फ़ॉरेक्स लाइन ट्रेडिंग – कीमत के रुझानों को पढ़ने में महारत कैसे हासिल करें
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विदेशी मुद्रा एक्सचेंज बाज़ार ट्रेडिंग में भाग लेकर अपने पैसे को बढ़ाने का सबसे बड़ा और सबसे जाना-माना तरीका है। बाज़ार में कई ट्रेडर, संस्थागत ट्रेडर, निवेशक, ब्रोकर, सेवा प्रदाता, लिक्विडिटी पूल व अन्य हिस्सेदार शामिल होते हैं।
विदेशी मुद्रा बाज़ार में कभी कोई तुक्के से नहीं फलता-फूलता। हाँ, किस्मत के थोड़े-बहुत साथ की दरकार ज़रूर होती है, लेकिन बढ़ते रुझानों और मौकों का पता लगाकर उनका भरपूर फ़ायदा उठाने के लिए ट्रेडर सावधानीपूर्वक रिसर्च कर बनाई गईं युक्तियों और रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं।
विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग रणनीति, रुझानों के बारे में अध्ययन कर बाज़ार में घुसने के सही समय का पता लगाकर अपने मुनाफ़े को मैक्सिमाइज़ करने का एक आम तरीका होती है। इस काम में कई तरह की बारीकियाँ और विश्लेषणों का ध्यान रखना पड़ता है, जिनके बारे में हम इस स्टेप-बाई-स्टेप गाइड में बात करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग रणनीति का इस्तेमाल सपोर्ट और रेज़िस्टेंस के स्तरों के आधार पर बाज़ार में घुसने और निकलने के समय का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- विदेशी मुद्रा वाली लाइन का रुझान अपवर्ड, डाउनवर्ड या फिर साइडवे हो सकता है, जो उसकी कीमत का मौजूदा और भावी एक्शन व दिशा को दर्शाता है।
- ट्रेंड लाइन को दो या तीन प्रमुख स्विंग पॉइंट्स का पता लगा उन्हें नीचे या ऊपर जाती एक सीधी रेखा से जोड़कर बनाया जाता है।
- विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग का इस्तेमाल डे ट्रेडिंग, ट्रेंड बाउंस व ब्रेकआउट जैसी अन्य ट्रेडिंग रणनीतियों के साथ किया जाता है।
विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग को समझना
ट्रेंड लाइनों का इस्तेमाल बाज़ार की गतिविधियों के आधार पर कीमतों के मौजूदा और संभावित एक्शन को समझने के लिए किया जाता है। विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग रणनीति के तहत बाज़ार की दिशा के साथ-साथ बाकी अहम जानकारी का पता लगाने के लिए अपवर्ड और डाउनवर्ड ट्रेंड लाइनों पर प्राइस पॉइंट्स को जोड़ दिया जाता है।
विदेशी मुद्रा ट्रेंड लाइन ट्रेडिंग का इस्तेमाल सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों का पता लगाने के लिए किया जाता है, जो बाज़ार में घुसने और/या बाज़ार से निकलने के सही समय का पता लगाने और विदेशी मुद्रा बाज़ार के रुझानों की दिशा और तीव्रता को समझने में ट्रेडर के काम आते हैं।
