कीमतों के रुझानों का बेहतर विश्लेषण करने में VWAP इंडिकेटर कैसे आपकी मदद कर सकते हैं?
आर्टिकल्स
एनालिटिक्स टूल्स, ऑटोमेटेड ट्रेडिंग बॉट्स, कीमतों की लाइव अपडेट्स और फ़र्राटेदार सौदों को सुविधाजनक बनाने वाले मल्टी-फ़ंक्शनल प्लेटफ़ॉर्मों ने आधुनिक ट्रेडिंग गतिविधियों की पहुँच का और भी विस्तार कर दिया है।
रिटेल ट्रेडरों की भारी भीड़ और बाज़ार की फलती-फूलती गतिविधियों के चलते विभिन्न निवेश बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा का स्तर ऊँचा हो गया है।
इसलिए विदेशी मुद्रा और क्रिप्टो जैसे बाज़ारों तक पहुँच पाना पहले से काफ़ी आसान हो गया है, लेकिन एक सफल ट्रेडर बनने के लिए समय, मेहनत और बाज़ार के विश्लेषण को सरल बनाने वाले तकनीकी इंडिकेटरों की एक गहरी समझ की ज़रूरत होती है।
वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) एक अहम ट्रेडिंग इंडिकेटर है, जिसे इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक अनिवार्य टूल के तौर पर जाना जाता है।
इस लेख में बाज़ार के सेंटिमेंट का सही मूल्यांकन कर कीमतों में आने वाली भावी गतिविधियों का विश्वसनीय अनुमान लगाने में VWAP इंडिकेटर की भूमिका के बारे में हम चर्चा करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) प्राइस एक्शन को एसेट की ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ मिलाकर देखने वाला एक मेट्रिक होता है।
- VWAP के चलते ट्रेडर हाई लिक्विडिटी ज़ोन्स में ज़रूरत से ज़्यादा या कम मूल्य वाले ट्रेड योग्य एसेट्स की पहचान कर पाते हैं।
- एक शॉर्ट-टर्म मेट्रिक के तौर पर VWAP सिर्फ़ एक ही इंट्राडे ट्रेडिंग अवधि के बारे में जानकारी मुहैया कराता है।
- सबसे जानी-मानी VWAP रणनीति के तहत इस फ़ॉर्मूला का बॉलिंजर बैंड्स के साथ इस्तेमाल कर सपोर्ट या रेज़िस्टेंस स्तरों की पहचान की जाती है।
VWAP (वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस) इंडिकेटर की अहमियत
अनुभवी ट्रेडरों के टूलबॉक्स में VWAP इंडिकेटर का एक खास स्थान होता है। इस मेट्रिक के चलते निवेशक एक ही इंट्राडे ट्रेडिंग सत्र में फ़टाफ़ट प्राइस एक्शन को समझ पाते हैं।
किसी एसेट के लिए अदा की गई औसत कीमत और उसकी संबंधित वॉल्यूम का इस्तेमाल कर VWAP इंडिकेटर यह साफ़-साफ़ बता सकता है कि उस एसेट को ज़रूरत से ज़्यादा खरीदा या बेचा गया है या नहीं।
इंडिकेटर प्राइस और वॉल्यूम डेटा को जोड़कर VWAP इंडिकेटर ट्रेडिंग गतिविधियों में आने वाली बढ़ोतरी या कमी को दर्शाने वाला एक ज़्यादा प्रासंगिक मेट्रिक बनकर उभरता है। नतीजतन बड़े लिक्विडिटी ज़ोन्स और ट्रेड योग्य एसेट्स की खरीद-फ़रोख्त के लाभकारी अवसरों की पहचान के लिए ट्रेडर VWAP इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
VWAP बनाम प्राइस ओरिएंटेड ट्रेड इंडिकेटर
ज़्यादातर अन्य तकनीकी इंडिकेटर प्राइस मेट्रिक पर आधारित होकर अलग-अलग फ़ॉर्मूला के साथ प्राइस मूवमेंट्स का विश्लेषण करते हैं। शून्य में ऐसे फ़ॉर्मूलों पर निर्भर करना जटिल होता है क्योंकि प्राइस मूवमेंट में वॉल्यूम शामिल नहीं होती है।
इसलिए प्राइस-वॉल्यूम संबंध का अंदाज़ा लगाकर इस बात का पता लगाना नामुमकिन होता है कि क्या वह एसेट एक विशिष्ट समय-सीमा के दरमियाँ खरीदे या बेचे जाने लायक लिक्विड है भी या नहीं।
उदाहरण के तौर पर, हालांकि VWAP और सिंपल मूविंग एवरेज मैट्रिक्स एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं, SMA इंडिकेटर सिर्फ़ प्राइस पैटर्न्स का ही विश्लेषण करता है। मान लीजिए SMA औसत कीमतों से एक डेविएशन दर्शाती है। ऐसे में, एक लॉन्ग या शॉर्ट पोज़ीशन प्राप्त करना फ़ायदे का सौदा होगा।
लेकिन SMA मेट्रिक वॉल्यूम पर गौर नहीं करता है, जिससे निवेशक यह सोचकर गुमराह हो सकते हैं कि मौजूदा बाज़ार में प्राइस एक्शन अहम है। यह ज़रूरी नहीं कि हमेशा ऐसा ही हो क्योंकि कीमतों में आने वाले बदलाव के लिए लिक्विडिटी की कमी भी ज़िम्मेदार हो सकती है, जो प्रतिकूल ट्रेड डील्स का सबब बन सकती है।
VWAP का हिसाब कैसे लगाएँ?
