शेयर बाज़ार में DMA का क्या मतलब होता है?
वित्तीय बाजारों में ट्रेडिंग का आमतौर पर सोचे-समझे फ़ैसले लेने में निवेशक की मदद करने वाले स्टडी टूल्स और इंडिकेटरों के साथ इस्तेमाल किया जाता है।
ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्मों के विकास के साथ बाज़ार की मूवमेंट्स और कीमतों में होने वाले एक्शन का विश्लेषण करना काफ़ी आसान हो गया है। ये प्लेटफ़ॉर्म समझदार निवेश फ़ैसले लेने के लिए एक विस्तृत टूलकिट मुहैया जो कराते हैं।
डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज कीमतों के रुझानों की पहचान करने में इस्तेमाल किया जाने वाला एक मानक इंडिकेटर है, जो सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों का पता लगाने में अपनी उपयोगिता के चलते स्टॉक ट्रेडरों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है।
आमतौर पर DMA इंडिकेटर की तुलना EMA और SMA जैसी अन्य मूविंग औसतों से की जाती है। इसलिए आइए, शेयर बाज़ार में DMA का मतलब समझकर जानते हैं कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
प्रमुख बिंदु
- DMA रुझानों का पता लगाने वाला एक इंडिकेटर होता है, जिसकी बदौलत ट्रेडर बाज़ार की कीमतों की मौजूदा दिशा और गति का पता लगा सकते हैं।
- मौजूदा MA इंडिकेटर से आगे या पीछे एडजस्ट की जा सकने वाली DMA एक प्रकार की मूविंग औसत ही होती है।
- DMA की फ़ुल फ़ॉर्म डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज होती है। इसकी तुलना आमतौर पर इससे मिलते-जुलते मामलों में इस्तेमाल की जाने वाली, मगर हालिया डेटा पर ज़ोर देने वाली एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) से की जाती है।
DMA का मतलब और महत्त्व
डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज का जन्म सिंपल मूविंग एवरेज से हुआ था। यह MA इंडिकेटर जैसी ही होती है, लेकिन पुराने या भावी टाइमस्टैम्प्स में रुझानों की संभावनाओं की बेहतर भविष्यवाणी करने के लिए इसे आगे या पीछे शिफ़्ट कर दिया जाता है।
अलग-अलग अवधियों के दौरान स्टॉक प्राइस मूविंग एवरेज डेटा का विश्लेषण कर रुझानों की संभावित दिशा का मूल्यांकन करने के लिए इंडिकेटर को अलग-अलग समय-सीमाओं में प्लेस करके DMA का इस्तेमाल किया जाता है।
इसलिए बड़ी-बड़ी उम्मीदें रखकर ट्रेडर शेयरों में आने वाले संभावित उछालों की पहचान कर मुनाफ़े के लुभावने मौकों का फ़ायदा उठाते हैं।
इस प्रकार, प्राइस लाइन को इंटरसेप्ट करने पर डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज का इंडिकेटर सिग्नल भेज देगा। दोनों लाइनों के बीच क्रॉसओवर दिशा के आधार पर हर कॉल से खरीदारी या बिक्री के मार्केट ऑर्डर का या तो सुझाव मिलेगा या फिर वह ऑर्डर ट्रिगर ही हो जाएगा।
शेयर जगत में DMA (डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज) क्या होती है?
शेयर ट्रेडिंग कीमतों के एक्शन की समझ और सबके भारी मुनाफ़ा बुक करने से पहले रुझानों की पहचान पर बहुत निर्भर करती है। प्राइस लाइन की तुलना में DMA लाइन की स्थिति से ही ट्रेडर की सुझावित गतिविधि का पता चलता है।
DMA लाइन से ऊपर मौजूद प्राइस लाइन का इशारा अपवर्ड मूवमेंट की ओर होता है, यानी कि ट्रेडर खरीदारी करेगा (लॉन्ग पोज़ीशन)।
लेकिन DMA से नीचे मौजूद प्राइस लाइन डाउनवर्ड मूवमेंट की सूचक होती है, यानी कि ट्रेडर बिक्री करेगा (शॉर्ट पोज़ीशन)।
DMA और प्राइस लाइन के इंटरसेप्ट होने पर ये फ़ैसले आपस में बदल जाते हैं। गौरतलब है कि ऊपर-नीचे के दरमियाँ ये लाइनें कई दफ़ा एक-दूसरे को क्रॉस कर सकती हैं, यानी कि रुझान के दोनों तरफ़ इसके एक ज़ोरदार दिशा या ट्रेड पकड़ने का आप इंतज़ार भी कर सकते हैं।
DMA मूविंग एवरेज का इस्तेमाल आखिर कैसे किया जाता है?
