विदेशी मुद्रा में किसी लिक्विडिटी ज़ोन की पहचान कर आप अपने मुनाफ़े में बढ़ोतरी कैसे ला सकते हैं?
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विदेशी मुद्रा बाज़ार विकसित होकर सभी आकार-प्रकार के ट्रेडरों के लिए एक वैश्विक मैदान-सा बनकर उभरा है। डिजिटल खलल से पहले एक औसत विदेशी मुद्रा ट्रेडर को कई वर्षों तक वित्तीय बाज़ारों में ठोकरें खा-खाकर सीखना पड़ता था। आज के ज़माने में कोई भी औसत व्यक्ति एक डिजिटल ट्रेडिंग एकाउंट के माध्यम से विदेशी मुद्रा जगत में प्रवेश कर फ़ौरन निवेश करना शुरू कर सकता है।
प्रवेश में आने वाली कम बाधाओं और भारी मात्रा में उपलब्ध शैक्षिक सामग्री के बावजूद एक सफल ट्रेडर बनने के लिए आपको पहले से कहीं ज़्यादा प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। इसलिए विदेशी मुद्रा निवेश में आँख मूंदकर कूद जाने से पहले एक ट्रेडिंग रणनीति बनाकर बाज़ार के रुझानों का विश्लेषण करना सीख लेने में ही समझदारी है।
लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान करना अपने प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त हासिल करने के सबसे भरोसेमंद तरीकों में से एक है, और इस लेख में हम इस तकनीक के काम करने के तरीके पर चर्चा करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- विदेशी मुद्रा के संदर्भ में लिक्विडिटी ज़ोन वे मौके होते हैं, जब मुद्राओं के किसी विशिष्ट जोड़े को खरीदने या बेचने की भारी माँग होती है।
- लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान कर बाज़ार के संभावित रुझानों और कीमतों में आने वाली मूवमेंट्स का ट्रेडर बेहतर अनुमान लगा पाते हैं।
- लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान करने के लिए सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों का पता लगाने के साथ-साथ आपको वॉल्यूम विश्लेषण भी कर लेना चाहिए।
- ऑटोमेटेड एनालिटिक्स उपकरणों के साथ इस प्रक्रिया को ज़्यादा आसान भी बनाया जा सकता है।
ट्रेडिंग में स्मार्ट मनी क्या होती है?
ट्रेडिंग में स्मार्ट मनी कॉन्सेप्ट का उदय एक छोटे-से एहसास से हुआ है – ज़्यादातर ट्रेडिंग बाज़ार “स्मार्ट मनी” संगठनों के तौर पर भी जाने जाने वाले संस्थागत खिलाड़ियों द्वारा भारी रूप से प्रभावित होते हैं। इन बड़ी-बड़ी संस्थाओं में कमर्शियल बैंक, व्हेल निवेशक, हेज फ़ंड, निवेश बैंक, व भारी निवेश पूंजी से संपन्न अन्य अनुभवी ट्रेडिंग खिलाड़ी शामिल होते हैं।
सप्लाई और डिमांड की गतिशीलता
स्मार्ट मनी ट्रेडिंग रणनीति के लिए आपको सप्लाई और डिमांड की गतिशीलता की समझ होनी चाहिए, क्योंकि यह समूचा कॉन्सेप्ट इस विचार पर आधारित होता है कि बड़े-बड़े संस्थागत खिलाड़ी ही बाज़ार के रुझानों को चलाते हैं। इसलिए SMC के अनुसार बड़े-बड़े खिलाड़ियों की गतिविधियों के आधार पर होने वाले प्राइस एक्शन के संदर्भ में ट्रेडिंग फ़ील्ड का विश्लेषण करना ज़रूरी होता है।
SMC रणनीति को अपनाकर ट्रेडर ट्रेडिंग बाज़ार को और भी गहरे ढंग से समझ सकते हैं, जिसके चलते आगे चलकर बाज़ार की गतिविधियों में आई बढ़ोतरी और संभावित रुझानों को वे भांप पाते हैं।
SMC रणनीति की बदौलत, निवेशकों को अंधाधुंध ट्रेडिंग नहीं करनी पड़ती। बल्कि प्राइस गैप्स की पहचान कर वे लिक्विडिटी ज़ोन्स का पता लगा सकते हैं और अधिक लाभकारिता और नुकसान के कम जोखिम के साथ ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं।
ऐसे में विदेशी मुद्रा की ट्रेडिंग रणनीतियों में भी कुछ फ़र्क नहीं होता, क्योंकि अनेक बड़े-बड़े संगठन इस सेक्टर में शामिल होते हैं। हालांकि SMC कोई पुख्ता रणनीति तो नहीं है, उसकी बदौलत अक्सर विश्वसनीय नतीजे देखने को मिलते हैं, खासकर एडवांस्ड एनालिटिक्स और मॉनिटरिंग टूल्स के ईजाद के बाद।
ट्रेडिंग के संदर्भ में लिक्विडिटी ज़ोन किसे कहते हैं?
