वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो B2B भुगतानों में गति कैसे लाता है
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क्रिप्टो कॉइन्स के माध्यम से किए गए भुगतानों ने आम लोगों, निवेशकों, ट्रेडरों, और व्यवसायों, फिर भले ही वे ईंट-पत्थर के हों या डिजिटल, के आपसी निपटान को एकदम बदल डाला है, जिससे भुगतान प्रक्रिया की सरहदों का पहले से भी ज़्यादा विस्तार हो गया है।
अपनी असाधारण क्षमता और इस्तेमाल की व्यापक संभावनाओं के चलते अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल कर चुके क्रिप्टो भुगतान प्रोजेक्टों में भुगतान के पुराने तौर-तरीकों से आगे निकलने के लिए काफ़ी बड़े-बड़े बदलाव आ रहे हैं।
आज के ज़माने के व्यवसायिक माहौल में B2B भुगतान क्रिप्टो इनोवेशनों का एक प्रायोगिक उदाहरण हैं, जिनकी संभावनाएँ विशेषज्ञों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक हैं व जो भुगतान के पारंपरिक तौर-तरीकों के मुकाबले ठोस सकारात्मक लाभ मुहैया कराते हैं। साथ ही, वैश्विक स्तर पर वित्तीय संस्थानों की कार्यकुशलता को वे एक नए स्तर पर भी ले जाते हैं।
इस लेख में हम आपको बताएँगे कि आखिर B2B भुगतान होते क्या हैं व उन्हें करने के कौन-कौनसे तौर-तरीके हैं। आप यह भी जानेंगे कि दुनियाभर में क्रिप्टो B2B भुगतानों में कैसे क्रांति ला रहा है व किसी व्यवसाय में उन्हें कैसे स्वीकार किया जा सकता है।
प्रमुख बिंदु
- आज के व्यावसायिक माहौल में B2B भुगतान एक अहम भूमिका निभाते हैं व क्रिप्टो टेक्नोलॉजियाँ उनके विकास की नींव के तौर पर काम करती हैं।
- वितरित लैजर के फ़ायदों की बदौलत B2B सेक्टर कई स्तरों पर बदलाव की प्रक्रिया से गुज़र रहा है, जिसके चलते अलग-अलग तरह की कंपनियाँ एकदम नए ढंग से आपसी निपटान कर पा रही हैं।
- क्रिप्टो की बदौलत टेक्नोलॉजी और फ़ाइनेंस के संगम से बनने वाले नए-नए उद्योगों को एक्सेस किया जा सकता है, जिनमें B2B भुगतान एक पुल का काम करते हुए भुगतान के अलग-अलग मतों और विचारों को आपस में जोड़ते हैं।
B2B भुगतान आखिर क्या होते हैं?
प्रदान की गई वस्तुओं अथवा सेवाओं के लिए एक खरीदार और सप्लायर के बीच मुद्रा के रूप में होने वाले वैल्यू के आदान-प्रदान को B2B भुगतान, या फिर बिज़नस-टू-बिज़नस भुगतान कहा जाता है। पार्टियों के बीच समझौते के मुताबिक़ ये भुगतान वन-टाइम भी हो सकते हैं और पुनरावर्ती भी।
B2C भुगतानों की तुलना में B2B भुगतानों की प्रक्रिया ज़्यादा जटिल होती है क्योंकि इसमें निपटान में ज़्यादा वक्त लगता है, जो कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक भी हो सकता है।
ऐसा हरेक लेन-देन के लिए ज़रूरी बारीक अनुमोदन व सत्यापन प्रक्रिया के कारण होता है। इसके विपरीत, B2C भुगतान आमतौर पर पलक झपकते ही पूरे हो जाते हैं, जिससे लेन-देन की प्रक्रिया काफ़ी आसान बन जाती है।
आज वित्तीय क्षेत्र में B2B भुगतानों की अपनी खास जगह है क्योंकि मुद्रा लेन-देन की प्रोसेसिंग से संबंधित सारी की सारी सेवाएँ प्रदान करने वाले सॉल्यूशनों की अच्छी-खासी माँग है।
