क्रिप्टो हॉवे टेस्ट की अहमियत
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एक ज़माने में किसी ख्वाब-सी लगने वाली क्रिप्टो मुद्राओं ने 2009 में Bitcoin के जन्म के साथ काफ़ी लोकप्रियता हासिल कर ली थी। आज दुनिया के क्रिप्टो मुद्रा बाज़ार की कीमत लगभग $20 खरब है, और आगे भी इससे उद्योगों को अस्त-व्यस्त करते रहने उम्मीद की जा रही है।
लेकिन डिजिटल एसेट्स के तेज़तर्रार विस्तार घबराहट और जटिल नियामक चुनौतियों का सबब बना है। डिजिटल एसेट्स को मुद्राओं के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा या सिक्योरिटीज़ के तौर पर, इसका फ़ैसला हॉवे टेस्ट के माध्यम से किया जाता है। डिजिटल एसेट्स की सुरक्षा और समग्रता सुनिश्चित करने के लिए यह टेस्ट एक अहम उपकरण होता है।
इस लेख में हम टेस्ट की मानदंडों और डिजिटल मनी इंडस्ट्री के लिए एक पुख्ता क्रिप्टो हॉवे टेस्ट की अहमियत के बारे में चर्चा करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- हॉवे टेस्ट इस बात का फ़ैसला करने में मददगार साबित होता है कि कोई लेन-देन एक निवेश अनुबंध है या नहीं।
- किसी लेन-देन को निवेश करार दिया जा सकता है या नहीं, इसका फ़ैसला करने के लिए यह टेस्ट चार कसौटियों का इस्तेमाल करता है।
- सबसे व्यापक तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले क्रिप्टो — Bitcoin और Ethereum — हॉवे टेस्ट के अनुसार सिक्योरिटीज़ नहीं माने जाते।
- हॉवे टेस्ट की जगह रिस्क कैपिटल टेस्ट या रेवेज़ टेस्ट जैसे अन्य टेस्टों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
हॉवे टेस्ट आखिर क्या होता है?
हॉवे टेस्ट अमेरिका में इस्तेमाल किए जाने वाला एक कानूनी टेस्ट है, जिसके माध्यम से यह फ़ैसला किया जाता है कि कोई लेन-देन एक निवेश अनुबंध है या नहीं। उसके अनुबंध करार दिए जाने पर वह सिक्योरिटीज़ एक्ट 1933 और सिक्योरिटीज़ एक्सचेंज एक्ट 1934 की पंजीकरण आवश्यकताओं के अधीन एक सिक्यूरिटी बन जाता है। यह टेस्ट किसी भी अनुबंध, स्कीम, या लेन-देन पर किया जा सकता है।
हॉवे टेस्ट की शुरुआत 1946 के सुप्रीम कोर्ट केस, SEC बनाम WJ हॉवे कंपनी, से हुई थी। इस मामले का ताल्लुक फ़्लोरिडा में नींबू के बागों की बिक्री से था। हॉवे कंपनी ने इस लेन-देन को सिक्योरिटीज़ के तौर पर पंजीकृत नहीं करवाया था, जिसके चलते SEC को इसमें दखल देनी पड़ी थी।
अपना फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि लीज़बैक व्यवस्था सिक्योरिटीज़ एक्ट 1933 के तहत किया गया एक निवेश अनुबंध होती है। इसके चलते सिक्योरिटीज़ की पहचान करने वाले अहम मानदंड निर्धारित किए गए थे। यानी कि किसी एसेट को एक सिक्यूरिटी के तौर पर तब वर्गीकृत किया जा सकता है, जब उसमें किसी सामान्य एंटरप्राइज़ में कोई निवेश कर दूसरों की मेहनत के आधार पर मुनाफ़े की उम्मीद हो।
ICO क्या होता है?