ट्रेंड लाइनें का इस्तेमाल एक आम तकनीकी इंडिकेटर के तौर पर किया जाता है ताकि बाज़ार के मौजूदा और ऐतिहासिक रुझानों को उजागर कर इस बात का पता लगाया जा सके कि किसी कीमत का रुझान सकारात्मक (अपवर्ड) है या नकारात्मक (डाउनवर्ड), जिसके आधार पर ट्रेडर यह फ़ैसला लेता है कि उसे खरीदने का ऑर्डर डालना है या फिर बेचने का। लाइन चार्ट का इस्तेमाल कर की जाने वाली विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग को कुछ लाइनों और बारीकियों के साथ जोड़कर देखा जाता है, जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे।
अपट्रेंड लाइनें
किसी एसेट की कीमत में एक तय अवधि के दौरान आने वाली बढ़ोतरी बाज़ार में एक अपवर्ड ट्रेंड को जन्म देती है, जिसे अपट्रेंड कहा जाता है। इस घटना को चार्ट पर उस प्रत्येक प्राइस ब्लॉक या स्ट्रिंग से दर्शाया जाता है, जो पिछले ब्लॉक या स्ट्रिंग से ऊँचा होता है। इसलिए हर कैंडलस्टिक का निचला सिरा ऊँचाई में पिछली कैंडलस्टिक से ज़्यादा होता है।
प्राइस स्ट्रिंग के बॉटम को ढूँढकर उसका सपोर्ट करने वाली प्राइस लाइन के ऊपर जाते निचले सिरों को जोड़कर अपट्रेंड लाइन को दर्शाया जाता है। विदेशी मुद्रा ट्रेडर बाज़ार की इन अपवर्ड गतिविधियों का विश्लेषण किसी सिक्यूरिटी की खरीददारी के प्रवेश बिंदु के तौर पर करते हैं।
डाउनट्रेंड लाइनें
किसी एसेट की कीमत में एक तय अवधि के दौरान आने वाली गिरावट बाज़ार में एक डाउनवर्ड ट्रेंड को जन्म देती है, जिसे डाउनट्रेंड कहा जाता है। इस घटना को चार्ट पर उस प्रत्येक प्राइस स्ट्रिंग से दर्शाया जाता है, जो पिछली स्ट्रिंग से छोटी है। इसलिए हर कैंडलस्टिक का ऊपरी सिरा ऊँचाई में पिछली कैंडलस्टिक इस कम होता है।
डाउनवर्ड ट्रेंड लाइन को हर प्राइस स्ट्रिंग के गिरते ऊपरी सिरे को जोड़कर बनाया जाता है, जो रेज़िस्टेंस लेवल को भी जन्म देता है। बाज़ार की इन डाउनवर्ड गतिविधियों का विश्लेषण कर ट्रेडर या तो किसी लॉन्ग पोज़ीशन को क्लोज़ कर देते हैं या फिर ट्रेडेबल सिक्यूरिटीज़ को शॉर्ट करना (बेचना) शुरू कर देते हैं।
साइडवे लाइनें
एक नियंत्रित पैटर्न में किसी एसेट की ऊपर-नीचे होने वाली कीमतें साइडवे लाइनों को जन्म देती हैं, जिन्हें प्राइस चार्ट के टॉप और बॉटम पर दर्शाया जाता है। चार्ट पर इस घटना को बिना किसी स्पष्ट अपट्रेंड या डाउनट्रेंड लाइन के, हॉरिज़ॉन्टल जाते हुए प्राइस ट्रेंड के माध्यम से दर्शाया जाता है।
साइडवे लाइनों को प्राइस लाइन के दोनों किनारों के ऊपरी और निचले सिरों को जोड़कर बनाया जाता है, जिनसे ऑटो सपोर्ट और रेज़िस्टेंस का जन्म होता है। साइडवे लाइनें उस रेंज को दर्शाती हैं, जिसमें किसी एसेट की कीमत ऊपरी या निचले सिरे से बाहर जाए बगैर मूव कर रही होती है।
विदेशी मुद्रा ट्रेंड लाइन कैसे बनाई जाती है
ट्रेंड ट्रेडिंग रणनीति का इस्तेमाल करते वक्त किसी प्राइस गतिविधि का पता लगाकर उसे ट्रैक करने के लिए विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग सबसे आम तरीकों में से एक है। वैसे भी, रेज़िस्टेंस लाइनें बनाना आना और उन्हें सपोर्ट करना बाज़ार में घुसने और उससे निकलने के सटीक पॉइंट्स का पता लगाने में एक अहम भूमिका निभाता है।