अपनी सेवाएँ और उत्पाद मुहैया कराने वाली कंपनियों की भारी-भरकम संख्या के चलते भुगतान की ऐसी आधुनिक और कारगर विधियों का इस्तेमाल करना ज़रूरी हो जाता है, जिनके उपकरणों और इंफ़्रास्ट्रक्चर के रखरखाव और मरम्मत में ज़्यादा खर्च न आता हो।
इस सबके चलते काम-काज के कई क्षेत्रों में फ़र्मों और कंपनियों की व्यवसायिक प्रक्रियाओं में स्वचालित भुगतान प्रणालियों का इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति में लगातार बढ़ोतरी आ रही है, जिसके चलते आज भी इस्तेमाल किए जाने वाले आपसी निपटान के पुराने तौर-तरीकों से जुड़ी समस्याएँ खत्म होती जा रही हैं।
B2B भुगतान विधियों के प्रकार
आज दो वित्तीय संस्थाओं के बीच B2B भुगतानों के ढांचे के तहत कई तरह की विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। भुगतान की कारगर प्रोसेसिंग एक हद तक भुगतान प्रक्रियाओं के समर्थन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों और टेक्नोलॉजियों पर निर्भर करती है; लेकिन वह व्यवहार में इस्तेमाल की जाने वाली भुगतान विधि पर भी निर्भर करती है। प्रमुख भुगतान विधियों के बारे में नीचे संक्षेप में बात की गई है:
क्रिप्टो मुद्रा
भुगतान की मौजूदा विधियों में सिर्फ़ B2B जगत में ही नहीं, बल्कि ढेर सारे अलग-अलग क्षेत्रों और फ़ाइनेंस की दुनिया में भी क्रिप्टो मुद्रा सबसे जानी-मानी विधि बनकर उभरी है। अपने नयेपन और फ़ायदों की अच्छी-खासी सूची के चलते अलग-अलग आकारों की फ़र्मों के दरमियाँ B2B सीमा-पार लेन-देन में डिजिटल एसेट्स का सक्रिय रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसकी बदौलत सबका पैसा और वक्त तो बचता ही है, साथ ही वे भुगतान प्रोसेसिंग के नए समाधानों को विकसित करने में एक-साथ काम भी कर पाते हैं। प्रोसेसिंग के पुराने तौर-तरीकों की जगह लेने की इन समाधानों की कमाल की संभावनाएँ हैं।
कागज़ी चेक
पुराने ज़माने के होने और अपनी कम व्यावहारिकता के बावजूद आधुनिक दुनिया में अभी भी कागज़ी चेकों का इस्तेमाल किया जाता है। उनकी लोकप्रियता के साथ किसी भी प्रकार व्यक्त न की जा सकने वाली उनकी व्यावहारिकता भी धीरे-धीरे घटती जा रही है। गौरतलब है कि B2B भुगतान करने के इस तरीके का परंपरा के प्रति प्रतिबद्ध कंपनियों के एक बेहद संकीर्ण दायरे में ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन बदलते ज़माने के साथ चलने के लिए ये कंपनियाँ भी लगातार नई टेक्नोलॉजियों को अपनाकर उनका लाभ उठा रही हैं।
ACH भुगतान
ACH (ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस) बैंक एकाउंटों के दरमियाँ पैसा ट्रांसफ़र करने का एक नेटवर्क है। इसे NACHA (नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस एसोसिएशन) नाम के संगठन द्वारा प्रबंधित किया जाता है। इसे ACH नेटवर्क या ACH स्कीम के नाम से भी जाना जाता है। ACH नेटवर्क के अंतर्गत कई तरह के भुगतान आते हैं।
ACH भुगतान ACH नेटवर्क से गुज़रने वाले इलेक्ट्रॉनिक भुगतान होते हैं। पैसे को अपने अंतिम गंतव्य तक पहुँचाने वाली केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से पैसे को एक बैंक एकाउंट से दूसरे एकाउंट में भेजा जाता है। इन कंप्यूटरीकृत भुगतानों से व्यापारियों और ग्राहकों, दोनों को फ़ायदा होता है: भुगतान किफ़ायती होते हैं, उन्हें ऑटोमेट किया जा सकता है, और इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों की बदौलत उनका हिसाब रखना अक्सर आसान होता है।