आरंभिक कॉइन ऑफ़रिंग, या इनिशियल कॉइन ऑफ़रिंग (ICOs) क्राउडफ़ंडिंग जैसी ही होती है, जिसमें कंपनियाँ अपने प्रोजेक्टों के लिए टोकन बनाती हैं। इस प्रक्रिया के तहत एक वाइट पेपर, पिच, और वेबसाइट बनाकर क्रिप्टो टोकनों के बदले वित्तीय योगदान की माँग की जाती है। ये टोकन कई काम आ सकते हैं, जैसे भावी उत्पादों या सेवाओं का एक्सेस मुहैया कराने या फिर निवेशकों को मुनाफ़े का एक हिस्सा प्रदान करने में।
अमेरिका में ज़्यादातर ICO अनियमित हैं, जिसके चलते उनमें जोखिम ज़्यादा और निवेशकों की सुरक्षा कम है। ICO के संबंध में SEC के अध्यक्ष, गैरी गेंस्लर, की राय में, उनका यह बयान भी शामिल है कि क्रिप्टो फ़ाइनेंस, जारी करने की प्रक्रिया, ट्रेडिंग, या उधार देने की प्रक्रिया में फ़िलहाल निवेशक उतने सुरक्षित नहीं हैं, जितना उन्हें होना चाहिए। इस प्रकार के एसेट्स के कुछ इस्तेमालों में धोखाधड़ी, घोटालों, और दुरुपयोग की भरमार है।
क्रिप्टो जगत में सिक्यूरिटी क्या होती है?
आम प्रकार की सिक्योरिटीज़ में स्टॉक्स, बॉन्ड्स, ETF, ऑप्शन, और म्यूचुअल फ़ंड्स शामिल होते हैं। सिक्योरिटीज़ चार प्रमुख प्रकार की होती हैं:
- इक्विटी सिक्योरिटीज़। इक्विटी सिक्योरिटीज़ किसी कंपनी, ट्रस्ट, या पार्टनरशिप में स्वामित्व के किसी हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- ऋण सिक्योरिटीज़। इस तरह की सिक्योरिटीज़ के तहत निवेशकों को कंपनियों से पैसा उधार लेकर ब्याज समेत उस उधार को चुकाने की सहूलियत मिलती है।
- हाइब्रिड सिक्योरिटीज़। ये सिक्योरिटीज़ ऋण और इक्विटी सिक्योरिटीज़ के कॉम्बो के तौर पर काम करती हैं, जैसे परिवर्तनीय बॉन्ड्स।
- डेरीवेटिव सिक्योरिटीज़। ये सिक्योरिटीज़ पार्टियों के बीच अनुबंधों जैसी होती हैं। इन अनुबंधों का मूल्य किसी बुनियादी एसेट की कीमत पर आधारित होता है।
अमेरिका में सभी सिक्योरिटीज़ को SEC के साथ पंजीकृत होना चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माने लगाए जाते हैं। अपनी जटिलता और मौजूदा नियामक संरचना में फ़िट न बैठने के कारण क्रिप्टो मुद्राएँ सिक्योरिटीज़ विनयमन के अंतर्गत आती हैं।
जहाँ तक क्रिप्टो टेस्टिंग का सवाल है, Bitcoin और Ethereum इस टेस्ट में पास नहीं होते क्योंकि डिजिटल होने के बावजूद वे डॉलर या यूरो जैसी किसी असली मुद्रा के तौर पर काम करते हैं। Bitcoin इस टेस्ट में इसलिए पास नहीं होता क्योंकि अपने मूल्य में बढ़ोतरी लाने के लिए वह सामूहिक प्रयास या किसी विशिष्ट प्रमोटर पर निर्भर नहीं करता।
लेकिन ICO एक सुरक्षा परत के तौर पर काम करते हैं। वह इसलिए कि कोई डिजिटल टोकन प्राप्त करने के लिए पैसा निवेश कर निवेशक यह उम्मीद करते हैं कि दूसरों की मेहनत से उसके मूल्य में बढ़ोतरी आ जाएगी। इन टोकनों को कुछ SEC और क्रिप्टो विनियमों का अनुपालन करना चाहिए। हॉवे टेस्ट की कसौटियों पर खरे न उतरने वाले टोकनों को अक्सर यूटिलिटी टोकन के नाम से जाना जाता है, जो भावी सेवाओं के लिए डिजिटल वाउचर होते हैं।
कुल मिलाकर, क्रिप्टो मुद्राओं और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के उदय से सिक्योरिटीज़ विनियमन मामलों में गड़बड़ी पैदा हो गई है, जिसके चलते कुछ चीज़ों के बारे में अभी भी काफ़ी अस्पष्टता बनी हुई है।
क्या XRP हॉवे टेस्ट की कसौटी पर खरा उतरता है?
