क्रिप्टो स्पॉट ट्रेडिंग क्या है? यह ट्रेडिंग के अन्य तरीकों से अलग कैसे है?
आर्टिकल्स
ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि क्रिप्टो बाज़ार में स्पॉट ट्रेडिंग का प्रभुत्व बढ़ रहा है, फरवरी 2024 में दस सबसे बड़ी एक्सचेंजों ने स्पॉट वॉल्यूम में 960 बिलियन डॉलर दर्ज किए। यह राशि कुल क्रिप्टो बाज़ार पूंजीकरण, का लगभग आधा है, जो इसी अवधि के दौरान 2 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा है।
स्पॉट ट्रेडिंग आज बाज़ार में सबसे प्रचलित तरीका है, जो ट्रेडरों को तत्काल डिलीवरी के लिए मौजूदा मार्किट प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीदने या बेचने की अनुमति देता है। इसकी सादगी के कारण इसे व्यापक रूप से पसंद किया जाता है, जिससे यह नए और अनुभवी दोनों तरह के ट्रेडरों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है।
इस गाइड में, हम क्रिप्टो स्पॉट ट्रेडिंग के बारे में जानेंगे, यह कैसे काम करती है, इसकी ताकतें और कमज़ोरियाँ, और यह भी जानेंगे कि ये ट्रेडिंग के दूसरे तरीकों से अलग कैसे है।
मुख्य बातें
- स्पॉट ट्रेडिंग में, मुनाफा खरीद और बिक्री की कीमतों के बीच के अंतर तक सीमित होता है।
- लिवरेज की अनुपस्थिति के कारण फ्यूचर्स और मार्जिन ट्रेडिंग की तुलना में स्पॉट एक कम जोखिम वाला विकल्प है।
- स्पॉट ट्रेडिंग करते समय, ट्रेडरों के पास उनके खरीदे गए एसेट का पूर्ण स्वामित्व होता है, जबकि फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में, वे केवल पूर्व निर्धारित प्राइस पर एसेट खरीदने या बेचने के लिए समझौते में प्रवेश करते हैं।
- क्रिप्टो स्पॉट मार्केट के तीन प्राथमिक प्रकार हैं क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, ओवर-द-काउंटर ट्रेडिंग और पीयर-टू-पीयर ट्रेडिंग।
स्पॉट ट्रेडिंग की बुनियादी बातें
क्रिप्टो में स्पॉट ट्रेडिंग क्या है? स्पॉट ट्रेडिंग से तात्पर्य तत्काल डिलीवरी के लिए डिजिटल एसेटों को उनके मौजूदा मार्किट प्राइस पर खरीदने या बेचने से है। यह एक सीधा तरीका है जिसमें एक क्रिप्टोकरेंसी को दूसरे से सीधे एक्सचेंज करना या फिएट करेंसी के लिए क्रिप्टो का आदान-प्रदान करना शामिल है।
फ्यूचर्स या ऑप्शंस जैसे अन्य ट्रेडिंग तरीकों के विपरीत, स्पॉट ट्रेडिंग में कोई कॉन्ट्रैक्ट अग्ग्रिमेंट या भविष्य की प्रतिबद्धताएँ शामिल नहीं होती हैं। इसके बजाय, लेन-देन तुरंत निपट जाता है, और दोनों पक्षों को अपने-अपने एसेट प्राप्त हो जाते हैं।
स्पॉट ट्रेडिंग काम कैसे करती है?
