फॉरेक्स में अस्थिरता और लिक्विडिटी व्यवसायों को कैसे प्रभावित करती है?
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वित्तीय बाज़ार खरीद और बिक्री के दबाव के अनुसार स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होते हैं जो बाज़ार की ताकतों को परिभाषित करते हैं। निवेशक ऑर्डर निष्पादित करते हैं और कीमतों, डिमांड, सप्लाई और अटकलों में प्राकृतिक उतार-चढ़ाव से लाभ कमाते हैं, जहाँ इनमें से प्रत्येक कारक किसी दूसरे को प्रभावित करता है।
इन निर्धारकों में भिन्नता के कारण फॉरेक्स ट्रेडिंग में अस्थिरता और लिक्विडिटी में बदलाव होता है, जिससे कीमतों में बदलावऔर करेंसी के जोड़ों में निवेश से अपेक्षित लाभप्रदता दोनों को ही प्रभावित होते हैं।
वित्तीय बज़ार की अस्थिरता और लिक्विडिटी दो प्रमुख कारक हैं जिन पर कुशल ट्रेडर्स वित्तीय प्रतिभूतियों यानि सिक्योरिटीज़ और एसेट के वर्गों में निवेश करने से पहले विचार करते हैं। आइए लिक्विडिटी और अस्थिरता के बीच के अंतर की समीक्षा करें और जानें कि ट्रेडिंग में सफल होने के लिए उनका उपयोग कैसे किया जाए।
कुछ मुख्य बातें
- फॉरेक्स में अस्थिरता मूल्य में उतार-चढ़ाव की सीमा को संदर्भित करती है, उन क्षेत्रों को मार्क करती है जहाँ लाभ और हानि होते हैं।
- लिक्विडिटी इस बात से जुड़ी है कि कम स्लिपऐज यानि फिसलन और सख्त स्प्रेड के साथ कितनी आसानी से और जल्दी ट्रेडिंग ऑर्डर दिए जा सकते हैं।
- अस्थिरता और लिक्विडिटी आपस में नकारात्मक रूप से सहसम्बद्धित हैं, जहाँ उच्च लिक्विडिटी कम अस्थिरता से जुड़ी है और इसके विपरीत भी।
फॉरेक्स बाज़ार में अस्थिरता को समझना
अस्थिरता किसी दिए गए बाज़ार में या किसी विशेष करेंसी की जोड़ी के लिए प्राइस मूवमेंट्स यानि मूल्य की चालों की आवृत्ति को संदर्भित करती है। उदाहरण के लिए, करेंसी बाज़ार में, अस्थिरता दो करेंसियों के बीच एक्सचेंज की दरों में बदलावों की मात्रा है।
एसेट की अस्थिरता को मूल्य स्थिरता के रूप में समझाया जा सकता है, कीमत कितनी बार और कितना बदलती है। उदाहरण के लिए, EUR/USD सबसे स्थिर करेंसी जोड़ी है, जिसमें दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ और दुनिया भर में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली करेंसियाँ शामिल हैं।
इस जोड़ी की स्थिरता इस तथ्य से आती है कि दोनों अर्थव्यवस्थाएँ लगभग समान विकास चरण में हैं, और इनमें ब्याज दरों और उधार के प्रति केंद्रीय बैंक की नीतियाँ भी लगभग समान हैं।
हालाँकि, USD/ZAR या GBP/JPY अपनी अर्थव्यवस्थाओं के बीच काफी विचलन वाली करेंसियाँ हैं जो बहुत ज़्यादा अस्थिर करेंसी जोड़े हैं और इनसे लाभदायक फॉरेक्स ट्रेडिंग की जा सकती है।
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जब फॉरेन एक्सचेंज बाज़ार में निवेश की बात आती है, तो एक स्थिर करेंसी जोड़े का ट्रेड करने से रिटर्न की दर मध्यम होगी लेकिन लंबे समय में यह ज़्यादा सुसंगत रहती है।
हालाँकि, अस्थिर एसेटों में लाभ की संभावना ज़्यादा होती है, लेकिन वे अस्थिर भी होते हैं, जिससे उनकी कीमतें बहुत ज़्यादा बढ़ या गिर भी सकती हैं।
फॉरेक्स बाज़ार में अस्थिरता के क्या कारण होते है?