कुछ लोगों के अनुसार MA की तुलना में DMA बेहतर होती है क्योंकि इसकी बदौलत आप अलग-अलग समय-सीमाओं में आगे-पीछे जा सकते हैं, जो दो तरह से फ़ायदेमंद साबित होता है।
रुझानों की दिशाएँ
रुझान की मौजूदा मूवमेंट का पता लगाना डिस्पलेस्ड MA के सबसे बड़े फ़ायदों में से एक होता है। इसकी बदौलत ट्रेडर को शेयर प्राइस दिशा के बारे में जानकारी जो मिलती है।
अगर बाज़ार DMA के ऊपर चल रहा है, तो यह एक अपट्रेंड को दर्शाता है, यानी कि बढ़ती कीमतों के चलते खरीदारी (लॉन्ग पोज़ीशन) के अवसर का लाभ उठाकर ज़्यादा मुनाफ़े पर बिक्री की जा सकती है।
दूसरी तरफ़ अगर मार्केट प्राइस DMA से नीचे चल रहा है, तो यह किसी डाउनवर्ड ट्रेंड का सूचक हो सकता है, यानी कि कीमत में और गिरावट आने से पहले थोड़ा-बहुत मुनाफ़ा बुक करने के मौके को भुनाने के लिए बिक्री (शॉर्ट पोज़ीशन) की जा सकती है।
लेकिन प्राइस लाइन सिलसिलेवार ढंग से नहीं चलती है, और इसमें कई उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं और यह DMA के ऊपर-नीचे के भी जा सकती है।
कई मौकों पर निवेशक MA रुझान का इस्तेमाल कर सकता है, और प्राइस लाइन के MA लाइन के नीचे जाने पर पता चल सकता है कि रुझान खत्म हो चुका है और डाउनवर्ड मूवमेंट का आगाज़ हो गया है। लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि वह कोई वास्तविक रिवर्सल पॉइंट हो।
ऐसे में अलग-अलग अवधियों के दौरान रुझान में आने वाली असली गतिविधि को उजागर कर रुझान की असली शुरुआती और अंतिम बिंदु का पता लगाने के लिए डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज बेहतर विकल्प साबित होती है।
सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तर
शेयरों में DMA का इस्तेमाल किसी सपोर्ट या रेज़िस्टेंस स्तर के तौर पर किया जा सकता है, यानी कि अपवर्ड या डाउनवर्ड मूवमेंट्स के शुरुआती बिंदु का सूचक होकर यह लॉन्ग या शॉर्ट स्टॉक्स की ओर इशारा करता है।
प्राइस चार्ट पर आने वाले प्राइस ट्रेंड को छूकर निकलती लाइन खींचकर डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज लाइन को ऐतिहासिक पुलबैक डेटा के साथ अलाइन किया जा सकता है। यानी कि जब दोनों लाइनें इंटरसेप्ट करती हैं, तो वापस आकर DMA लाइन के नीचे जाने वाली प्राइस लाइन गिरते रुझान और बिक्री के ऑर्डर की ओर इशारा करती है।
दूसरी तरफ़, खींचे गए DMA के साथ-साथ चलते हुए उसके ऊपर उठने वाली प्राइस लाइन किसी उठते रुझान और खरीदारी के ऑर्डर की सूचक होती है।
DMA बनाम EMA
डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज और एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज मिलती-जुलती लग सकती हैं। सच तो यह है कि दोनों ही का इस्तेमाल एक-जैसे मामलों में किया जाता है व शेयर बाज़ार में आने वाले रुझानों और कीमतों की दिशा का पता लगाकर सोचे-समझे फ़ैसला लेने में वे निवेशक की मदद करती हैं।
लेकिन उनके डेटा का हिसाब कैसे लगाया जाता है और उन्हें प्रदर्शित कैसे किया जाता है, इसमें कुछ फ़र्क होते हैं। आइए उनका विश्लेषण करते हैं।
प्राइस डेटा का हिसाब लगाना
कीमतों में आने वाले छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव और शोर-शराबे समेत तय समय-सीमाओं के अनुसार DMA बाज़ार के डेटा का रास्ता साफ़ कर देती है। लेकिन इस काम में EMA ज़्यादा कारगर साबित होती है क्योंकि हालिया समय को ज़्यादा तवज्जो देकर वह शोर-शराबे को कम कर देती है, जो एक सटीक प्राइस ट्रेंड मुहैया कराने में मददगार साबित होता है।