लेकिन यहाँ बाज़ार को अच्छे-खासे तकनीकी विश्लेषण की काफ़ी अहमियत हो जाती क्योंकि बाज़ार की मूवमेंट हमेशा सही पिक्चर नहीं दिखाती। तो आइए जानते हैं कि आप सटीक ट्रेंड लाइनें आखिर कैसे बना सकते हैं।
ट्रेंड मूवमेंट का पता लगाएँ
बाज़ार की मूवमेंट या सेंटिमेंट का पता लगाना पहला चरण होता है, फिर भले ही वह कोई अपवर्ड ट्रेंड हो, डाउनवर्ड, या फिर साइडवे। इसका पता किसी चार्ट को या फिर किसी कैंडलस्टिक चार्ट की बार्स पर प्राइस स्ट्रिंग्स को देखकर लगाया जा सकता है।
किसी अपट्रेंड के टॉप और बॉटम ज़्यादा ऊँचे होते हैं, जो समूची टाइमलाइन के दौरान बढ़ते चले जाते हैं। दूसरी तरफ़, किसी डाउनट्रेंड की खासियत छोटे टॉप और बॉटम वाले उसके गिरते प्राइस ब्लॉक होते हैं। जैसे-जैसे प्राइस ट्रेंड में मूवमेंट आती है, ये टॉप और बॉटम घटते चले जाते हैं।
अलग-अलग अवधियों की, जैसे कि शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म प्राइस एक्शन, तुलना कर आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आखिर ट्रेंड लाइन किस प्रकार की है। इसके लिए ऐतिहासिक समय का इस्तेमाल करें क्योंकि लंबी-लंबी अवधियाँ ज़्यादा सटीक परिणाम देती हैं।
पॉइंट्स को जोड़ना
प्राइस स्ट्रिंग्स के निचले या ऊपरी सिरों को जोड़ने के लिए एक लाइन बनाएँ। उदाहरण के तौर पर, प्रमुख उच्चतर चढ़ावों को देखकर उन्हें प्राइस ट्रेंड के नीचे से गुज़रने वाली लाइन से जोड़ दें।
दूसरी तरफ़, डाउनवर्ड ट्रेंड पॉइंट्स घटी ऊँचाईयों पर होते हैं, जहाँ लाइन प्राइस ट्रेंड के ऊपर बनाई जाती है। एक आदर्श स्थिति में हर ट्रेंड लाइन को कम से कम दो स्विंग लोकेशनों को आपस में जोड़ना चाहिए।
रुझान को सत्यापित करें
ट्रेंड लाइन को बाज़ार की गति और बदलाव के अनुसार लगातार एडजस्ट कर उसे सत्यापित किया जा सकती है। इसके लिए ज़्यादा टाइमलाइनों की जाँच करनी पड़ती है व ज़्यादा विशिष्ट टॉप और बॉटम पॉइंट्स को प्राइस लाइन तोड़े बगैर जोड़ना पड़ता है।
बाज़ार में मूवमेंट आने के साथ-साथ प्राइस लाइन में ज़्यादा बड़े उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, जिसके चलते इतनी स्विंग पॉइंट्स पैदा हो सकते हैं, जिन्हें आपस में जोड़कर एक ज़्यादा सटीक ट्रेंड लाइन बनाई जा सके।
ट्रेंड लाइन को सत्यापित करने के लिए बाकी प्राइस स्तरों से उसकी तुलना भी की जा सकती है, जैसे कि सपोर्ट व रेज़िस्टेंस इंडिकेटर, जो उस रेंज को दर्शाता है, जिसके दरमियाँ प्राइस ट्रेंड दरारें पैदा किए बगैर एक सिरे से दूसरे सिरे पर जाता है।
फ़ैसला लेने के लिए लाइन का विश्लेषण करें