आमतौर पर लिक्विडिटी का सरोकार इस बात से होता है कि बाज़ार में प्रमुखतः खरीदारों और विक्रेताओं की कम-ज़्यादा उपस्थिति के चलते बाज़ार में एसेट्स को कितनी आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है। इसलिए विशिष्ट प्राइस चार्ट पर बाज़ार में बढ़ी हुई खरीदारी या बिक्री वाले एरिया को लिक्विडिटी ज़ोन कहते हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन तब बनते हैं, जब बाज़ार के ज़्यादातर भागीदार किसी विशिष्ट एसेट के प्रति सामान दृष्टिकोण विकसित कर उसमें भारी खरीदारी या बिक्री करने का फ़ैसला करते हैं। नतीजतन लिक्विडिटी ज़ोन्स से अक्सर ट्रेडेबल एसेट्स के लिए सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तर बन जाते हैं, जो कीमतों में जल्द ही आने वाले रिवर्सल के सूचक होते हैं।
बाज़ार के लिक्विडिटी ज़ोन में प्रवेश करने पर क्या होता है?
जैसाकि ऊपर उल्लिखित है, लिक्विडिटी ज़ोन विदेशी मुद्रा जगत में मुद्राओं की खरीद-फ़रोख्त में बढ़ी हुई दिलचस्पी के सूचक होते हैं। इस कॉन्सेप्ट के चलते विदेशी मुद्रा की अप्रत्याशितता में आने वाली कमी के कारण निवेशकों को बाज़ार की गतिविधियों और इस बात की मापनीय जानकारी प्राप्त हो जाती है कि कौन-कौनसी मुद्राओं की डिमांड या सप्लाई ज़्यादा है।
लिक्विडिटी ज़ोन्स के बन जाने के बाद सफल ट्रेडिंग रणनीतियाँ बनाना कहीं आसान हो जाता है, क्योंकि निवेशक बाज़ार के मौजूदा रुझानों से वाकिफ़ होते हैं व कीमतों को लेकर फ़ौरन पूर्वानुमान लगा सकते हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान करने से आपकी संभावित रणनीतियों से हर प्रकार की गैर-लिक्विड मुद्राओं का सफ़ाया हो जाता है, जिसके चलते आप एक्सीक्यूशन और लाभकारिता की बेहतर संभावना वाली ट्रेडिंग रणनीतियाँ बना पाते हैं।
ज़ाहिर है कि लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान सिर्फ़ शुरुआत होती है, और यह सफलता की कोई गारंटी नहीं होती, लेकिन सोचे-समझे ट्रेडिंग निर्णय लेने में लिक्विडिटी ज़ोन एक अहम भूमिका निभाते हैं।
किसी विदेशी मुद्रा लिक्विडिटी ज़ोन की पहचान कैसे करें?
