फ्लोट रोटेशन की व्याख्या – यह आपकी बाज़ार के अदृश्य पैटर्नों को जानने में कैसे मदद करता है?
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हाल ही के सालो में ट्रेडिंग एक सबसे लाभप्रद और आकर्षक करियर विकल्पों में से एक बन कर उभरा है। पूर्व में, ट्रेडिंग तक पहुंच केवल उच्च शिक्षित पेशेवरों की ही हुआ थी, जिनके पास ट्रेडिंग के लिए अतिरिक्त फंड उपलब्ध थे। अब, डिजिटल तकनीकी ढेरों लोगो को वैश्विक ट्रेडिंग में भाग लेने और अपने प्रयासों पर बेहतरीन रिटर्न प्राप्त करने की अनुमति देती हैं। हालाँकि, इस विस्तृत पहुंच का मतलब यह नहीं है कि ट्रेडिंग अब पहले की तुलना में अधिक आसान हो गयी है। इसके उलट, बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा के कारण ट्रेडिंग अब और भी अधिक चुनौतीपूर्ण और कठिन हो गयी है।
यह लेख ट्रेडिंग के क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक – फ्लोट रोटेशन के बारे में और निवेशकों के लिए इससे जुड़े लाभों के बारे मे चर्चा करेगा।
प्रमुख बिंदु
- फ्लोटिंग स्टॉक का तात्पर्य उन शेयरों की कुल संख्या से हैं जिन्हे शेयर बाजार में स्वतंत्र रूप से ट्रेड किया जा सकता है।
- फ्लोट रोटेशन ट्रेडिंग घंटों के दौरान कुल फ्लोटिंग स्टॉक टर्नओवर के अनुपात की गणना करता है।
- फ़्लोट रोटेशन किसी विशेष कंपनी के शेयरों से संबंधित बाज़ार-व्यापी रणनीतियों में बदलाव को समझने का एक शानदार तरीका है।
चलिए मूल बात से शुरू करते है – फ्लोट इन स्टॉक क्या होते है?
फ्लोट रोटेशन के सिद्धांत को समझने के लिए, चलिए पहले फ्लोटिंग स्टॉक की परिभाषा समझते हैं। एक आसान प्रश्न के उत्तर के साथ शुरू करते हैं- क्या जारी किए गए सभी स्टॉक, बाजार में सक्रिय ट्रेड के लिए उपलब्ध होते हैं? सैद्धांतिक रूप से, जारी किए गए सभी स्टॉक, ट्रेडर्स के लिए उपलब्ध होने चाहिए, है ना? लेकिन वास्तविकता में, स्टॉक्स का कुछ हिस्सा अंदरूनी कर्मचारियों, शीर्ष प्रबंधन या वित्तीय संस्थानों के पास होता हैं जिसके कारण स्टॉक्स एक हिस्सा लगभग हमेशा अनुपलब्ध रहता है। कुछ स्टॉक्स को विभिन्न नियामक के कारणों से ट्रेड करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
फ्लोट शेयर बनाम आउटस्टैंडिंग शेयर
इस प्रकार, स्टॉक की कुल आपूर्ति, बकाया कहा जाता है शेयर, और ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध स्टॉक की मात्रा दो अलग-अलग आंकड़े हैं, और फ्लोटिंग स्टॉक इसका प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे कई करक है हो फ्लोट स्टॉक को प्रभावित करते हैं, जिसमें स्टॉक बायबैक, एग्जीक्यूटिव टेकओवर या कंपनी के बिजनेस मॉडल की रीस्ट्राक्चरिंग शामिल है। इसीलिए,फ्लोट स्टॉक की संभावित प्रतिशत मात्रा को समझने के लिए कंपनियों और उनके निर्णयों पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है।
फ्लोट कीमतों को कैसे प्रभावित करता है?