बनी हुई ट्रेंड लाइन का इस्तेमाल कर खरीदने या बेचने के ऑर्डर एक्सीक्यूट करें। आदर्श स्थिति में विदेशी मुद्रा ट्रेडर किसी अपवर्ड ट्रेंड के दौरान खरीददारी कर लेते हैं, व जैसे-जैसे प्राइस ट्रेंड अपट्रेंड लाइन तक पहुँचता है या फिर बाउंस होकर उससे ऊपर जाते है, वैसे-वैसे उन्हें प्रवेश के ऑप्टीमम पॉइंट्स प्राप्त होते हैं।
दूसरी तरफ़ एक डाउनवर्ड ट्रेंड के दौरान ट्रेडर ऑर्डर बेचते या “शॉर्ट” करते हैं, और जैसे-जैसे प्राइस लाइन डाउनट्रेंड लाइन पर वापस आती है या उसे छूती है, वैसे-वैसे उन्हें निकास के ऑप्टीमम पॉइंट्स प्राप्त होते हैं।
अधिक सटीकता के लिए इस तरीके का इस्तेमाल अन्य तकनीकी इंडिकेटर्स के साथ किया जाता है, जैसे चलती औसत या फिर रिलेटिव इंडेक्स स्ट्रेंथ (RSI), जिसकी मदद से ओवरबाइंग और ओवरसेलिंग पॉइंट्स निर्धारित किए जाते हैं।
आमतौर पर इतने सारे ट्रेडिंग निर्णय लेने के बावजूद बाज़ार की अनिश्चितता को मद्देनज़र रखते हुए यह कहना होगा कि यह कोई रामबाण उपाय नहीं है। उदाहरण के तौर पर, अगर प्राइस अपट्रेंड लाइन तक पहुँचता है, तो इस बात कि एक छोटी-सी संभावना बनी रहती है कि वह गिरना जारी रखते हुए बाद में वापसी करेगा।
अपट्रेंड और डाउनट्रेंड को ट्रैक करना
ट्रेंड लाइन को सही ढंग से बनाने के लिए विदेशी मुद्रा बाज़ार में चार्ट के हाई और लो पॉइंट्स की पहचान करना अहम होता है। इसलिए ट्रेंड लाइनों का पता लगाकर उन्हें बनाने की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए ज़्यादातर विदेशी मुद्रा ट्रेडर इस तरीके का पालन करते हैं।
समय-सीमाओं की पहचान करें
अपनी ट्रेडिंग रणनीति और स्टाइल व ट्रेड की गई मुद्राओं के आधार पर सही समय-सीमा का चयन करें। ऐतिहासिक अवधियाँ आपको अपनी पिछली जानकारी और प्राइस एक्शन से रूबारू कराती हैं, जबकि बड़ी-बड़ी अवधियाँ ज़्यादा सटीक होती हैं क्योंकि उनके पीछे कीमतों की अधिक जानकारी का बल होता है।
ज़्यादा पुराने समय का चयन, जैसे कि साप्ताहिक व मासिक प्राइस चार्ट, करने से आप ट्रेंड के अधिक हाई व लो पॉइंट्स के साथ प्राइस लाइन का विश्लेषण भी कर पाते हैं, जिससे ट्रेंड लाइन का विश्लेषण ज़्यादा सटीक साबित होता है।
हाई व लो का विश्लेषण कर उन्हें जोड़ें
सबसे अहम स्विंग्स और खरीददारी अथवा बिक्री के दबाव का पता लगाकर प्राइस ब्लॉक्स के हाई और लो का सटीकता से पता लगाएँ। बाज़ार की गतिशीलता और कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव हमेशा सही नहीं होते। इसलिए किसी अपट्रेंड में बहुत बड़े-बड़े लो व डाउनट्रेंड में बहुत छोटे-छोटे हाई की तलाश करें।
ट्रेंड लाइन में सुधार लाएँ
बाज़ार में आने वाली नई मूवमेंट्स व स्वाभाविक उतार चढ़ावों का लगातार आकलन करते हुए ट्रेंड लाइन को एडजस्ट कर उसमें सुधार लाएँ। इन उतार-चढ़ावों के चलते ज़्यादा असाधारण हाई या लो पैदा हो सकते हैं। बनाई गई ट्रेंड लाइन में और भी सुधार लाकर और भी अहम प्राइस स्विंग्स को शामिल करने के लिए चलते बाज़ार पर नज़र रखने के लिए अलग-अलग समय-सीमओं का विश्लेषण करें।