Ripple Labs और SEC के बीच चलती कानूनी जंग ने क्रिप्टो मुद्रा और ब्लॉकचेन जगत में काफ़ी सुर्खियाँ बटोरी हैं। SEC का दावा है कि Ripple ने एक अपंजीकृत सिक्योरिटीज़ बिक्री के तौर पर XRP कॉइन बेचकर XRP बिक्री से लगभग $1.3 अरब अर्जित किए थे।
SEC का फ़ैसला यह था कि सभी XRP लेन-देन अपंजीकृत “निवेश अनुबंध” होते हैं, यानी कि वे एक तरह की सिक्यूरिटी ही होते हैं। अदालत ने “हॉवे टेस्ट” का इस्तेमाल कर यह निर्धारित किया कि वे निवेश सिक्योरिटीज़ ही थे क्योंकि उनके तहत मुनाफ़े की उम्मीद से एक सामान्य एंटरप्राइज़ में पैसा निवेश किया गया था।
इन आरोपों का खंडन करते हुए Ripple ने यह तर्क दिया है कि XRP कोई सिक्यूरिटी न होकर Bitcoin और Ethereum जैसी ही एक डिजिटल मुद्रा है।
तो XRP आखिर हॉवे टेस्ट पास कैसे करती है? अपनी-अपनी ब्रीफ़िंग में कई तथ्यों पर असहमत होते हुए भी पार्टियाँ चार प्रकार के XRP डिस्ट्रीब्यूशन लेन-देन पर सहमत थीं: संस्थागत निवेशकों को की जानी वाली संस्थागत बिक्री, डिजिटल एसेट ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्मों पर की जाने वाली अल्गॉरिथमिक बिक्री, Ripple कर्मचारियों और तीसरी पार्टियों को की जाने वाली अन्य डिस्ट्रीब्यूशन, और विभिन्न प्लेटफ़ॉर्मों पर Garlinghouse और Larsen द्वारा की जाने वाली बिक्री। इस प्रकार के लेन-देन के लिए मुलज़िमों ने कोई पंजीकरण बयान दाखिल नहीं किए थे।
क्रिप्टो दीवानों और निवेशकों का मानना है कि डिजिटल मुद्राओं को विनियमित करने पर SEC का रुख काफ़ी सख्त रहा है। अगर बिक्री के समय XRP पर हॉवे टेस्ट लागू किया जाए, तो डिजिटल एसेट्स इस टेस्ट को पास नहीं करते।
Ripple और SEC के बीच चल रही कानूनी जंग की 23 अप्रैल 2024 को एक अहम सुनवाई होनी है।
हॉवे टेस्ट के मानदंड
हॉवे टेस्ट इस बात का निर्धारण करने वाले चार मानदंडों की रूपरेखा प्रदान करने वाला एक कानूनी ढाँचा है कि कोई लेन-देन एक निवेश अनुबंध है या नहीं:
- पैसे का निवेश: पैसे को नकद, संपत्ति, या अन्य उपयोगी चीज़ों में निवेश किया जाना चाहिए।
- किसी सामान्य एंटरप्राइज़ में भागीदारी: किसी साझे एंटरप्राइज के तहत एकाधिक निवेशक अपने पैसे को पूल कर देते हैं। ऐसे में, प्रोजेक्ट की सफलता बाकियों के सामूहिक प्रयास पर निर्भर करती है। आमतौर पर इस प्रोजेक्ट को किसी प्रमोटर या तीसरी पार्टी के द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- मुनाफ़े की उम्मीद: इस एलिमेंट से इस बात का मूल्यांकन किया जाता है कि अपने निवेश पर निवेशकों को मुनाफ़े की आस है या नहीं, खासकर जब वह बाकी लोगों की मेहनत पर निर्भर करता हो।
- दूसरों की मेहनत: किसी निवेश की सफलता का श्रेय किसी और की प्रतिभा, ज्ञान, या प्रबंधकीय प्रयासों को जाना चाहिए, क्योंकि ज़्यादातर रेवेनुए प्रमोटर या किसी अन्य पार्टी को ही जाता है।