वायर ट्रांसफ़र
बैंक ट्रांसफ़र एक संवाददाता बैंक का किसी वाणिज्यिक बैंक को किसी ट्रांसफ़रकरता के अनुरोध व खर्च पर किसी विदेशी प्राप्तकर्ता (लाभार्थी) को एक तय धनराशि भेजने का एक सरल-सा आदेश होता है। इस आदेश के तहत भुगतानकर्ता बैंक द्वारा अदा की जाने वाली राशि की प्रतिपूर्ति करने की विधि भी निर्दिष्ट की जाती है।
बैंक ट्रांसफ़र को एक बैंक से दूसरे बैंक को भेजे गए भुगतान ऑर्डर के माध्यम से, बिना कैश के किया जाता है। बैंक ट्रांसफ़रों में मुख्य अंतर उनकी क्षेत्रीयता और पैसे के टर्नओवर की उनकी गति होती है।
आज के ज़माने में S.W.I.F.T. को बैंक ट्रांसफ़र की सबसे व्यापक प्रणाली माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बैंक ट्रांसफ़रों समेत किन्हीं भी देशों के बीच होने वाले पैसे के सभी ट्रांसफ़र इसी चैनल के माध्यम से किए जाते हैं।
क्रेडिट/डेबिट कार्ड
B2B भुगतान प्रोसेसिंग में क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल भी शामिल होता है, जिससे व्यवसाय और ग्राहक, दोनों ही अलग-अलग भुगतान सेवाओं का फ़ायदा उठा पाते हैं।
अपनी वैश्विक उपलब्धतता और तुलनात्मक सस्तेपन की बदौलत आपसी निपटान की यह विधि अभी भी सबसे लोकप्रिय विधियों में शुमार है। इस मामले में प्राप्तिकरण (बैंक कार्ड व कॉन्टैक्टलेस भुगतान विधियों के माध्यम से कैशलेस भुगतान को स्वीकार करने की टेक्नोलॉजी) का सक्रिय रूप से इस्तेमाल किया जाता है। ग्राहक की भुगतान जानकारी को प्रोसेस कर उसे ट्रांसमिट करने के लिए एक खास टर्मिनल का इस्तेमाल किया जाता है।
नकद
आपके देश के आधार पर B2B भुगतान को पारंपरिक कैश मुद्रा के माध्यम से भी किया जा सकता है। भुगतान का एक पारंपरिक तरीका होने के नाते यह विधि अभी भी काफ़ी लोकप्रिय है। आधुनिक क्रिप्टो मुद्रा प्रणालियों और टेक्नोलॉजियों की मदद से कैश फ़्लो का प्रबंधन करने की तरफ़ बढ़ते रुझान के बावजूद आधुनिक अर्थव्यवस्था में इस विधि की भूमिका आज भी काफ़ी अहम है।
वैश्विक स्केल पर क्रिप्टो B2B भुगतानों में क्रांति कैसे लाती है
क्रिप्टो मुद्रा बाज़ार और सार्वजनिक लैजर टेक्नोलॉजी के सक्रिय विकास से स्टेट रेगुलेटरों, वित्तीय संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय निगमों द्वारा समर्थित वैश्विक वित्तीय प्रणाली में उन्हें तेज़ी से एकीकृत किया जाता है।
आमतौर पर डिजिटल टेक्नोलॉजियों के विकास द्वारा समर्थित क्रिप्टो मुद्रा बाज़ार की उत्पत्ति और विकास से केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित आधिकारिक फ़िएट मुद्राओं के एकाधिकार को चुनौती मिल सकती है।
हाल के वर्षों में रोज़मर्रा के जीवन में एक्सचेंज के साधन के तौर पर क्रिप्टो मुद्राओं का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है, और वैश्विक लेन-देन किसी भी कंपनी की व्यवसायिक प्रक्रियाओं का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं, फिर भले ही उसका कंपनी का सरोकार किसी भी व्यवसाय से क्यों न हो। इस तरह की टेक्नोलॉजियों के आगमन से पनपे कुछ प्रभावों के चलते ही यह मुमकिन हो पाया है।