स्पॉट ट्रेडिंग की शुरुआत एक ट्रेडर द्वारा मौजूदा मार्किट प्राइस पर एक विशिष्ट डिजिटल एसेट के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर ऑर्डर देने से होती है। इसके बाद एक्सचेंज खरीद और बिक्री के ऑर्डर को मैच करता है, जिससे ट्रेडरों के बीच एसेट का तत्काल ट्रांसफर संभव हो जाता है।
इन लेनदेनों को सुविधाजनक बनाने के लिए, ट्रेडर एक्सचेंज या बाहरी वॉलेट द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल वॉलेट का उपयोग करते हैं जो उनकी पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी का समर्थन करते हैं।
आइए स्पॉट ट्रेडिंग के उदाहरण पर चर्चा करें:
उदाहरण के लिए, एक ट्रेडर $60,000 के मौजूदा मार्किट प्राइस पर 1 BTC खरीदना चाहता है। वे 1 BTC के लिए खरीद ऑर्डर देंगे, और एक बार लेनदेन पूरा हो जाने पर, उन्हें अपने डिजिटल वॉलेट में कॉइन प्राप्त हो जाएगा।
इसी तरह, यदि कोई ट्रेडर अपना 1 BTC $60,000 के मौजूदा मार्किट प्राइस पर बेचना चाहता है, तो वे 1 BTC के लिए बिक्री ऑर्डर देगा। एक बार लेनदेन पूरा हो जाने पर, उन्हें उनकी पसंदीदा करेंसी में बराबर राशि प्राप्त हो जाएगी।
स्पॉट ट्रेडिंग बनाम फ्यूचर्स ट्रेडिंग
हालाँकि स्पॉट ट्रेडिंग और फ्यूचर्स ट्रेडिंग दोनों में डिजिटल एसेट खरीदना और बेचना शामिल है, वे कई प्रमुख पहलुओं में भिन्न हैं, जो उन्हें क्रिप्टो बाज़ार में ट्रेडिंग के दो अलग-अलग तरीके बनाते हैं।
एसेट का स्वामित्व
स्पॉट और फ्यूचर्स के बीच मुख्य अंतर स्वामित्व का होता है। स्पॉट ट्रेडिंग में, लेनदेन पूरा होने पर ट्रेडर अंतर्निहित एसेट के मालिक बन जाते हैं। उनकी खरीदी गई क्रिप्टोकरेंसी पर उनका पूरा नियंत्रण होता है और वे उन्हें इच्छानुसार तुरंत ट्रांसफर या होल्ड कर के रख सकते हैं।
इसके विपरीत, फ्यूचर्स ट्रेडिंगमें वास्तविक एसेट के बजाय कॉन्ट्रैक्ट खरीदना और बेचना शामिल होता है। ट्रेडरों के पास अंतर्निहित एसेट का स्वामित्व नहीं होता है, बल्कि उनके पास एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जो भविष्य में एसेट को पूर्व निर्धारित प्राइस और समय पर डिलीवर करने का वादा करता है।
लिवरेज
फ्यूचर्स ट्रेडिंग की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता लिवरेज है। फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, ट्रेडर कम पूंजी के साथ बड़ी पोज़िशन को नियंत्रित करने के लिए लिवरेज का उपयोग कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे बड़े ट्रेड कर सकते हैं और संभावित रूप से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
हालाँकि, लिवरेज संभावित लाभ और हानि दोनों को बढ़ाता है, जिससे यह स्पॉट ट्रेडिंग की तुलना में ट्रेडरों के लिए ज़्यादा जोखिम भरा विकल्प बन जाता है। स्पॉट ट्रेडिंग में, लिवरेज का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे बड़े नुकसान का जोखिम कम हो जाता है।
ट्रेडिंग की समय-सीमा
फ्यूचर्स ट्रेडिंग का उपयोग अक्सर अल्पकालिक सट्टे की ट्रेडिंग के लिए किया जाता है, जहाँ ट्रेडर एक विशिष्ट समय सीमा के अंदर एसेट के भविष्य के मूल्य की चाल का लाभ उठाते हैं। ये ट्रेड आम तौर पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक चलता है।