सभी चार कसौटियों पर खरा उतरने वाले लेन-देन को ही निवेश अनुबंध मानकर अमेरिकी फ़ेडरल सिक्योरिटीज़ कानून के अंतर्गत प्रबंधित किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि सिक्योरिटीज़ एक्ट 1933 में परिभाषित सिक्योरिटीज़ की ऑफ़रिंग और बिक्री SEC पंजीकरण आवश्यकताओं या छूट के अधीन हो सकते हैं।
क्रिप्टो मुद्राओं और ICO के संदर्भ में टोकन बिक्री का मूल्यांकन करने के लिए 4 एलिमेंटों वाला यह टेस्ट बेहद महत्त्वपूर्ण होता है। लेकिन हॉवे टेस्ट का इस्तेमाल अमेरिकी सिक्योरिटीज़ कानून के अंतर्गत ही किया जाता है व इसे अन्य अधिकार-क्षेत्रों के नियमों में तब्दील नहीं किया जा सकता।
यह टेस्ट यह निर्धारित करता है कि किसी निवेश का मुनाफ़ा प्रमुख रूप से या पूरी तरह से निवेशक के नियंत्रण के बाहर है या नहीं। अगर निवेश के प्रबंधन पर निवेशक का न्यूनतम नियंत्रण है, तो उसके एक सिक्यूरिटी होने की अच्छी-खासी संभावना है, जबकि अगर निवेश के प्रबंधन पर उसका भारी प्रभाव है, तो उसे सिक्यूरिटी नहीं माना जाएगा।
लेकिन उसका इस्तेमाल विभिन्न मतों द्वारा प्रभावित हुआ है, जिनमें “हॉरिज़ॉन्टल कॉमनैलिटी” भी शामिल है, जिसके तहत सभी निवेशकों के एक ही पॉट में निवेश को एक सामान्य एंटरप्राइज़ माना जाता है, और “वर्टीकल कॉमनैलिटी”, जो निवेशक के पैसे और निवेशक द्वारा की गई मेहनत के बीच के संबंध पर केंद्रित होती है।
“मुनाफ़े की उम्मीद” भी चर्चा का विषय है। कुछ अदालतों ने डिविडेंड या मूल्य में आने वाली बढ़ोतरी को तवज्जो दी है, जबकि बाकियों ने अलग-अलग प्रकार की रिटर्न को प्राथमिकता दी है, जैसे नुकसान से बचना। निवेश की सफलता में प्रमोटर की भूमिका की अहमियत भी चर्चा का विषय रही है।
ज़्यादातर अदालतें इस बात पर गौर करती हैं कि निवेश की सफलता को प्रभावित करने वाले व्यवसायिक फ़ैसलों को प्रमोटर नियंत्रित करता है या नहीं, लेकिन कुछ अदालतें निवेश की समूची सफलता में प्रमोटर की भूमिका पर भी विचार करती हैं।
क्रिप्टो जगत में हॉवे टेस्ट
अमेरिकी कानून के तहत किसी क्रिप्टो मुद्रा ऑफ़रिंग को सिक्यूरिटी करार दिया जाना चाहिए या नहीं, इस बात का निर्धारण करने में हॉवे टेस्ट एक अहम भूमिका निभाता है। यह क्रिप्टो व्यवसायों और निवेशकों, दोनों ही के लिए अहम है क्योंकि फ़ेडरल सिक्योरिटीज़ कानूनों के उल्लंघन से जुर्माने लग सकते हैं, कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है।
क्रिप्टो मुद्रा कंपनियों को ऑफ़रिंग बनाने से पहले हॉवे टेस्ट पर सावधानीपूर्वक विचार कर लेना चाहिए। टेस्ट की कसौटी पर खरे न उतरने वाले टोकनों को यूटिलिटी टोकन माना जाता है, जो या तो निवेशकों को भावी उत्पादों या सेवाओं का एक्सेस प्रदान करते हैं या फिर जिन्हें डिस्काउंट किए गए शुल्क अदा कर रिडीम किया जा सकता है।