1. पारंपरिक बैंकिंग प्रणालियों की कमियों को दूर करना
सीमा-पार B2B भुगतानों के क्षेत्र में पारंपरिक दृष्टिकोण के तहत संवाददाता बैंकों जैसे कई बिचौलियों को शामिल करना पड़ता है।
नतीजतन व्यवसायों को अक्सर कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें लेन-देन के उच्च शुल्क, असुविधाजनक एक्सचेंज दरें, और प्रोसेसिंग में आने वाली देरी शामिल हैं, जिनसे उनके कैश फ़्लो, संचालनात्मक खर्चों और समूची प्रतिस्पर्धात्मकता पर काफ़ी बुरा असर पड़ सकता है।
क्रिप्टो एक ऐसी अनूठी डिजिटल मुद्रा है, जो कई मायनों में भुगतान की पारंपरिक विधियों से अलग साबित होती है। बिचौलियों पर निर्भर करने वाले बैंकों अथवा वित्तीय संस्थाओं जैसी भुगतान की पारंपरिक विधियों के विपरीत, लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए क्रिप्टो मुद्राएँ विकेंद्रीकृत नेटवर्कों पर चलती हैं।
इसका मतलब है कि लेन-देन किसी बिचौलिये को शामिल किए बगैर, सीधे पियरों के बीच पूरे किए जा सकते हैं। बिचौलियों के न होने से लेन-देन शुल्क कम हो जाता है, प्रोसेसिंग अवधि में तेज़ी आ जाती है, और एक्सचेंज रेट में सुधार आ जाता है, जिसके फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय B2B लेन-देन के लिए क्रिप्टो मुद्राएँ एक बेहद लुभावना विकल्प बनकर उभरती हैं।
2. बेहतर सुरक्षा और पारदर्शिता
अपनी बेहतर सुरक्षा और पारदर्शिता की बदौलत B2B सीमा-पार लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए वर्चुअल मुद्राएँ एक भरोसेमंद माध्यम बनकर उभरी हैं। लेन-देन की एडवांस्ड क्रिप्टोग्राफ़िक तकनीकें उनकी प्रमाणिकता को सुनिश्चित कर उन्हें छेड़छाड़ से बचाती हैं ताकि पैसा बगैर किसी हस्तक्षेप या हेरफेर के सीधा इच्छित प्राप्तकर्ता को ही ट्रांसफ़र हो।
इसके अलावा, सभी लेन-देन को एक सार्वजानिक लैजर में दर्ज किया जाता है ताकि हर भुगतान का सभी संबंधित पार्टियों द्वारा एक्सेस कर सत्यापित किए जाना वाला एक पारदर्शी रिकॉर्ड मौजूद रहे।
सुरक्षा की उन्नत विधियों का इस्तेमाल कर व्यवसाय धोखाधड़ी वाली गतिविधियों और अनाधिकृत लेन-देन से अपना बचाव कर सकते हैं। इससे भुगतानों की ट्रैकिंग व सामंजस्य स्थापित करने की प्रक्रिया आसान बन जाती हैं व व्यवसाय हर तरह के लेन-दें की वैधता को सुनिश्चित कर पाते हैं।
इसके अतिरिक्त, क्रिप्टो मुद्रा लेन-देन की पारदर्शी प्रकृति मुख्यतः एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (AML) और काउंटर टेररिस्ट फ़ाइनेंसिंग (CTF) नियमों समेत नियामक आवश्यकताओं की पूर्ति में फ़र्मों की काफ़ी मदद कर सकती है। इन विनियमों का पालन कर व्यवसाय अपनी प्रतिष्ठा में सुधार ला ग्राहकों और भागीदारों का भरोसा जीत सकते हैं।
3. कुशल और बेरोकटोक सीमा-पार भुगतान
B2B सीमा-पार भुगतानों के बेरोकटोक, बिना किसी झंझट वाले लेन-देन समेत कई फ़ायदे होते हैं। यानी कि व्यवसाय Bitcoin, Ethereum, और स्टेबलकॉइन जैसे कई तरह के अलग-अलग डिजिटल एसेट्स में भुगतान भेज भी सकते हैं और प्राप्त भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें एकाधिक मुद्रा में डील नहीं करना पड़ता या फिर सिर चकरा देने वाली जटिल बैंकिंग प्रक्रियाओं से गुज़रना नहीं पड़ता।