ट्रेंड को पहचानें
कीमतों में आने वाले अहम बदलावों को उजागर कर ट्रेंड लाइन बना लेने के बाद आप तदनुसार ट्रेंड दिशा का विश्लेषण कर इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि वह अपट्रेंड है, डाउनट्रेंड है, या फिर साइडवेज़ ट्रेंड है।
बढ़ते रुझान वाली, प्राइस के नीचे मौजूद अपट्रेंड लाइन बाज़ार के तेजड़िए दबाव दर्शाती है। दूसरी तरफ़, मंदड़िए बाज़ार में गिरते ट्रेंड वाली डाउनट्रेंड लाइनें प्राइस लाइन के ऊपर मौजूद होती हैं।
एक सटीक ट्रेंड लाइन प्राप्त करने के लिए इस प्रक्रिया को दोहराते हुए सबसे बेहतरीन सपोर्ट रेज़िस्टेंस इंडिकेटर का आकलन करने में मददगार साबित होने वाले अन्य तकनीकी विश्लेषण इंडिकेटरों का इस्तेमाल करें, जैसे कि मूविंग एवरेज, स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर, व उचित स्ट्रेंथ इंडेक्स।
इन इंडिकेटरों की मदद से प्राइस बाउंस पॉइंट्स के साथ-साथ आप प्राइस टर्न पॉइंट्स दर्शाने वाले एसेट ओवरबाइंग व ओवरसेलिंग स्तरों का पता भी लगा सकते हैं।
विदेशी मुद्रा ट्रेंड लाइन का विस्तार
विदेशी मुद्रा बाज़ार में मुद्राओं में लगातार मूवमेंट रहता है, व प्राइस ट्रेंड लाइनों में बार-बार बदलाव आ सकते हैं। साथ ही, ट्रेंड लाइनों का इस्तेमाल ट्रेडर मौजूदा रुझानों का आकलन करने के लिए ही नहीं, बल्कि कीमतों में संभावित मूवमेंट्स और आने वाले रुझानों की भविष्यवाणी करने की रणनीति को लागू करने के लिए भी करते हैं।
इसलिए विदेशी मुद्रा वाली ट्रेंड लाइन का विस्तार करने से प्राइस चार्ट का भविष्य में विस्तार हो जाता है व पहले बनाई गई लाइन उसी ढलान और दिशा में बढ़ती चली जाती है। इस प्रकार, आप भावी सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों की भविष्यवाणी कर बाज़ार में प्रवेश और निकास बिंदुओं के साथ-साथ प्राइस बाउंस भी निर्धारित कर पाते हैं।
मौजूदा और संभावित ट्रेंड लाइन की मज़बूती के अनुसार ट्रेडर बाज़ार के भावी एक्शन की भविष्यवाणी के साथ-साथ इस बात की भी भविष्यवाणी करते हैं कि क्या कीमतें उसी ट्रैजेक्टरी पर बढ़ती चली जाएँगी या फिर बाद में वापसी करेंगी, जिससे उतार-चढ़ाव के पैटर्न में बदलाव आ जाएँगे।
ट्रेंड लाइन के साथ सबसे बेहतरीन विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीतियाँ
प्राइस एक्शन की पहचान कर उसे अन्य विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीतियों के साथ निम्नानुसार जोड़ने के लिए विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग एक उपकरण के तौर पर काम करती है।
ट्रेंड लाइन ब्रेकआउट
ट्रेंड लाइन ब्रेकआउट्स वे पॉइंट्स होते हैं, जहाँ किसी अपट्रेंड या डाउनट्रेंड के तहत प्राइस ट्रेंड लाइन से टूटकर निकल जाता है, जो कि रुझानों के नई मूवमेंट और दिशा की इशारा करता है। प्राइस और ट्रेंड लाइनों के इंटरसेप्शन के अनुसार बाज़ार में घुसने या बाज़ार से निकलने के लिए ये पॉइंट्स बेहद अहम होते हैं।