दूसरी ओर, लंबी अवधि की निवेश रणनीतियों के लिए स्पॉट ट्रेडिंग ज़्यादा उपयुक्त है। जो ट्रेडर स्पॉट ट्रेडिंग में शामिल होते हैं, वे आमतौर पर संभावित दीर्घकालिक प्राइस के बढ़ने से लाभ उठाने के लिए विस्तारित अवधि, कभी-कभी वर्षों तक भी अपनी पोज़िशन बनाए रखते हैं।
स्पॉट ट्रेडिंग बनाम मार्जिन ट्रेडिंग
क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक अन्य ट्रेडिंग तरीका मार्जिन ट्रेडिंग है। हालाँकि पहली नज़र में यह स्पॉट ट्रेडिंग के समान लग सकता है, लेकिन दोनों में महत्वपूर्ण अंतर हैं।
मार्जिन की ज़रूरतें और उधार
स्पॉट ट्रेडिंग में, ट्रेडर केवल क्रिप्टोकरेंसी खरीदने या बेचने के लिए अपने खातों में जमा किए गए फंड का उपयोग कर सकते हैं। दूसरी ओर, मार्जिन ट्रेडिंग ट्रेडरों को अपनी ट्रेडिंग पूंजी को बढ़ाने के लिए किसी तीसरे पक्ष या एक्सचेंज से फंड उधार लेने की अनुमति देती है।
उधार लेने की यह क्षमता मार्जिन ट्रेडरों को बड़ी पोज़िशन लेने और संभावित रूप से उच्च लाभ जेनरेट करने में सक्षम बनाती है। हालाँकि, इसमें बड़े नुकसान का जोखिम भी ज़्यादा है क्योंकि यदि बाज़ार उनकी पोज़िशन के विपरीत चलता है तो ट्रेडरों को मार्जिन कॉल का सामना करना पड़ सकता है।
जोखिम और लाभ क्षमता
लिवरेज के उपयोग के कारण, मार्जिन ट्रेडिंग उच्च लाभ क्षमता प्रदान करती है। हालाँकि, यह बाज़ार की प्रतिकूल गतिविधियों की स्थिति में महत्वपूर्ण नुकसान के जोखिम को भी बढ़ाती है। दूसरी ओर, स्पॉट ट्रेडिंग संभावित लाभ और हानि को खरीद और बिक्री की कीमतों के अंतर तक सीमित कर देती है, जिससे यह ट्रेडरों के लिए कम जोखिम वाला विकल्प बन जाती है।
स्पॉट ट्रेडिंग के लाभ
स्पॉट ट्रेडिंग कई लाभ प्रदान करती है जो इसे कई ट्रेडरों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं:
- आसान पहुँच: स्पॉट ट्रेडिंग के लिए वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स की ट्रेडिंग में न्यूनतम ज्ञान या अनुभव की ज़रूरत होती है। जटिल वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स से जुड़े अन्य ट्रेडिंग तरीकों के विपरीत, स्पॉट ट्रेडिंग बहुत सरल है। ट्रेडर उन्नत ट्रेडिंग रणनीतियों या डेरिवेटिव के ज्ञान की ज़रूरत के बिना आसानी से कम दाम पर खरीद सकते हैं और ऊंचे दाम पर बेच सकते हैं।
- स्वामित्व: स्पॉट ट्रेडिंग में, ट्रेडर वास्तव में उनके द्वारा खरीदी गई क्रिप्टोकरेंसी के मालिक बनते हैं। यह स्वामित्व कई लाभ प्रदान करता है, जैसे एयरड्रॉप या हार्ड-फोर्क लाभ की संभावना। एसेट्स के प्रत्यक्ष मालिक होने से ट्रेडरों को अपने निवेश पर नियंत्रण रखने की भी अनुमति मिलती है।
- कम जोखिम: मार्जिन या फ्यूचर्स ट्रेडिंग की तुलना में, स्पॉट ट्रेडिंग में कम जोखिम होता है। स्पॉट ट्रेडिंग में, ट्रेडर केवल अपने द्वारा निवेश की गई राशि खो सकते हैं। लिवरेज और उधार की अनुपस्थिति संभावित नुकसान को सीमित करती है, जिससे यह जोखिम से बचने वाले ट्रेडरों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन जाता है।