B2B क्रिप्टो भुगतानों की बदौलत कंपनियाँ सीमा-पार लेन-देन का ज़्यादा तेज़तर्रार, सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से लुत्फ़ उठा पाती हैं, जो कि अपने व्यवसाय को वैश्विक स्तर पर ले जाते हुए अंततः अपना समय और पैसा बचाने में उनके काम आता है।
पारंपरिक बैंक ट्रांसफ़रों की तुलना में भुगतानों को ज़्यादा तेज़ी से प्रोसेस कर पाने की अपनी क्षमता के चलते क्रिप्टो मुद्राएँ काफ़ी लोकप्रिय हो चली हैं। सच तो यह है कि किसी क्रिप्टो लेन-देन को पूरा करने में चंद मिनट या घंटों का समय ही लगता है, जबकि बैंक ट्रांसफ़र की स्थिति में यह अवधि कई दिनों की होती है।
इस गति से व्यवसाय अपने कैश फ़्लो को बेहतर ढंग से मैनेज कर पाते हैं, जिसके चलते बाज़ार के रुझानों पर वे फ़ौरन प्रक्रिया दे पाते हैं। इसके अलावा, क्रिप्टो मुद्राएँ छोटे-छोटे भुगतान (माइक्रो पेमेंट्स) और आंशिक भुगतान (फ़्रैक्शनल पेमेंट्स) का लाभ भी देती हैं, जिसकी बदौलत अपनी सेवाओं और उत्पादों के लिए सटीक लेन-देन कर व्यवसाय ज़रूरत से कम या ज़्यादा भुगतान करने के जोखिम को भी कम कर पाते हैं।
4. वित्तीय समावेशन और नए बाजारों तक पहुँच
क्रिप्टो की सबसे खास बातों में से एक होती है व्यवसायों के बीच सीमा-पार लेन-देन को आसान बना देने की उनकी क्षमता। B2B सीमा-पार क्रिप्टो भुगतानों को अपनाकर कंपनियाँ अपनी पहुँच को बढ़ाकर उन देशों में अपने पार्टनर्स के साथ काम कर सकती हैं, जहाँ पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं की सुविधा बहुत सीमित होती है।
अलग-अलग वित्तीय प्रणालियों के बीच फ़ासले को पाटकर क्रिप्टो मुद्राएँ व्यवसायों को अपने लेन-देन को आसान और कारगर बनाने की सहूलियत देती हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की शक्ति की बदौलत व्यवसाय नए बाज़ारों का फ़ायदा उठाकर दुनियाभर के अपने पार्टनर्स के साथ काम करते हुए विकास और इनोवेशन की बेशुमार संभावनाओं की तिजोरी खोल सकते हैं।
5. नए उद्योगों तक पहुँच
क्रिप्टो मुद्राओं की बढ़ती लोकप्रियता के साथ डिजिटल मुद्रा इकोसिस्टम में एक अहम भूमिका निभाने वाले कई उद्योग उभरे हैं। ऐसा ही एक उद्योग क्रिप्टो मुद्रा एक्सचेंज का है, जिसकी बदौलत एक पार्टी दूसरी पार्टी को बेरोकटोक क्रिप्टो मुद्रा ट्रांसफ़र कर सकती है।
दूसरी तरफ़, कुछ उद्योगों का अप्रत्यक्ष रूप से डिजिटल मुद्राओं से संबंध है, जैसे कि NFT और Web3 समेत ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने वाले उद्योग। हमारे जीवन और काम को परिवर्तित करने वाले विकेंद्रीकृत ऐप्लीकेशन, डिजिटल आर्ट, और अन्य इनोवेटिव समाधान बनाने के लिए ये उद्योग ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं।
क्रिप्टो-जगत में B2B भुगतान कैसे स्वीकार करें
बदलते ज़माने और टेक्नोलॉजिकल प्रगति के साथ कदम से कदम बढ़ाने के लिए आज कई फ़र्म्स अपनी व्यावसायिक संभावनाओं का विस्तार कर रही हैं। B2B समाधानों की संपूर्ण क्षमता का इस्तेमाल कर व्यवसाय अपने ग्राहकों को भुगतान के आधुनिक, सुरक्षित और कारगर टूल्स मुहैया करा अपने लिए नए दरवाज़े खोल रहे हैं।