कई समय-सीमाओं के दौरान चैलेंज की जा चुकी, तीन-तीन अहम पॉइंट्स को जोड़ने वाली मान्य ट्रेंड लाइन का होना ट्रेंड की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए काफ़ी अहमियत रखता है।
अगर प्राइस लाइन (डाउनवर्ड) ट्रेंड लाइन के ऊपर से होकर गुज़रती है, तो वह एक अपट्रेंड बदलाव के साथ-साथ बाज़ार के तेजड़िए रुझान की ओर इशारा करती है। सेल ऑर्डर डाल कर या फिर रुझानों में आने वाले बदलावों का फ़ायदा उठाकर ट्रेडर बाज़ार में प्रवेश कर सकते हैं।
अगर प्राइस लाइन (अपट्रेंड) ट्रेंड लाइन के नीचे से होकर गुज़रती है, तो वह अपट्रेंड से डाउनट्रेंड बदलाव की ओर इशारा करती है, जो कि रेज़िस्टेंस के विपरीत एक मंदड़िए बाज़ार का आगाज़ होता है। ऐसे में, ट्रेडर एक बाय ऑर्डर डाल सकते हैं।
लेकिन बाज़ार में प्रवेश करने से पहले प्राइस एक्शन पर नज़र रखना अहम होआ है ताकि नए बदलावों को सत्यापित कर यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे बदलाव बाज़ार के स्वाभाविक उतार-चढ़ाव में दरअसल कोई क्षणिक करेक्शन तो नहीं हैं।
ट्रेंड लाइन बाउंस
ट्रेंड बाउंस वे पल होते हैं, जब प्राइस लाइन किसी अपट्रेंड अथवा डाउनट्रेंड में ट्रेंड लाइन के करीब पहुँचकर उसके पार जाए बगैर वापस रुझानों वाली दिशा में बाउंस हो जाती है। प्राइस लाइन दिशा और ट्रेंड मूवमेंट के आधार पर इन बाउंसों का इस्तेमाल बाज़ार में घुसने या बाज़ार से निकलने के लिए सिग्नल के तौर पर किया जाता है।
अगर कोई दो मुद्राएँ अपट्रेंड लाइन पर पहुँचकर ऊपर की तरफ़ बाउंस हो जाती हैं, तो यह लॉन्ग पोज़ीशन के लिए एक प्रवेश बिंदु (बाय ऑर्डर) की ओर इशारा करता है। दूसरी तरफ़, अगर एसेट प्राइस डाउनट्रेंड लाइन तक जाकर नीचे की तरफ़ बाउंस हो जाता है तो इसका इशारा शॉर्ट पोज़ीशन के लिए एक प्रवेश बिंदु (सेल ऑर्डर) की ओर होता है।
बाउंसों पर नज़र रख उनकी पुष्टि करने के लिए ट्रेडर आमतौर पर अन्य सिग्नलों की तरफ़ भी देखते हैं, जैसे कि ट्रेडिंग वॉल्यूम व बाज़ार के सेंटिमेंट। ट्रेंड लाइन के किसी बाउंस को सत्यापित कर लेने के बाद ट्रेडर बाज़ार में प्रवेश या बाज़ार से निकास कर सकते हैं।
डे ट्रेडिंग
उचित प्रवेश और निकास बिंदुओं को मार्केट करने के लिए ट्रेंड लाइन को सटीक ढंग से बनाकर मिलने वाले सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों का डे ट्रेडर इस्तेमाल करते हैं।
अगर प्राइस लाइन बाउंस होकर ऊपर चली जाती है या फिर डाउनट्रेंड लाइन के नीचे से गुज़र जाती है तो ट्रेडर लॉन्ग (बाय) ऑर्डर्स के साथ बाज़ार में प्रवेश करते हैं। दूसरी तरफ़, शॉर्ट (सेल) ऑर्डर वाले प्रवेश बिंदुओं के तहत प्राइस लाइन बाउंस होकर नीचे चली जाती है या फिर गिरती हुई ट्रैजेक्टरी में अपट्रेंड लाइन के ऊपर चली जाती है।