- एक्सपायरी की कोई तिथि नहीं: ऑप्शंस या फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के विपरीत, स्पॉट ट्रेडिंग में एसेट के लिए कोई एक्सपायरी तिथि नहीं होती है। ट्रेडर अपने निवेश को जब तक चाहें तब तक रोक कर रख सकते हैं और किसी भी समय की बाध्यता से बंधे नहीं होते हैं।
- पारदर्शिता: स्पॉट ट्रेडिंग वास्तविक समय की सप्लाई और डिमांड की गतिशीलता पर आधारित है, जो स्पॉट बाज़ार में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों को अत्यधिक पारदर्शी बनाती है। ट्रेडर आसानी से बाज़ार की कीमतों और लिक्विडिटी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे ज़्यादा प्रभावी ढंग से ट्रेड कर सकते हैं।
- कम ट्रेडिंग लागत: ट्रेडिंग के अन्य तरीकों की तुलना में, स्पॉट ट्रेडिंग में आमतौर पर कम ट्रेडिंग लागत लगती है। ट्रेडर मार्जिन या फ्यूचर्स ट्रेडिंग से जुड़े अतिरिक्त शुल्क या ब्याज शुल्क के अधीन नहीं होते हैं। लिवरेज की अनुपस्थिति भी उधार लेने वाले फंड्स से जुड़ी लागत को समाप्त कर देती है।
स्पॉट ट्रेडिंग के नुकसान
हालाँकि स्पॉट ट्रेडिंग एक लाभदायक उद्यम हो सकता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं:
- सीमित लाभ क्षमता: स्पॉट ट्रेडिंग की एक सीमा यह है कि मुनाफा खरीद और बिक्री मूल्य के बीच के अंतर तक सीमित है। मार्जिन या फ्यूचर्स के विपरीत, स्पॉट ट्रेडिंग लिवरेज के माध्यम से बढ़े हुए लाभ का अवसर प्रदान नहीं करती है।
- सुरक्षा जोखिम: डिजिटल वॉलेट में संग्रहीत क्रिप्टोकरेंसी हैकिंग और सुरक्षा उल्लंघनों के प्रति संवेदनशील होती हैं। स्पॉट ट्रेडिंग में संलग्न ट्रेडरों को अपने डिजिटल एसेट को सुरक्षित करने और संभावित साइबर खतरों से खुद को बचाने के लिए अतिरिक्त उपाय करने की ज़रूरत होती है।
क्रिप्टो स्पॉट मार्केट के प्रकार
क्रिप्टो स्पॉट मार्केट को दो प्राथमिक प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
क्रिप्टो एक्सचेंज
क्रिप्टो एक्सचेंजें ऑनलाइन मार्केटप्लेस हैं जो क्रिप्टोकरेंसी के खरीदारों और विक्रेताओं को एक साथ लाती हैं। एक ऐसा क्रिप्टो ब्रोकर प्लेटफ़ॉर्म जो ट्रेडरों को मार्किट प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीदने और बेचने की अनुमति देता है।
क्रिप्टो एक्सचेंजें आम तौर पर क्रिप्टोकरेंसी की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करती हैं और स्पॉट ट्रेडिंग की सुविधा के लिए ऑर्डर बुक, प्राइस चार्ट और ट्रेडिंग टूल जैसी सुविधाएँ प्रदान करती हैं।
क्रिप्टो एक्सचेंजें दो प्रकार की होती हैं:
केंद्रीकृत एक्सचेंजें: ये पारंपरिक एक्सचेंजें हैं जो खरीदारों और विक्रेताओं के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं। वे डिजिटल एसेटों की देखरेख करती हैं और अपने प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करती हैं।
सबसे लोकप्रिय स्पॉट ट्रेडिंग एक्सचेंजों (ट्रेडिंग मात्रा के अनुसार) में Binance, Coinbase, ByBit, और OKX शामिल हैं। वर्तमान में क्रिप्टो के लिए सबसे लोकप्रिय स्पॉट ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म Binance है।