VWAP का हिसाब लगाने की प्रक्रिया काफ़ी सरल होती है, क्योंकि इसके तहत ट्रेड योग्य एसेट के प्राइस डेटा और संबंधित वॉल्यूम स्तरों की ज़रूरत होती है। सबसे ऊँची, सबसे कम और क्लोज़िंग कीमतों को लेकर एक औसत प्राइस नंबर निकालने वाला प्राइस डेटा किसी इंट्राडे ट्रेडिंग पैटर्न की औसत कीमत (सामान्य मूल्य) का हिसाब लगाता है।
उसके बाद, संबंधित ट्रेडिंग वॉल्यूम हिसाब लगाकर प्राप्त की गई औसत का वेट करती है, जो VWAP मेट्रिक की सबसे अहम खूबी होती है। नतीजतन प्राइस एक्शन का अनुमान लगाकर उपयोगकर्ता इस बात को समझ सकते हैं कि क्या प्राइस मूवमेंट्स को ट्रेड योय एसेट से संबंधित किसी बढ़ी हुई ट्रेडिंग गतिविधि का सपोर्ट प्राप्त है या नहीं।
जहाँ VWAP मेट्रिक का अपने आप ही सबसे बड़े ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्मों और डेटा साइटों पर हिसाब लगाया जा सकता है, उसका मैन्युअल हिसाब लगाने की प्रक्रिया काफ़ी सरल है। लेकिन VWAP मेट्रिक को हर चंद मिनट बाद अपडेट करना ज़रूरी होता है, क्योंकि बदलती वॉल्यूम से अंतिम इंडिकेटर पर भारी प्रभाव पड़ता है।
इसलिए मानवीय भूल की संभावना को समाप्त करने के लिए ऑटोमैटिक हिसाब-किताब लगाने में ही समझदारी होती है। एक एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म या ब्रोकर एजेंसी के तौर पर एक बिल्ट-इन VWAP कैलकुलेशन फ़ीचर इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि इसकी बदौलत उपयोगकर्ता इस इंडिकेटर को फ़टाफ़ट एक्सेस कर उसका विश्लेषण कर पाते हैं।
VWAP के ऊपरी और निचले बैंड्स
जैसाकि उपर्युक्त उल्लिखित है, VWAP लाइन किसी निश्चित अवधि के दौरान कुल वॉल्यूम द्वारा वेट की गई औसत कीमत को दर्शाती है। हालांकि क्लासिक फ़ॉर्मूला बस प्राइस चार्ट को फ़ॉलो करने वाली एक लाइन ही होती है, ट्रेडर अक्सर VWAP लाइन का ऊपरी और निचले बैंड्स के साथ इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
VWAP मेट्रिक की कैलकुलेट की गई स्टैंडर्ड डेविएशनों के तौर पर काम करने वाले बैंड्स सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों के संबंधित विशुअल्स को प्रदर्शित करते हैं।
प्राइस चार्ट को फ़ॉलो कर ऊपरी और निचले बैंड्स ट्रेड योग्य एसेट्स के ज़रूरत से ज़्यादा खरीदे और बेचे स्तरों को दर्शाते हैं। अगर प्राइस ऊपरी बैंड के ऊपर स्पाइक करता है, तो इसका मतलब यह होता है कि एसेट को ज़रूरत से ज़्यादा खरीदा गया है व उसके जल्द ही एक मंदड़िया रुझान अपनाने की संभावना है। इसकी विपरीत बात निचले बैंड पर फ़िट बैठती है, यानी कि एसेट को ज़रूरत से ज़्यादा बेचा गया है व उसके तेजड़िए बाज़ार में प्रवेश करने की संभावना है।
एक जोखिम प्रबंधन टूल के तौर पर VWAP इंडिकेटर
VWAP इंडिकेटरों को कैसे पढ़ना चाहिए, इस बारे में कोई ऑब्जेक्टिव जवाब नहीं है, क्योंकि सब कुछ आपके विशिष्ट लक्ष्यों और ट्रेडिंग रणनीति पर निर्भर करता है। लेकिन बाज़ार का कभी भी आकलन कर अपनी पसंदीदा निवेश रणनीतियों को एक्सीक्यूट करने के लिए तैयार होने के लिए VWAP का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों का विश्लेषण VWAP विश्लेषण का सबसे अहम अंग होता है, क्योंकि वह दर्शाता है कि किसी विशिष्ट एसेट को बड़ी-बड़ी मात्राओं में खरीदने-बेचने के लिए बाज़ार कब तैयार होता है।