विदेशी मुद्रा ट्रेंड लाइन ट्रेडिंग में डे ट्रेडिंग रणनीति के पश्चात् बाज़ार के एक्शन पर नज़र रखी जाती है। ट्रेंड लाइन के करीब जाती प्राइस लाइन को ट्रेडर ट्रैक करते रहते हैं और अगर वह रुझान के पार या उससे बाउंस हो जाती है तो वे सोचे-समझे फ़ैसले भी लेते हैं।
निष्कर्ष
विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग एक रणनीति होती है, जिसके तहत ट्रेंड लने को ट्रैक कर उसे बनाया जाता है। इस दौरान, कीमतों में आने वाली मूवमेंट्स पर नज़र रख मौजूदा और संभावित सपोर्ट व रेज़िस्टेंस स्तरों का अनुमान लगाया जाता है।
प्राइस ट्रेंड को सटीकता से बनाकर प्राइस लाइन के ट्रेंड लाइन के साथ इंटरेक्शन के आधार पर कोई ट्रेडर सोचे-समझे फ़ैसले ले सकता है, यानी कि प्राइस लाइन उसके पार जा रही है या फिर उससे बाउंस हो रही, जिससे यह पता चलता है कि बाज़ार में घुसने का समय है या उससे निकलने का।
विदेशी मुद्रा की ट्रेंड लाइन ट्रेडिंग रणनीति का ट्रेडिंग की अन्य रणनीतियों के साथ इस्तेमाल किया जाता है, जिनके तहत भावी कीमतों को सत्यापित कर उनका अनुमान लगाया जाता है व प्राइस सपोर्ट व रेज़िस्टेंस स्तरों के आधार पर ट्रेडिंग की जाती है।
आम सवाल-जवाब
विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग आखिर क्या होती है?
विदेशी मुद्रा लाइन ट्रेडिंग ट्रेडरों द्वारा अपनाई जाने वाली एक रणनीति होती है, जिसकी मदद से वे ट्रेंड लाइन से तुलना कर प्राइस एक्शन के आधार पर बाज़ार में घुसने और बाज़ार से निकलने के समय की पहचान करते हैं। प्राइस लाइन ट्रेंड के पार भी जा सकती है व उससे टकराकर वापस भी आ सकती है, जो कि बाज़ार के तेजड़िए या मंदड़िए सेंटिमेंट को दर्शाता है।
क्या ट्रेंडलाइन रणनीति फ़ायदेमंद साबित होती है?
आमतौर पर ट्रेंड लाइन रणनीति का इस्तेमाल सपोर्ट व रेज़िस्टेंस पॉइंट्स का अनुमान लगाकर बाज़ार की प्राइस लाइन के दोनों तरफ़ ट्रेड करने के लिए किया जाता है। इसलिए अगर ट्रेंड लाइन को ठीक से सत्यापित कर बाज़ार के अप्रत्याशित बदलावों से कोई चुनौती न मिले तो यह रणनीति काफ़ी कारगर साबित हो सकती है।
ट्रेंडलाइन पर 3 टच कौन-कौनसे होते है?
विदेशी मुद्रा ट्रेंड लाइनों (अपट्रेंड व डाउनट्रेंड) को तभी सत्यापित कर ठीक से प्रदर्शित किया जा सकता है, जब वह लाइन कम से कम दो-तीन प्राइस स्विंग पॉइंट्स को आपस में जोड़े।
ट्रेंडलाइनों के नुकसान क्या होते हैं?
बाज़ार में निरंतर मूवमेंट और उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और ठीक से देखकर सत्यापित न किए गए प्राइस बाउंस और ब्रेकथ्रू एक गलत तस्वीर पेश कर सकते हैं। इसलिए रुझानों में किसी बदलाव का अनुभव किए बगैर भी कोई प्राइस लाइन कुछ देर के लिए ट्रेंड लाइन के पार जाकर करेक्शन हासिल कर अपने पिछले स्तरों पर वापस आ सकती है।
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