विकेंद्रीकृत एक्सचेंजें (DEX): DEX एक केंद्रीय प्राधिकरण के बिना काम करती हैं, जिससे ट्रेडरों को सीधे एक दूसरे के साथ क्रिप्टोकरेंसी का आदान-प्रदान करने की अनुमति मिलती है। ये एक्सचेंजें बिचौलियों की ज़रूरतों को समाप्त करते हुए, ट्रेडिंग प्रोसेस को स्वचालित करने के लिएस्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करती हैं।
लोकप्रिय विकेन्द्रीकृत एक्सचेंजों में Uniswap, dYdx, Jupiter और Orca शामिल हैं।
ओवर-द-काउंटर (OTC) ट्रेडिंग
ओवर-द-काउंटर ट्रेडिंग का तात्पर्य किसी एक्सचेंज की भागीदारी के बिना दो पक्षों के बीच क्रिप्टोकरेंसी के सीधे लेनदेन से है। OTC ट्रेडिंग का उपयोग अक्सर बड़ी मात्रा के ट्रेडों के लिए किया जाता है और यह मूल्य के मोल तोल और लेनदेन के साइज़ के मामले में ज़्यादा फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करती है।
OTC ट्रेडिंग संस्थागत निवेशकों या उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है, जिन्हें बाज़ार में बड़ी अस्थिरता पैदा किए बिना बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी की ज़रूरत होती है।
पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रेडिंग
पीयर-टू-पीयर ट्रेडिंग रणनीति, जिसे व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) के रूप में भी जाना जाता है, व्यक्तियों को एक-दूसरे के साथ सीधे क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेड करने की अनुमति देती है। OTC और केंद्रीकृत एक्सचेंजों के विपरीत, P2P प्लेटफ़ॉर्म को किसी मध्यस्थ या तीसरे पक्ष की ज़रूरत नहीं होती है।
P2P ट्रेडिंग ट्रेडरों को अपने लेनदेन पर ज़्यादा नियंत्रण प्रदान करती है, जिससे उन्हें अपने पसंदीदा विक्रेता, खरीदार, निपटान समय, मूल्य निर्धारण और भुगतान के तरीके चुनने की अनुमति मिलती है। लेकिन, P2P ट्रेडिंग में जोखिम ज़्यादा होता है क्योंकि इसमें एस्क्रो सेवाओं जैसे मध्यस्थों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा और संरक्षण का अभाव होता है।
P2P ट्रेडिंग के संभावित जोखिमों में घोटाले, धोखाधड़ी, कम लिक्विडिटी और धीमा निपटान समय शामिल हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग में शामिल होने पर सावधानीपूर्वक शोध करना और एक प्रतिष्ठित P2P प्लेटफ़ॉर्म चुनना बहुत ज़रूरी होता है।
स्पॉट ट्रेडिंग के जोखिम
किसी भी प्रकार के निवेश या ट्रेडिंग की तरह, स्पॉट ट्रेडिंग में भी कुछ जोखिम होते हैं, जिनके बारे में ट्रेडरों को पता होना चाहिए:
विनियमन का अभाव
स्पॉट ट्रेडिंग सहित क्रिप्टो बाज़ार अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है और पारंपरिक वित्तीय बाज़ारों की तुलना में अपेक्षाकृत अनियमित है। इस समय क्रिप्टोकरेंसी की खरीद, बिक्री या होल्डिंग को नियंत्रित करने वाले कोई भी व्यापक कानून या नियम मौजूद नहीं हैं।
हालाँकि यह ट्रेडरों के लिए स्वतंत्रता की भावना प्रदान कर सकते हैं, लेकिन यह उन्हें संभावित धोखाधड़ी की गतिविधियों, बाज़ार में हेरफेर और अपर्याप्त निवेशक सुरक्षा के प्रति भी एक्सपोज़ करते हैं।
लिक्विडिटी जोखिम