क्रिप्टो मुद्रा वाले हॉवे टेस्ट के मायने इस बात पर निर्भर करते हैं कि नियामक टेस्ट को लागू कैसे करते हैं और सिक्योरिटीज़ फ़ेडरल कानून के अनुपालन के लिए कंपनियाँ अपनी ऑफ़रिंग को स्ट्रक्चर कैसे करती हैं।
डिजिटल मुद्रा बाज़ार के विस्तार के साथ-साथ हॉवे टेस्ट की कसौटियों को क्रिप्टो मुद्रा पर लागू करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है। यह टेस्ट डिजिटल एसेट्स के बारे में छानबीन करने वाले नियामकों और निवेशकों के लिए एक दिशानिर्देश के तौर पर काम करता है।
सिक्योरिटीज़ अनुपालन कानूनों का अनुपालन करने के लिए क्रिप्टो स्टार्ट-अप्स, एक्सचेंजों, और निवेशकों को पंजीकरण आवश्यकताओं, निवेशक सुरक्षा, अनुपालन प्रणालियों, कानूनी सलाह, और नियामक जाँच-पड़ताल से वाकिफ़ होना चाहिए। अगर कोई टोकन सुरक्षा की परिभाषा पर खरा उतरता है, तो उसे या तो SEC के साथ पंजीकरण करवा लेना चाहिए या फिर छूट के लिए क्वालीफ़ाई करना चाहिए।
क्रिप्टो कंपनियों को निवेशकों के साथ व्यवहार में पारदर्शिता और ईमानदारी बरतते हुए अनुपालन की पुख्ता प्रणालियाँ स्थापित करनी चाहिए, सिक्योरिटीज़ कानून और क्रिप्टो मुद्रा में अनुभवी कानूनी सलाह लेनी चाहिए, और SEC व अन्य संस्थाओं द्वारा दायर किए गए हालिया मुकदमों से वाकिफ़ रहना चाहिए।
वित्तीय नियामक दुनियाभर में क्रिप्टो के इस्तेमाल की उचित निगरानी करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन ढाँचे को हॉवे टेस्ट जैसी एक ही “पत्थर की लकीर” पर केंद्रित कर देना भी जायज़ नहीं है। क्रिप्टो दीवानों को हमेशा अपने निवेशित प्रोजेक्टों का निरिक्षण करते रहना चाहिए, क्योंकि निवेशक टैक्स के जाल में फँस सकते हैं।
मुद्राओं के मूल्यांकन के लिए हॉवे टेस्ट के विकल्प
अपनी व्यापक लोकप्रियता और इस्तेमाल के एकाधिक मामलों के बावजूद, जिनमें SEC बनाम Ripple वाला कुख्यात मामला भी शामिल है, कोई क्रिप्टो मुद्रा एक स्टैंडर्ड निवेश है या नहीं, इस बात का मूल्यांकन करने के लिए हॉवे टेस्ट ही इकलौता तरीका नहीं है। क्रिप्टो की निवेश क्षमता को एक्सेस करने के कुछ विकल्प हैं:
रिस्क कैपिटल टेस्ट
कैपिटल रिस्क टेस्ट यह पता लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एक तरीका है कि किसी लेन-देन को एक निवेश अनुबंध माना जाएगा या नहीं और क्या वह लेन-देन सिक्योरिटीज़ कानूनों के अंतर्गत आता है कि नहीं। इसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कोई फ़्रेंचाइज़ी किसी फ़्रेंचाइज़र को अपना कामकाज शुरू करने के लिए पूंजी का एक अच्छा-खासा हिस्सा मुहैया कराती है।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी फ़्रेंचाइज़र को एक नया कारोबार शुरू करने के लिए $10 लाख की ज़रूरत है और मुनाफ़े के हिस्से के बदले उसे $8,00,000 निवेश करने वाली कोई फ़्रेंचाइज़ी मिल जाती है, तो इस बात की अच्छी-खासी संभावना है कि कैपिटल रिस्क टेस्ट उस लेन-देन को सिक्योरिटीज़ कानूनों के अंतर्गत आने वाले किसी निवेश अनुबंध के तौर पर वर्गीकृत कर देगा।
