कम फिसलन और ज़्यादा टाइट स्प्रेड वाली ट्रेड की फ़र्राटेदार एक्सीक्यूशन में बाज़ार की कीमतों को स्थिर करने, ट्रेडिंग में आने वाले खर्च को कम करने, और ट्रेडर के मुनाफ़ों में इज़ाफा लाने की क्षमता है।
CFD ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर इस्तेमाल करने वाले किसी LP का चयन करने के लिए ट्रेड और व्यापार के व्यापक ज्ञान की ज़रूरत पड़ती है।
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