परन्तु फ्लोटिंग स्टॉक का काम क्या है? हालाँकि, प्रतिबंधित शेयरों का ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों से कुछ भी लेनादेना नहीं होता हैं। साथ ही, वे शेयर की कीमत को सीधे प्रभावित भी नहीं करते हैं। हालाँकि, स्टॉक प्रतिबंधन अभी भी बाज़ार में होने वाले स्टॉक मूल्यों के उतार-चढ़ाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। फ्लोटिंग स्टॉक शेयर बाजारों की लिक्विडिटी को काफी प्रभावित करते हैं। आसान शब्दों में कहें तो, फ्लोटिंग अनुपात किसी विशेष कंपनी के शेयरों की उपलब्धता को दर्शाता है।
उदाहरण के लिए, यदि Google के फ्लोटिंग स्टॉक कुल जारी स्टॉक्स का 70% हैं और बाजार में 80% की मांग करता है, तो प्रतिबंधित शेयर इल्-लिक्विडिटी का कारण बनते हैं। जसिके फलस्वरूप बाज़ार की बढ़ी हुई मांग के कारण Google के शेयरों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे ट्रेडर्स के लिए Google के शेयर खरीदना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसके विपरीत, यदि उपलब्ध फ्लोटिंग स्टॉक बाजार में मौजूद मांग से अधिक हैं, तो शेयरों को बाजार में अच्छे दामों पर खरीदना आसान होता हैं।
हालाँकि, कुछ मामलों में फ्लोटिंग स्टॉक के प्रतिशत में नाटकीय बदलाव होते है, जिसके चलते कुछ कंपनियों के शेयर कुछ ही घंटों में लिक्विड या इल्-लिक्विड हो जाते हैं। उच्च और निम्न-फ्लोट शेयरों के लिए नाटकीय रूप से अलग-अलग रणनीतियों की आवश्यकता होती है, और ट्रेडर्स को उस अनुसार की उनका उपयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए, निम्न-फ्लोट स्टॉक काफी अस्थिर होते हैं।
अगर जल्द ही मांग बढ़ने की उम्मीद है तो उन्हें एक निश्चित अवधि के लिए रख कर ट्रेडर्स शानदार लाभ अर्जित कर सकते है, क्योंकि वे निम्न-फ्लोट स्टॉक्स को बेहतरीन प्रीमियम के साथ बेच सकते हैं। इसके विपरीत, हाई-फ्लोट स्टॉक को रखने अक्सर कोई अर्थ नहीं होता है, क्योंकि वे बाजार के लिए अनोखे संसाधन नहीं होते हैं। हालाँकि, यदि बाज़ार किसी विशेष छण तेजी से बढ़ोत्तरी दर्शाता है तो यह बिलकुल बदल सकता है। इसीलिए, वांछित स्टॉकों की फ्लोटिंग मात्रा पर नज़र रखना बेहद फायदेमंद और महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगामी ट्रेडिंग विंडो में उन्हें खरीदना काफी कठिन हो सकता है।
फ्लोट रोटेशन की गणना कैसे करें?
जैसा कि ऊपर वर्णित है, फ्लोट रोटेशन फॉर्मूला की गणना करना अपेक्षाकृत आसान है। फ्लोट रोटेशन में दो महत्वपूर्ण करक होते हैं – फ्लोटिंग स्टॉक और एक विशेष अवधि के दौरान उनकी ट्रेड की गई मात्रा। किसी विशेष कंपनी के फ्लोटिंग स्टॉक की गणना करने के लिए, उस कंपनी के सभी बकाया शेयरों में से प्रतिबंधित शेयरों को घटाना आवश्यक हैं। इसके बाद, फ्लोट रोटेशन फॉर्मूला में कुल शेयर बिक्री को फ्लोटिंग स्टॉक की मात्रा से विभाजित किया जाता है। प्राप्त अनुपात एक दिन की ट्रेडिंग अवधि के दौरान फ्लोट शेयरों के आदान-प्रदान की कुल संख्या को दर्शाता है। ट्रेडिंग वॉल्यूम को सरल और समझने योग्य तरीके से जानने के लिए फ्लोट चार्ट का अध्ययन करना भी अच्छा माना जाता है।
ट्रेडिंग में फ्लोट रोटेशन क्यों आवश्यक है?