पारिवारिक समानता टेस्ट
1990 में स्थापित किया गया यह टेस्ट निवेश सौदों की आम सिक्योरिटीज़ से तुलना कर निवेश के कारणों, बिक्री के तौर-तरीकों, और वांछित परिणामों की जाँच करता है।
इस टेस्ट का इस्तेमाल किसी निवेश संदर्भ (सिक्योरिटीज़) में जारी किए गए नोटों और किसी वाणिज्यिक या उपभोक्ता संदर्भ (गैर-सिक्योरिटीज़) में जारी किए गए नोटों में फ़र्क करने के लिए किया जाता है। ऐसा करने के लिए इन मानदंडों का इस्तेमाल किया जाता है:
- संबंधित लेन-देन के पीछे खरीदार या विक्रेता की प्रेरणा;
- नोट-वितरण की योजना;
- जनता की जायज़ अपेक्षा कि कोई नोट सिक्यूरिटी है या नहीं;
- कोई और नियामक स्कीम लेन-देन या नोट की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है या नहीं;
पारिवारिक समानता टेस्ट क्रिप्टो जैसे नए, जटिल निवेशों पर भी लागू होता है।
रेवेज़ टेस्ट
रेवेज़ टेस्ट उन चार कारकों की पहचान करता है, जो इस बात का निर्धारण करते हैं कि कोई नोट सिक्यूरिटी है या नहीं: खरीदार और विक्रेता की प्रेरणाएँ, वितरण योजना, जनता की अपेक्षाएँ, और जोखिम को कम करने वाले कारक।
2021 में SEC की ब्लॉकचेन क्रेडिट पार्टनर्स और उसके संस्थापकों के खिलाफ़ की गई कार्रवाई में, SEC ने रेवेज़ टेस्ट का इस्तेमाल कर यह साबित किया था कि ऑफ़र किए गए टोकन सिक्योरिटीज़ ही थे। उसका कहना था कि DMM और उसके संस्थापकों ने पैसा जुटाने के लिए टोकन बेचे थे, और खरीदारों ने उन्हें सिर्फ़ निर्दिष्ट रिटर्न प्राप्त करने के लिए ही खरीदा था। इन टोकनों को जोखिम को कम करने वाले किसी भी कारक से रहित निवेश के तौर पर प्रमोट भी किया गया था, जिसके चलते रेवेज़ टेस्ट की चारों के चारों शर्तें पूरी हो गई थीं।
पूंजी योगदान टेस्ट
Ethereum जैसी विकेंद्रीकृत प्रणालियों में पैसे के ऊपर नियंत्रण का मूल्यांकन करने के लिए पूंजी योगदान टेस्ट एक कारगर उपकरण होता है, व हॉवे टेस्ट के विफल रहने पर यह टेस्ट उपयोगी साबित हो सकता है।
इस्लामिक फ़ाइनेंस के लिए AAOIFI मानक
AAOIFI इस्लामिक वित्तीय कानून के लिए एकाउंटिंग मानक विकसित करता है। उसने शरिया, एकाउंटिंग, ऑडिटिंग, गवर्नेंस, और नैतिकता को कवर करने वाले 117 मानक जारी किए हैं। AAOIFI के मानक उसकी वेबसाइट पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।