जैसाकि ऊपर बताया गया है, कीमतों में आने वाला हर बदलाव निवेश के एक शानदार अवसर का संकेत नहीं होता है। वह इसलिए कि मुमकिन है कि बढ़ी हुई लिक्विडिटी उतार-चढ़ाव को सपोर्ट न कर पाए। नतीजतन एसेट में आने वाले उतार-चढ़ाव के पीछे बाज़ार की बढ़ी हुई दिलचस्पी के हाथ न होकर अस्थिरता का हाथ हो सकता है।
इसलिए VWAP अक्सर ट्रेडरों को यह बताता है कि उन्हें कब ट्रेड करना चाहिए और कब जल्दबाज़ी वाले फ़ैसले लेने से बचना चाहिए। इस प्रकार, जोखिम को कम करने वाले मैकेनिज़्म के तौर पर VWAP काफ़ी कारगर साबित होता है व इसकी बदौलत निवेशक कम लिक्विडिटी वाले ज़ोन्स से बचकर सिर्फ़ तभी ट्रेड करते हैं, जब सौदे एक्सीक्यूट करने के लिए बाज़ार में पर्याप्त लिक्विडिटी हो।
जानी-मानी VWAP ट्रेडिंग रणनीतियाँ
हालांकि सबसे जानी-मानी VWAP ट्रेडिंग रणनीति के तहत इक्वेशन पर बॉलिंजर बैंड्स को लागू किया जाता है, इस मेट्रिक के साथ मूविंग औसतों और रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स के इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता है।
अगर VWAP नतीजे मूविंग औसतों और RSI से मिलते-जुलते हों, तो ट्रेडर प्रभावी रूप से VWAP मेट्रिक्स की वैधता की दोगुनी-तिगुनी जाँच ही कर रहे होते हैं। परिणामस्वरूप आड़े-तिरछे या भ्रामक नतीजे प्राप्त करने की संभावना में भारी गिरावट आ जाती है।
बाज़ार के रुझानों के साथ VWAP बैंड्स रणनीति
जैसाकि ऊपर उल्लिखित है, बॉलिंजर बैंड्स का VWAP के साथ इस्तेमाल एक ऐसी कारगर रणनीति होती है, जिसका ज़्यादातर पेशेवर ट्रेडर इस्तेमाल करते हैं। सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों की पहचान भी ट्रेडिंग की अहम टास्क होती है, जिसके चलते निवेशक कीमतों की भावी गतिविधियों का अनुमान लगाकर यह फ़ैसला कर पाते हैं कि उन्हें कोई लॉन्ग पोज़ीशन लेनी चाहिए या शॉर्ट पोज़ीशन।
आमतौर पर ऊपरी बैंड्स रेज़िस्टेंस स्तरों की सूचक होते हैं व एसेट की कीमत में आने वाली गिरावट की ओर इशारा करते हैं। इसके विपरीत, निचले बैंड्स सपोर्ट स्तरों की ओर इशारा कर किसी एसेट को खरीदने का एक शानदार अवसर प्रदान करते हैं।
लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि रेज़िस्टेंस और सपोर्ट स्तर फ़ाइनल हों, क्योंकि किसी एसेट की कीमत आगे भी घट-बढ़ सकती है। भ्रामक सपोर्ट और रेज़िस्टेंस स्तरों का जोखिम और भी बढ़ जाता है क्योंकि VWAP का इस्तेमाल सिर्फ़ एक ही इंट्राडे अवधि के दौरान किया जाता है।
इसलिए शून्य में ट्रेडरों को VWAP बैंड विश्लेषण पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि VWAP द्वारा प्रयुक्त शॉर्ट-टर्म डेटा कभी-कभी कुछ ज़्यादा ही छोटा साबित होता है।
अंतिम विचार
विभिन्न बाजारों में ट्रेडरों के लिए VWAP इंडिकेटर एक अनिवार्य उपकरण बनकर उभरा है। लिक्विडिटी ज़ोन्स के माध्यम से प्राइस एक्शन की पहचान करना अहम होता है व कोई ट्रेड ऑर्डर प्लेस करने से पहले हमेशा उस पर गौर कर लेना चाहिए।
लेकिन VWAP एक शॉर्ट-टर्म मेट्रिक होता है व यह ज़रूरी नहीं कि कीमतों के मौजूदा रुझानों को वह हमेशा सटीकता से दर्शाए। इसलिए ट्रेडिंग बाज़ार की आड़ी-तिरछी तस्वीर प्राप्त करने से बचने के लिए VWAP इंडिकेटर का अन्य, ज़्यादा लॉन्ग-टर्म मेट्रिक्स के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
उत्तर या सलाह की तलाश है?
व्यक्तिगत सहायता के लिए फॉर्म में अपने प्रश्न साझा करें