कभी-कभी, कुछ क्रिप्टो एसेटों में स्पॉट बाज़ार में कम लिक्विडिटी हो सकती है। एक ट्रेडर को अपने द्वारा ट्रेड की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी की लिक्विडिटी के बारे में जागरूक होना चाहिए और अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों पर उनके संभावित प्रभाव पर विचार करना चाहिए। कम लिक्विडिटी से प्रतिकूल निष्पादन कीमतें और संभावित रूप से बड़े बिड-आस्क स्प्रेड हो सकते हैं।
निष्कर्ष
स्पॉट ट्रेडिंग मौजूदा मार्किट प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी से डील करने का एक लोकप्रिय और सीधा तरीका है। यह डिजिटल एसेटों तक पहुँच, पारदर्शिता और नियंत्रण प्रदान करता है। हालाँकि स्पॉट ट्रेडिंग में कुछ जोखिम भी होते हैं, जैसे कि बाज़ार में अस्थिरता और लिक्विडिटी की चुनौतियाँ, फिर भी यह सरलता और कम ट्रेडिंग लागत सहित कई फायदे भी प्रदान करती है।
याद रखें, किसी भी प्रकार के ट्रेड या निवेश में शामिल होने से पहले, अपना खुद का शोध करना, इसमें शामिल जोखिमों को समझना और यदि ज़रूरी हो तो वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
क्या क्रिप्टो स्पॉट ट्रेडिंग फायदेमंद है?
जी हाँ, स्पॉट ट्रेडिंग फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसकी गारंटी नहीं है। स्पॉट ट्रेडिंग का संभावित मुनाफा बाज़ार की स्थितियों, ट्रेडों के समय और क्रिप्टो बाज़ार में व्यक्तिगत ट्रेडर के ज्ञान और अनुभव जैसे विभिन्न कारकों पर अत्यधिक निर्भर करता है।
क्या क्रिप्टो स्पॉट ट्रेडिंग जोखिम भरी है?
क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिर कीमतों को देखते हुए स्पॉट ट्रेडिंग जोखिम भरी हो सकती है, खासकर तब जब टोकन का मूल्य कम समय के अंदर तेज़ी से उतार-चढ़ाव कर रहा हो, जिसके फलस्वरूप ट्रेडरों को संभावित नुकसान हो सकते हैं। हालाँकि, ट्रेडर उचित जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के साथ अपने जोखिम को कम कर सकते हैं और बाज़ार के रुझानों के साथ अपडेट रह सकते हैं।
स्पॉट ट्रेडिंग, ट्रेडिंग के अन्य रूपों जैसे कि मार्जिन ट्रेडिंग या क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग की तुलना में अधिक सुरक्षित है, जिसमें लिवरेज और जोखिम के उच्च स्तर शामिल होते हैं।
क्या आप स्पॉट ट्रेडिंग में पैसा गंवा सकते हैं?
जी हाँ, स्पॉट ट्रेडिंग में पैसा खोने की संभावना होती है। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें अत्यधिक अस्थिर हो सकती हैं, जिसका अर्थ है कि ट्रेडर संभावित रूप से किसी ट्रेड में निवेश किए गए सभी पैसे खो सकते हैं।
मुझे स्पॉट ट्रेडिंग करनी चाहिए या फ्यूचर्स ट्रेडिंग?
स्पॉट या फ्यूचर्स में ट्रेडिंग करने का विकल्प अंततः ट्रेडरों के उद्देश्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और समय सीमा से निर्धारित होता है। फ्यूचर्स बाज़ार लंबी अवधि के ट्रेडरों या उन लोगों के लिए बेहतर अनुकूल है जो संभावित नुकसान के खिलाफ़ अपनी पोज़िशन को सुरक्षित रखना चाहते हैं।
उत्तर या सलाह की तलाश है?
व्यक्तिगत सहायता के लिए फॉर्म में अपने प्रश्न साझा करें