फ्लोट रोटेशन, फ्लोट मात्रा का उपयोग करके किसी कंपनी के शेयरों की एक विशेष अवधि के दौरान, आमतौर पर एक ट्रेडिंग दिन के टर्नओवर की कुल संख्या की पहचान करता हैं। इस सिद्धांत को समझने के लिए कल्पना करें कि एक ऐसी कंपनी है जिसके पास 10,000 आउटस्टैंडिंग शेयर है लेकिन फ्लोटिंग शेयर केवल 5,000 हैं। ट्रेडिंग के दौरान 5,000 फ्लोट स्टॉक का 20,000 बार ट्रेड किया गया। इस स्थिति में, फ्लोट रोटेशन का आंकड़ा 4 होगा, क्योंकि बाजार में X कंपनी के केवल 5,000 ही शेयर उपपलब्ध थे, परन्तु ट्रेडिंग के दिन के दौरान उन शेयरों का चार गुना बार ट्रेड किया गया।
अर्थात, फ्लोट रोटेशन एक सूत्र है जो कि की गणना करता है स्टॉक टर्नओवर अनुपात की। यह ट्रेडिंग के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण पहलु है, जो दर्शाता है कि उपलबध कुल शेयरों के स्वामित्व की कितनी बार अदला-बदली की है। इस अनुपात की गणना और इसे समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्टॉक मूल्यों के उतार चढाव पर प्रकाश डाल सकता है। प्रत्येक बार जब फ्लोट स्टॉक्स के स्वामित्व में फेर बदल होता है, ट्रेडिंग हित पूरी तरह से रीसेट हो जाते हैं।
नए स्वामियों की नई आकांक्षाएं होती हैं। यदि पिछला लक्ष्य कीमत का 100 डॉलर तक पहुंचना था, तो नए स्टॉकधारकों आकांक्षाएं की उस राशि को और अधिक बढ़ाने की होगी। इसके विपरीत, नए स्टॉकधारकों को मंदी का भी सामना करना भी पड़ सकता हैं और वे इन शेयरों को रखने का निर्णय ले सकते हैं, जिससे पूरे शेयर बाजार में एक उलट प्रभाव पड़ेगा। इसीलिए, जो ट्रेडर्स किसी विशेष स्टॉक को शॉर्ट करना चाहते हैं उन्हें यह विचार करना चाहिए कि ये शेयर पूरी तरह से अलग-अलग पार्टियों के स्वामित्व में हैं, जो शॉर्ट पोजीशन की सफलता को काफी प्रभावित कर सकता है।
इस बिंदु पर और अधिक जोर देने के लिए, आइए एक स्तिथि की कल्पना करते, जहाँ कंपनी X के शेयरों का फ्लोट रेट एक से कम हो। इसका मतलब यह है कि ऊपर बताए गए 5,000 शेयरों का ट्रेडिंग के दौरान पूरा ट्रेड नहीं हो सका। इसीलिए, स्टॉकहोल्डर्स की सामान्य रणनीति अगले ट्रेडिंग अंतराल के लिए समान ही रहेगी। यदि फ्लोट रोटेशन एक के अनुपात को पार करता है, तो सम्पूर्ण बाजार रणनीति में बदलाव करने की संभावना होगी। इसीलिए, ट्रेडर्स को भविष्य में कीमतों होने वाले फेरबदल का सटीक अनुमान लगाने के लिए नए स्टॉकहोल्डर्स के संभावित रणनीतिक परिवर्तनों का अध्ययन करना चाहिए।
अंतिम विचार
फ्लोट रोटेशन शेयर बाजार में कीमतों में होने वाले ढेरों उतार-चढ़ावों के पैटर्न्स और कारणों को समझने का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इस फॉर्मूले की मदद से, ट्रेडर्स बाजार की गतिविधि को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और बेहतर डेटा-इन्फोर्मेडट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बना सकते हैं, अंधेरे में तीर चलने के बजाय। किसी भी वांछित शेयर के लिए फ्लोट रोटेशन की गणना करना और उसकी जांच करना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह किसी विशेष कंपनी के शेयरों की संपूर्ण बाजार रणनीति में होने वाले महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत दे सकते हैं।
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