B2B भुगतान स्वीकार करने वाले इनोवेटिव क्रिप्टो प्रोसेसिंग समाधान इस सबको मुमकिन बनाते हैं। B2B भुगतानों के साथ काम शुरू करने के लिए आपको नीचे दिए कई आसान स्टेप्स का पालन करना होगा।
1. ग्राहकों की आवश्यकताओं पर रिसर्च करें
क्रिप्टो भुगतान स्वीकार करने से पहले मौजूदा ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझना ज़रूरी होता है। ऐसे में, एक सर्वे करवाकर यह पता लगा लेना ज़रूरी हो जाता है कि भविष्य में क्रिप्टो प्रोसेसिंग के अहम पहलू क्या होंगे। आपको पता लगाना होगा कि ग्राहक किन-किन डिजिटल एसेट्स व ब्लॉकचेन नेटवर्क्स के साथ काम करना चाहेंगे।
भुगतान विधियों के मामले में भी उनकी इच्छाओं का खयाल रखना ज़रूरी होगा, फिर भले ही वे QR कोड हों या क्रिप्टो वॉलेट वाले सीधे लिंक। प्राप्त की गई सारी जानकारी की मदद से हम इस बात का अंदाजा लगा पाएँगे कि भुगतान प्रणालियों के साथ इंटरैक्ट करना ग्राहकों के लिए किस प्रकार ज़्यादा आसान होगा, खासकर अगर उन्हें बड़ी-बड़ी धनराशी में लेन-देन करना हो।
2. विनियामक मानकों और नियमों का अनुपालन
आज के ज़माने में क्रिप्टो उद्योग की गतिविधियों का विनियमन करने के कानूनी पहलुओं को मैनेज करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यह बात किसी भी फ़ॉर्मैट में क्रिप्टो लेन-देन के आधार पर काम करने वाली भुगतान विधियों पर भी लागू होती है। कई देशों में वैधानिक प्रतिबंध और निषेध डिजिटल एसेट्स के इस्तेमाल को प्रभावित करते हैं। इसलिए क्रिप्टो-टेक्नोलॉजिकल भुगतान प्रणालियों की वैधता का विश्लेषण कर उसे सत्यापित करना अहम होता है।
इसके अलावा, कानूनी संस्थाओं के दरमियाँ अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों के लिए डिजिटल उपकरणों के उचित इस्तेमाल को समझना भी अहम होता है। ऐसा करके आप नियामक ऑथोरिटियों के साथ दिक्कतों और गलतफ़हमियों से बच सकते हैं।
3. क्रिप्टो मुद्रा भुगतान गेटवे को कनेक्ट करना
इस मुकाम पर आकर एक ऐसे क्रिप्टो भुगतान गेटवे प्रदाता की खोज कर उसका चयन किया जाता है, जो कंपनी के सभी मानदंडों और ज़रूरतों की कसौटी पर खरा उतरकर कंपनी के इंफ़्रास्ट्रक्चर को लागू कर सके।
कंपनी को कुछ खास लाभ प्रदान करने वाली संचालनात्मक फ़ंक्शनैलिटी और फ़ीचर्स के आधार पर किसी क्रिप्टो गेटवे का चयन किया जाता है। दूसरी तरफ़, गेटवे के कुछ फ़ायदों के कॉम्बिनेशन से इस बात का निर्धारण होता है कि उसका किन परिस्थितियों में संचालन किया जाएगा।
इसलिए बदलती ऑपरेशनल परिस्थितियों के अनुसार ढल सकने और गैर-स्टैंडर्ड परिस्थितियों में भुगतान प्रोसेसिंग प्रक्रिया को सपोर्ट कर सकने वाले लचीले और सुरक्षित समाधान को तवज्जो देना अहम होता है।
4. क्रिप्टो मुद्रा भुगतान गेटवे को सेट-अप करना
B2B क्रिप्टो भुगतानों वाले किसी क्रिप्टो भुगतान समाधान को कनेक्ट करने के बाद उसे कस्टमाइज़ करना फ़ायदे का सौदा होता है। मौजूदा भुगतान प्रोसेसिंग प्रोडक्ट्स की सेटिंग्स लचीली होती हैं व उनके लगभग सभी आतंरिक एलिमेंट्स और पैरामीटर्स को कस्टमाइज़ किया जा सकता है, जिससे हमें कंपनी की ज़रूरतों और पसंद-नापसंद के अनुसार सिस्टम को ढालने का लचीलापन मिलता है।