अस्थिरता कई बाहरी कारकों से प्रभावित होती है, जैसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, भू-राजनीतिक स्थितियाँ, आपूर्ति स्तर और निवेशकों का विश्वास।
राष्ट्रीय आर्थिक कारक, जैसे GDP, रोज़गार दर और मुद्रास्फीति, केंद्रीय बैंकों की नीतियों में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिसके आधार पर वे अपनी ब्याज दर की नीतियाँ बनाते हैं। जब मुद्रास्फीति की दर माध्यम स्तर पर ऊपर उठी हुई होती है और GDP बढ़ता है, तो निवेशक किसी देश की अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादी होते हैं, जो स्टेबल करेंसी और क्षमता का संकेत देते हैं।
ट्रेड वॉर, प्रतिबंध और अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड समझौते जैसे भू-राजनीतिक विवाद आर्थिक विकास और करेंसी की स्थिरता में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जो अस्थिरता की दरों और निवेशकों के विश्वास को बहुत ज़्यादा प्रभावित करते हैं।
लिक्विडिटी एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है जो अस्थिरता को प्रभावित करती है। जब कोई बाज़ार कम आपूर्ति का अनुभव करता है, तो यह कीमतों को खरीद की गतिविधियों के लिए प्रवण बना देता है, जो उच्च अस्थिरता स्तर का संकेत देता है, और इसके विपरीत भी।
2008 के वित्तीय संकट के दौरान, दो सप्ताह के विश्लेषण में EUR/USD की अस्थिरता दर 30% तक बढ़ गई थी, जबकि AUD/USD की लगभग 80% तक।
फॉरेक्स बाज़ार के सर्वश्रेष्ठ अस्थिरता संकेतक
फॉरेक्स ट्रेडर्स विभिन्न संकेतकों, जैसे बोलिंगर बैंड और सापेक्ष अस्थिरता सूचकांक (RVI) का उपयोग करके बाज़ार की अस्थिरता को मापते हैं।
बोलिंगर बैंड में ऊपरी और निचली सीमा से घिरी एक रेखा (सरल चलती औसत) होती है। ये दो सीमाएँ एक स्ट्रेचिंग बैंड बनाती हैं जो बाज़ार की ताकतों के अनुसार फैलता और सिकुड़ता है, जो कीमत में उतार-चढ़ाव की सीमा या अस्थिरता का संकेत देता है।
दूसरी ओर, रिलेटिव वोलटैलिटी इंडिकेटर (सापेक्ष अस्थिरता सूचकांक) मूल्य की ऐतिहासिक चालों और अस्थिरता को मापता है और एक ऐसा मूल्य देता है जिसके आधार पर ट्रेडर्स को खरीदारी या लंबी पोज़िशन में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है।
फॉरेक्स बाज़ार की लिक्विडिटी को समझना
यह अवधारणा उस आसानी को संदर्भित करती है जिसके साथ बाज़ार सहभागी वित्तीय इंस्ट्रूमेंट खरीद और बेच सकते हैं, जो एसेट की उपलब्धता और अस्थिरता से संबंधित है।
बड़े वित्तीय संस्थान और बैंक महत्वपूर्ण ट्रेडिंग गतिविधियों में संलग्न होकर वित्तीय बाज़ारों को सिक्योरिटीज़ और एसेट्स की सप्लाई करते हैं, जिससे ये उत्पाद ज़्यादा मात्रा में उपलब्ध हो जाते हैं और किसी दिए गए बाज़ार में ट्रेडिंग समकक्षों की संख्या में वृद्धि होती है।
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यह मूल्य स्थिरता से भी संबंधित है। उदाहरण के लिए, EUR/USD के फॉरेक्स जोड़े की उच्च लिक्विडिटी इसे कम अस्थिरता अनुपात वाले सबसे स्थिर एसेटों में से एक बनाती है।
दूसरी ओर, किसी विशेष उत्पाद की अपर्याप्त सप्लाई और एक खरीद ऑर्डर निष्पादित करने से बाज़ार की कीमतों में बदलाव आएगा।
करेंसी बाज़ार में लिक्विडिटी किस से सबसे ज़्यादा प्रभावित होती है?
वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स की सप्लाई आम तौर पर बड़े वित्तीय संस्थानों, निवेश बैंकों और हेज फंडों द्वारा की जाती है जो ट्रेडिंग के बाज़ारों में अपने निवेशकों को ब्रोकरेज सेवाएँ प्रदान करते हैं या अपनी संपत्ति को बढ़ाने के लिए ट्रेडिंग करते हैं।
बहुत से आर्थिक और भूराजनीतिक कारक इन संस्थागत निवेशकों की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं, जिससे फॉरेक्स की लिक्विडिटी का स्तरप्रभावित होता है।
मुद्रास्फीति और ब्याज दरों जैसे आर्थिक आंकड़े निवेशकों की ट्रेडिंग बाज़ारों में अपनी भागीदारी बढ़ाने की इच्छा को प्रभावित करते हैं। आर्थिक विकास के दौरान, ट्रेडरों द्वारा अपना निवेश बढ़ाने की काफी संभावना होती है, जिससे लिक्विडिटी का स्तर बढ़ता है।
टेक्नोलॉजी की प्रगति भी लिक्विडिटी के प्रावधान को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म बड़ी संख्या में बाज़ार सहभागियों को सेवा देने, एक साथ कई लेनदेन निष्पादित करने, सप्लाई के स्तर में योगदान देने और बाज़ार की दक्षता को बढ़ाने में समर्थ होते हैं।
फॉरेक्स बाज़ार के लिक्विडिटी संकेतक को पढ़ना
सप्लाई पैटर्न अलग-अलग तरीकों से बदलते हैं। दैनिक उतार-चढ़ाव और ट्रेडिंग के घंटे करेंसी के जोड़ों की मांग को प्रभावित करते हैं। निवेशक ट्रेडिंग वॉल्यूम की जाँच करके पैटर्न को ट्रैक भी कर सकते हैं, जो किसी दिए गए बाज़ार में गतिविधि के स्तर को इंगित करता है।
ट्रेडिंग वॉल्यूम चार्ट को पढ़कर, निवेशक उच्च मांग वाले बाज़ारों की पहचान कर सकते हैं। हालाँकि, सप्लाई पर्याप्त है यह सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अस्थिरता के बदलावों को ध्यान में रखना होगा।
लिक्विडिटी क्षेत्र के संकेतकों का उपयोग उन चरणों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है जहाँ डिमांड और सप्लाई का स्तर ऊंचा है, जो सप्लाई के उच्च स्तर का संकेत देते हैं।
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इसके अतिरिक्त, निवेशक बड़े ट्रेडिंग ऑर्डरों को निष्पादित करने से जुड़े लिक्विडिटी स्वीप्स की जाँच कर सकते हैं। ये गतिविधियाँ ऑर्डर बुक की जाँच करती हैं और बेस्ट कीमतें खोजने के लिए पूरे बाज़ार को स्कैन करती हैं, जो आमतौर पर कीमतों और लिक्विडिटी में गिरावट से जुड़ी होती हैं।
फॉरेक्स ट्रेडिंग में अस्थिरता और लिक्विडिटी का संबंध
वोलटैलिटी यानि अस्थिरता और लिक्विडिटी यानि तरलता साथ-साथ चलती हैं और इन्हें अधिकांश निवेशकों के निर्णयों को संचालित करने वाले प्रमुख कारक के रूप में माना जाता है। वे आर्थिक विकास, भू-राजनीतिक स्थिरता, बाज़ार चक्र, ट्रेडिंग के घंटे और बहुत कुछ से प्रभावित होते हैं।