किसी उच्च लिक्विडिटी ज़ोन के फ़ायदे स्पष्ट होते हैं, जिसके चलते निवेशकों को ज़्यादा जानकारी होती है व वे गैर-फ़ायदेमंद रणनीतियों से बचकर पहले ही बाज़ार के रुझानों को समझ पाते हैं। लेकिन लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान करना एक विशिष्ट स्किल होता है, जिसे अनुभव और विदेशी मुद्रा बाज़ार की गहरी समझ के आधार पर विकसित किया जाना चाहिए।
लेकिन लिक्विडिटी ज़ोन्स का पता लगाकर आपके ट्रेडिंग सफ़र के शुरुआती चरणों में विश्लेषणात्मक प्रयासों को सरल बनाने के अलग-अलग तरीकों की हम एक रूपरेखा पेश करना चाहेंगे।
सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों की पहचान करें
एक तकनीकी स्तर पर लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान करना अपेक्षाकृत सरल होता है। आमतौर पर एक दिन की समय-सीमा लेकर चलने का सुझाव दिया जाता है। नहीं तो काफ़ी छोटी होने से लिक्विडिटी विंडो बाज़ार पर कोई बड़ा प्रभाव डालने में न सिर्फ़ विफल हो सकती हैं, बल्कि आपके कोई बड़ा ट्रेड एक्सीक्यूट करने से पहले छूमंतर भी हो सकती हैं।
लिक्विडिटी ज़ोन्स की पहचान का पहला चरण कैंडलस्टिक प्राइस चार्ट का विश्लेषण कर सपोर्ट या रेज़िस्टेंस स्तरों की तलाश करना होता है। रेज़िस्टेंस स्तर किसी खास अवधि के दौरान मुद्रा X द्वारा हासिल की गईं चरम कीमतें होती हैं, जबकि सपोर्ट स्तर वे न्यूनतम कोट्स होते हैं, जिन्हें बाज़ार की परिस्थितियों के चलते पार नहीं किया जा सकता। ये दोनों ही इंडिकेटर निवेशकों को यह बताते हैं कि विशिष्ट सीमाओं से परे बाज़ार मुद्रा X के मूल्य में बढ़ोतरी या गिरावट नहीं आने देगी।
ज़्यादातर मामलों में एसेट से संबंधित सभी फ़ैक्टरों को ध्यान में रखकर सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तर बाज़ार में अपने आप ही तैयार हो जाते हैं। सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों के लिए ज़िम्मेदार कारणों में सामान्य मार्केट डिमांड, आर्थिक परिस्थितियाँ, सप्लाई स्तर व कई अन्य वेरिएबल शामिल हो सकते हैं।
सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों के साथ मूविंग औसतों के इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि उतार-चढ़ाव से गुज़रकर ये अपने खुद के रुझान बना सकते हैं, जिनसे किसी भी मुद्रा के संभावित शिखर और घाटियों में गतिशील बदलाव आ सकते हैं।
प्राइस चार्ट्स के साथ वॉल्यूम विश्लेषण करना
ट्रेडिंग वॉल्यूम विश्लेषण काफ़ी सरल होता है, क्योंकि हर प्रमुख FX प्लेटफ़ॉर्म रियल टाइम में अपडेट होने वाले वॉल्यूम स्तर मुहैया कराता है। रेज़िस्टेंस और सपोर्ट स्तरों की पहचान हो जाने पर पहचाने गए लिक्विडिटी ज़ोन्स को किसी वॉल्यूम इंडिकेटर के साथ जोड़कर देखना अहम होता है।
इस जोड़ी की मदद से आप यह समझ पाते हैं कि लिक्विडिटी ज़ोन पर्याप्त हैं या नहीं और क्या बाज़ार की गतिविधि में कई खरीदारों या विक्रेताओं की उपस्थिति की ओर इशारा करने वाली कोई वृद्धि आई है या नहीं।
रेज़िस्टेंस-स्तरीय लिक्विडिटी ज़ोन्स के मामले में ट्रेडरों को शॉर्ट पोज़ीशान प्राप्त कर लेनी चाहिए क्योंकि अनुकूल रेज़िस्टेंस स्तर इस बात की ओर इशारा करते हैं कि फ़िलहाल एसेट की कीमत बहुत ज़्यादा है और संभवतः वह मंदड़िए बाज़ार की ओर रुख कर रही है।