हिसाब-किताब
चयनित समय-सीमा के दौरान पुरानी परफ़ॉर्मेन्स की औसत कीमत को या तो कैंडल बार्स पर बिंदुओं के तौर पर दर्शाकर या फिर मौजूदा मार्केट प्राइस से पीछे की तरफ़ जाने वाली लाइन खींचकर DMA अपने डेटा का हिसाब लगाती है।
दूसरी तरफ़, EMA ऐतिहासिक डेटा की औसत कीमतों को ध्यान में लेकर बाज़ार की हालिया गतिविधि को ज़्यादा तवज्जो और अहमियत देने वाली वेटेड एवरेज होती है।
टाइम लैग
अपने हिसाब-किताब और डेटा संग्रहण में DMA टाइम लैग्स और कीमतों में आने वाली छोटी-छोटी गतिविधियों को शामिल करता है। इसलिए अपने प्रतिनिधित्व में छोटे-छोटे उतार-चढ़ावों के साथ कीमतों में आने वाले भारी-बदलावों का भी यह विश्लेषण करता है।
दूसरी तरफ़, टाइम लैग्स को शामिल न करने वाली EMA कीमतों में आने वाले खासकर हालिया बदलावों के प्रति फ़ौरन प्रतिक्रिया देती है, जिसके चलते मौजूदा रुझान पर हालिया उतार-चढ़ावों के प्रभावों का विश्लेषण करने में वह ज़्यादा उपयोगी साबित होती है।
DMA का इस्तेमाल किन मामलों में करना चाहिए?
DMA का इस्तेमाल स्टॉक ट्रेडिंग में सपोर्ट और रेज़िस्टेंस के एरियाज़ के माध्यम से प्रवेश और निकास बिंदुओं का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिसके चलते शॉर्ट-टर्म मूवमेंट्स समेत कीमतों के रुझानों का पता लगाने में वे ट्रेडरों के काम आती है।
EMA को ज़्यादा मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है व अपने वेटेड एवरेज मॉडल के चलते ज़्यादातर वह ट्रेंड को फ़ॉलो करने में फ़ायदेमंद साबित होती है, जैसे ट्रेंड सेटिंग रणनीति में।
डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज (DMA) की सीमाएँ
शेयर-जगत में DMA कई प्रकार से उपयोगी और फ़ायदेमंद साबित होती है। लेकिन कुछेक चुनौतियों के चलते शायद वह एक बेहतरीन विकल्प न हो।
- इसे अन्य इंडिकेटरों के साथ इस्तेमाल करना बेहतर होता है, क्योंकि इकलौते इंडिकेटर के तौर पर यह काम नहीं कर सकती है।
- DMA के टाइम लैग के चलते ट्रेडर बाज़ार में प्रवेश या बाज़ार से निकास के बड़े-बड़े अवसरों से चूक सकते हैं।
- अपने स्मूदिंग मैकेनिज़्म के चलते, जिसमें छोटे से छोटे उतार-चढ़ाव शामिल होते हैं, ट्रेंड ब्रेकथ्रू का पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है व इसलिए अस्थायी बाज़ारों के लिए यह ज़्यादा उपयोगी नहीं होती।
- आउटलायर्स के प्रति अपनी संवेदनशीलता के चलते कभी-कभी यह गलत या भ्रामक जानकारी भी मुहैया करा सकती है।
निष्कर्ष
DMA का इस्तेमाल एक प्रकार की सिंपल मूविंग एवरेज के तौर पर करते हुए ऐतिहासिक प्राइस एक्शन के माध्यम से रुझानों का पता लगाने के लिए किया जाता है। डिस्पलेस्ड मूविंग एवरेज चैनल के साथ-साथ प्राइस लाइन की मूवमेंट के अनुसार ऑर्डर को एक्सीक्यूट करने के बारे में यह एक सामान्य नियम-सा होता है।
DMA को समझकर निवेशक रेज़िस्टेंस और सपोर्ट पॉइंट्स ढूँढ सकते हैं, जो किसी अपवर्ड या डाउनवर्ड रुझान की ओर इशारा कर खरीदारी या बिक्री के ऑर्डर का संकेत कर सकते हैं। लेकिन सिर्फ़ DMA का इस्तेमाल करने से कुछ दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसलिए अन्य टूल्स, चार्ट्स, और इंडिकेटरों के साथ उसका इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
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