लिक्विडिटी और अस्थिरता के बीच एक नकारात्मक सहसंबंध है, जो बाज़ार की शक्तियों के साथ-साथ ऊपर-नीचे होता है और खरीद और बिक्री की गतिविधियों के बीच बाज़ार की भावना को निर्धारित करता है।
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आर्थिक विकास के दौरान, FX लिक्विडिटी प्रदाता अपने निवेश बढ़ाते हैं, जिस से सप्लाई का स्तर बढ़ता है, बाज़ार की कीमतों को स्थिर करते हैं और अस्थिरता के स्तर को कम करते हैं। तरल बाज़ारों में अस्थिरता कम होती है जहाँ एक या उससे ज़्यादा के खरीद/बिक्री के ऑर्डर पूरे बाज़ार को प्रभावित नहीं करते हैं।
वहीं दूसरी ओर, यदि बैंकिंग प्रणालियों में लिक्विडिटी का संकट आता है, तो अनिश्चितता बढ़ जाती है, जिससे ट्रेडिंग गतिविधि और लिक्विडिटी कम हो जाती है और उच्च अस्थिरता आती है। तरल बाज़ारों में उच्च अस्थिरता होती है जहाँ एसेटों की पर्याप्त सप्लाई नहीं की जाती है, और एक या एक से ज़्यादा खरीद/बिक्री के ऑर्डर बाज़ार को काफी प्रभावित करते हैं।
फॉरेक्स बाज़ार की अस्थिरता और लिक्विडिटी की जाँच कैसे करें?
ट्रेडर्स ट्रेडिंग की मात्रा, वैश्विक बाज़ार का समय और ट्रेडिंग रुझानों पर नज़र रखकर इन दो कारकों के बीच संबंध का विश्लेषण कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, जब अमेरिकी और यूरोपीय बाज़ार ओवरलैप होते हैं, तो फॉरेक्स बाज़ार में अस्थिरता का समय अपने चरम पर होता है, 08:00 और 17:00 ET के बीच, जहाँ कई ट्रेडर्स EUR/USD के जोड़े से अधिकतम लाभ उठाने के लिए शामिल होते हैं।
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इसके अतिरिक्त, यूरोपीय सेंट्रल बैंक करेंसी सप्लाई में बदलावों या फेडरल रिज़र्व ब्याज दर रिपोर्टजैसी प्रमुख घोषणाओं से पहले, ट्रेडर्स अपने निवेश के बारे में सतर्क रहते हुए अपेक्षित परिणामों पर अनुमान लगाते हैं।
हालाँकि, एक बार घोषणा होने के बाद, ट्रेडिंग गतिविधि में वृद्धि के कारण लाइव फॉरेक्स बाज़ार के अस्थिरता चार्ट पर कीमतों में उतार-चढ़ाव बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
फॉरेक्स में अस्थिरता और लिक्विडिटी, ऐसे महत्वपूर्ण पहलू हैं जो निवेशकों के निर्णय को प्रभावित करते हैं और उनकी ट्रेडिंग रणनीतियों को आकार देते हैं। उच्च अस्थिरता का मतलब कीमतों में उच्च उतार-चढ़ाव और लाभ के बढ़े हुए अवसरों से है क्योंकि कीमतें व्यापक रूप से बढ़ या घट सकती हैं।
दूसरी ओर, लिक्विडिटी को व्यापार योग्य सिक्योरिटीज़ की सप्लाई द्वारा समझाया गया है, जिससे ऑर्डर निष्पादन कुशल हो जाता है, कम स्लिपऐज की संभावना होती है और स्प्रेड की कम सीमा होती है। ये दोनों अवधारणाएँ नकारात्मक रूप से सहसंबंधित हैं, जहाँ एक में गिरावट दूसरे में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है।