AAOIFI मानकों को बहरीन, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, लेबनान, सीरिया, सूडान, और जॉर्डन समेत कई देशों द्वारा अपनाया गया है। हालांकि ये मानक सदस्यों के लिए अनिवार्य नहीं हैं, मगर अपनी व्यापक स्वीकृति को प्रोत्साहित करने में इन्होंने बहुत तरक्की की है।
क्रिप्टो निवेशों को AAOIFI मानकों का अनुपालन करते हुए ब्याज, अनिश्चितता, और जुए से बचते हुए शरिया कानून का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
निष्कर्ष
1970 के दशक में पेश किया गया हॉवे टेस्ट इस बात का निर्धारण करने का एक अहम उपकरण है कि किसी निवेश को विनियमन की आवश्यकता है कि नहीं। वह एक कानूनी ढाँचा है, जिसका लक्ष्य निवेश में धोखाधड़ी पर लगाम लगाना है। पारदर्शिता को तवज्जो देते हुए वह नाम या लेबल के बजाय लेन-देन की आर्थिक वास्तविकताओं की जाँच को प्रोत्साहित करता है।
क्रिप्टो मुद्राओं से पहले विकसित किए गए इस टेस्ट ने क्रिप्टो जगत को भारी रूप से प्रभावित किया है। क्रिप्टो एसेट्स की विकेंद्रीकृत प्रकृति के चलते उन्हें सिक्योरिटीज़ के पारंपरिक कानून के साथ मिलाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन ICO जैसे क्रिप्टो इकोसिस्टम के कुछ एलिमेंट हॉवे टेस्ट को पास करने का माद्दा रखते हैं।
क्रिप्टो हॉवे टेस्ट ब्लॉकचेन या क्रिप्टो व्यवसाय मालिकों के लिए काफ़ी अहमियत रखता है क्योंकि उनके निवेश की रक्षा कर जुर्मानों से उन्हें बचाने में वह उनकी मदद कर सकता है। तेज़ी से बदलते क्रिप्टो बाज़ार में निवेशकों की सुरक्षा और इनोवेशन के बीच तालमेल बिठाने में नियामकों और कानून विशेषज्ञों को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
आम सवाल-जवाब
क्या क्रिप्टो मुद्राएँ सिक्यूरिटीज़ के तौर पर क्वालीफ़ाई करती हैं?
अमेरिकी सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन ज़्यादातर क्रिप्टो को सिक्योरिटीज़ के तौर पर देखता है। Bitcoin और Ethereum इसके अपवाद हैं।
NFT पर हम हॉवे टेस्ट कैसे लागू कर सकते हैं?
किसी सामान्य एंटरप्राइज़ से प्राप्त होने पर कुछ NFT हॉवे टेस्ट को पास कर सकते हैं, लेकिन मुमकिन है कि SEC उन्हें किसी निवेश अनुबंध के तौर पर वर्गीकृत न करे।
Bitcoin हॉवे टेस्ट में फ़ेल क्यों हो जाता है?
Bitcoin पहली कसौटी पर तो खरा उतरता है, लेकिन दूसरी और तीसरी कसौटियों पर नहीं क्योंकि इस कॉइन में कोई सामान्य एंटरप्राइज़, प्रमोटर या जारीकर्ता के साथ-साथ निवेशकों की सफलता का वादा भी नहीं होता।
क्रिप्टो के लिए हॉवे टेस्ट अहम क्यों होता है?
हॉवे टेस्ट इस बात का मूल्यांकन करने का उपकरण होता है कि कोई क्रिप्टो मुद्रा लेन-देन सिक्योरिटीज़ विनयमों के अधीन है कि नहीं, जिसका प्रभाव कानूनी अनुपालन, निवेशक सुरक्षा, और नियामक निरिक्षण पर पड़ता है।
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