दूसरी तरफ़, मान लीजिए हम सपोर्ट स्तरों की बात कर रहे हैं। ऐसे में, लंबी अवधि वाली पोज़ीशनें प्राप्त करने के लिए ट्रेडरों को लिक्विडिटी ज़ोन का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, क्योंकि मुमकिन है कि वह एसेट जल्द ही तेजड़िए बाज़ार में प्रवेश कर जाए।
लेकिन ट्रेडरों को जल्दबाज़ी में किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से बचना चाहिए, क्योंकि हर लिक्विडिटी ज़ोन विश्वसनीय नहीं होता, फिर भले ही उसके वॉल्यूम इंडिकेटर कितने भी अनुकूल क्यों न हों। कभी-कभी बाज़ार असामान्य गतिविधियों का अनुभव कर सकता है और यह ज़रूरी नहीं कि ये गतिविधियाँ उच्च लिक्विडिटी की सूचक हों। इसलिए ऐसे हालातों से बचने के लिए बाज़ार की आम डेवलपमेंट्स और ज़रूरी खबरों की जानकारी रखना अहम हो जाता है।
कोई लिक्विडिटी ज़ोन इंडिकेटर प्राप्त करें
वॉल्यूम प्राइस विश्लेषण और सपोर्ट या रेज़िस्टेंस स्तरों के माध्यम से की जाने वाली विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग शुरू-शुरू में थोड़ी जटिल हो सकती है, क्योंकि इसमें कई पेचीदगियाँ शामिल होती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान नौसिखिए ट्रेडरों के हाथों छोटी-छोटी गलतियाँ हो जाने का जोखिम भी ज़्यादा होता है।
इसलिए बाज़ार में ऐसे हालातों की अपने आप पहचान करने वाले लिक्विडिटी ज़ोन इंडिकेटर को खरीदने का सुझाव दिया जाता है, जिससे आपके फ़ैसलों में मानवीय भूल-चूक की संभावना खत्म हो जाती है।
ऑटोमेटेड लिक्विडिटी ज़ोन इंडिकेटरों के नतीजों की दोबारा जाँच करना फिर भी अहम होता है, क्योंकि बाज़ार के असामान्य रुझानों या अन्य आड़े-तिरछे वेरिएबल्स के चलते सॉफ़्टवेयर उच्च लिक्विडिटी वाले मौकों की गलत पहचान भी कर सकता है।
लेकिन बात जब प्रमुख मुद्रा जोड़ों की आती है, तब ज़्यादातर ट्रेडिंग विश्लेषण बॉट्स काफ़ी कारगर साबित होते हैं। आपके विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग करियर की शुरुआत में सबसे बेहतरीन ट्रेडिंग रणनीतियाँ बनाने के लिए वे आपको एक अहम जम्पस्टार्ट जो मुहैया करा सकते हैं।
अंतिम विचार
बाज़ार के जोखिमों को कम कर लाभकारिता की संभावनाओं में बढ़ोतरी लाने के लिए विदेशी मुद्रा में किसी लिक्विडिटी ज़ोन की पहचान करना एक शानदार तरीका होता है। इस आसान मगर कारगर रणनीति की बदौलत आप यह समझ पाएँगे कि बाज़ार किस दिशा में जा रहा है और उसके बनते-बिगड़ते रुझानों का आप फ़ायदा कैसे उठा सकते हैं। लेकिन लिक्विडिटी ज़ोन्स का ठीक से विश्लेषण करना शुरू-शुरू में जितना आसान लगता है, उतना वह होता नहीं है क्योंकि इसमें काफ़ी बारीकियों पर गौर करना पड़ता है।
इसलिए लिक्विडिटी ज़ोन ट्रेडिंग पर आँख मूंदकर भरोसा करने से पहले आपको ऑटोमेटेड एनालिसिस सॉफ़्टवेयर प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। इसकी बदौलत विदेशी मुद्रा की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में शुरुआती बढ़त हासिल कर नौसिखियों के हाथों होने वाली लाज़मी भूल-चूक के प्रभाव को आप कम कर पाएँगे।
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