ऐसी ही कस्टमाइज़ेशनों में सबसे पहले तो आप सिक्कों की पसंद-नापसंद के साथ-साथ हर बिज़नस-टू-बिज़नस भुगतान को प्रोसेस करने में शामिल कई अन्य पहलुओं को भी हैंडल कर सकते हैं। इसके अलावा, इसकी ज़रूरत API व प्रत्यक्ष रूप से प्रोसेसिंग में शामिल इंटीग्रेशन एलिमेंट्स को सेट-अप करने के लिए भी होती है।
इनमें से किसी भी एलिमेंट की गलत कॉन्फ़िगरेशन से कोई खराबी या कार्यक्षमता में गिरावट आ सकती है, जिसका सिस्टम की समूची कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
5. भुगतानों की स्वीकृति के लिए भुगतान इंफ़्रास्ट्रक्चर को तैयार करना
इस चरण पर आकर भुगतान करने में मददगार साबित होने वाले उचित मौड्यूलों की विस्तृतता और व्यवहार्यता का खयाल रखना ज़रूरी होता है। एक नियम के तौर पर वेबसाइट पर ऐसे डायलॉग बॉक्स (अगर भुगतान साइट के माध्यम से किया जाए) या फिर खास सॉफ़्टवेयर वाले संबंधित टर्मिनल होते हैं, जिनके माध्यम से आप डेबिट/क्रेडिट कार्ड, QR कोड व भुगतान की अन्य विधियों का इस्तेमाल कर भुगतान कर सकते हैं।
इस चरण के तहत सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट और उन कई यूटिलिटीयों और प्रोग्रामों के साथ इंटरेक्शन किया जाता है, जिनकी बदौलत आप कोड, वेब पेज लेआउट व साइट के वेब इंटरफ़ेस में किसी क्रिप्टो गेटवे को लागू करने वाली अन्य गतिविधियों के साथ काम कर सकते हैं। इसलिए इन क्षेत्रों का पुख्ता ज्ञान और इनमें अनुभव होना आवश्यक होता है।
निष्कर्ष
वितरित लैजर की समूची क्षमता को एक्सेस प्रदान करने वाले क्रिप्टो इनोवेशन के व्यापक इस्तेमाल की बदौलत B2B payments में एक वैश्विक बदलाव देखा जा रहा है। B2B प्राइम समाधानों के माध्यम से हर आकार-प्रकार का व्यवसाय अपनी संभावनाओं की सीमाओं का विस्तार करते हुए उन भरोसेमंद क्रिप्टो प्रोसेसिंग सेवाओं के माध्यम से आपसी सहयोग की कार्यक्षमता और सुरक्षा में बढ़ोतरी ला रहा है, जो लागत में भारी बचत और लेन-देन की फ़र्राटेदार गति के फ़ायदे भी पहुँचाती हैं।
आम सवाल-जवाब
B2B भुगतान आखिर किसे कहते हैं?
एक B2B भुगतान किसी विशेष मद्र में कई व्यावसायिक इकाइयों के बीच होने वाली एक स्टैंडर्ड पारंपरिक वायर ट्रांसफ़र होता है।
B2B भुगतान करने की कौन-कौनसी विधियाँ होती हैं?
आज के ज़माने में उपलब्ध विधियाँ हैं वायर ट्रांसफर, ACH भुगतान, नकद, डेबिट/क्रेडिट कार्ड, और क्रिप्टो मुद्राएँ, जिनका नाम लोकप्रिय विधियों में सबसे ऊपर आता है।
B2B भुगतानों में क्रिप्टो टेक्नोलॉजियों के क्या फ़ायदे होते हैं?
क्रिप्टो टेक्नोलॉजियों के तहत कम शुल्क, ज़्यादा बैंडविड्थ वाले भुगतान चैनल, सुरक्षा, व पारदर्शी क्रिप्टो लेन-देन जैसे फ़ायदों के साथ डिजिटल एसेट्स के माध्यम से रियल-टाइम भुगतान किए जा सकते हैं।
किसी व्यवसाय में मैं B2B भुगतान स्वीकार करना कैसे शुरू कर सकता/सकती हूँ?
सीमा-पार भुगतान प्राप्त करने या भेजने के लिए लेन-देन की प्रोसेसिंग और फिर उसे कंपनी के इंफ़्रास्ट्रक्चर में लागू करने वाले किसी भरोसेमंद भुगतान गेटवे (पुल) को ढूँढकर उससे जोड़ना अहम होता है।
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