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Alexander Shishkanov

अलेक्जेंडर शिशकानोव के पास क्रिप्टो और फिनटेक उद्योग में कई वर्षों का अनुभव है और ब्लॉकचेन तकनीक की खोज करने का शौक है। अलेक्जेंडर क्रिप्टोकरेंसी, फिनटेक समाधान, ट्रेडिंग रणनीतियों, ब्लॉकचेन विकास और बहुत कुछ जैसे विषयों पर लिखते हैं। उनका मिशन व्यक्तियों को इस बारे में शिक्षित करना है कि इस नई तकनीक का उपयोग सुरक्षित, कुशल और पारदर्शी वित्तीय प्रणाली बनाने के लिए कैसे किया जा सकता है।

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Tamta Suladze

तमता जॉर्जिया में स्थित एक कंटेंट राइटर है, जिसके पास समाचार आउटलेट, ब्लॉकचेन कंपनियों और क्रिप्टो व्यवसायों के लिए वैश्विक वित्तीय और क्रिप्टो बाजारों को कवर करने का पांच साल का अनुभव है। उच्च शिक्षा की पृष्ठभूमि और क्रिप्टो निवेश में व्यक्तिगत रुचि के साथ, वह नए क्रिप्टो निवेशकों के लिए जटिल अवधारणाओं को आसानी से समझने वाली जानकारी में तोड़ने में माहिर हैं। तमता का लेखन पेशेवर और प्रासंगिक दोनों है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उसके पाठकों को मूल्यवान अंतर्दृष्टि और ज्ञान प्राप्त हो।

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ICT ट्रेडिंग में बाय साइड लिक्विडिटी और सेल साइड लिक्विडिटी – यह कैसे काम करता है?

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इनर सर्कल ट्रेडर (ICT) की कार्य-प्रणाली बाज़ारों पर एक खास दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो विदेशी एक्सचेंज, क्रिप्टो और अन्य बाज़ारों में प्राइस एक्शन के लिए अपने अपरंपरागत तरीके के साथ कई ट्रेडरों को आकर्षित करती है। इस विचार के प्रमुख कंपोनेंट्स में से एक हैबाय और सेल साइड लिक्विडिटीकी अवधारणा।

यह लेख इन अवधारणाओं पर गहराई से चर्चा करेगा और पता लगाएगा कि इन्हें ट्रेडिंग में कैसे लागू किया जा सकता है।

मुख्य बातें

  1. बाय और सेल साइड लिक्विडिटी क्षेत्र उन ज़ोन्स का प्रतिनिधित्व करते हैं जहाँ सप्लाई और डिमांड में असंतुलन के कारण कीमतों के बढ़ने की संभावना होती है।
  2. ये दो अवधारणाएँ ICT की रणनीति का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य लगातार मुनाफे के लिए संस्थागत निवेशकों के व्यवहार को मॉडल बनाना है।
  3. ICT का तरीका बाज़ार संरचना का विश्लेषण करने, संस्थागत फूटप्रिंट्स पर नज़र रखने और उच्च-मात्रा वाली अवधि के दौरान ट्रेडों के समय निर्धारण पर आधारित है।

लिक्विडिटी, एक प्रमुख कारक के रूप में

लिक्विडिटी ट्रेडिंग में एक महत्वपूर्ण अवधारणाहै, और आपकी ट्रेडिंग रणनीतियों में ICT के सिद्धांतों को लागू करते समय यह और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। सरल शब्दों में अगर कहें तो लिक्विडिटी का मतलब उस आसानी से है जिसके साथ किसी एसेट को उसके बाज़ार की कीमत को प्रभावित किए बिना खरीदा या बेचा जा सकता है।

ICT ट्रेडर्स प्रमुख लेवेलों को खोजने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जहाँ बाज़ार सहभागियों को फ्यूचर्स बाज़ार में अपने स्टॉप ऑर्डर लगाने की संभावना होती है। इन ज़ोनों को “लिक्विडिटी एरिया” के रूप में जाना जाता है।

दो प्रकार के लिक्विडिटी एरिया हैं जिन्हें आपको समझने की ज़रूरत है:

  • बाय साइड लिक्विडिटी उस लेवल को रेफ़र करती है जिस पर एसेट बेचने वाले ट्रेडर अपना स्टॉप-लॉसलगाते हैं। ये लेवल आम तौर पर प्रमुख रेज़िस्टेंस यानि प्रतिरोध लेवलों से ऊपर पाए जाते हैं।
  • दूसरी ओर, सेल साइड लिक्विडिटी उस लेवल को रेफ़र करती है जिस पर एसेट खरीदने वाले ट्रेडर अपना स्टॉप-लॉस लगाते हैं। ये लेवल आम तौर पर प्रमुख सपोर्ट यानि समर्थन लेवलों से नीचे पाए जाते हैं।
buy side and sell side liquidity simplified

बाय साइड और सेल साइड लिक्विडिटी के पीछे की रणनीति

यह घटना लिक्विडिटी पुनःसंतुलन के कारण होती है। जब कीमतें इन बाय साइड और सेल साइड लिक्विडिटी लेवलों तक पहुँचती हैं, तो बड़ी संख्या में ऑर्डर निष्पादित होते हैं, जिससे बाज़ार की सप्लाई और डिमांड में असंतुलन पैदा होता है। इसके फलस्वरूप ब्रेकआउट की दिशा के आधार पर कीमत में अचानक उछाल या गिरावट आती है।

जब बाज़ार एक प्रमुख प्रतिरोध स्तर पर पहुँच जाता है, तो कई ट्रेडर कीमत के पलटने की उम्मीद में शॉर्ट पोज़िशन खोलते हैं। ऐसा करने में, वे संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए अपने स्टॉप को प्रतिरोध स्तर से ऊपर रखते हैं। हालाँकि, यदि कीमत प्रतिरोध स्तर को तोड़ कर आगे निकलती है, तो इसके ऊपर रखे गए सभी स्टॉप ट्रिगर हो जाएँगे।

Buy Side Liquidity Explained

इसके कारण ज़्यादा ऑर्डर निष्पादित होने का डोमिनो इफ़ेक्ट बनता है, जिससे खरीदारी का दबाव बहुत ज़्यादा बन जाता है। लेवल से ऊपर नए खरीद ऑर्डरों की आमद कीमत को बहुत तेज़ी से और भी ज़्यादा बढ़ा सकती है, जिससे उन ट्रेडरों के लिए संभावित लाभ हो सकता है जिन्होंने इस सेटअप की पहचान की है और इस पर ट्रेड किया है।

इसी तरह, जब बाज़ार एक प्रमुख समर्थन स्तर पर पहुँचता है और इसके नीचे रखे गए सभी स्टॉप-लॉस ऑर्डर को ट्रिगर करता है, तो पुराने स्टॉप को बंद करने और नए बिक्री ऑर्डर खोलने से बने बिक्री दबाव के कारण कीमत में तेज़ गिरावट का अनुभव हो सकता है। यह बिक्री दबाव कीमत को नीचे धकेलना जारी रख सकता है।

ऐसा क्यों होता है?

यह घटना लिक्विडिटी पुनःसंतुलन के कारण होती है। जब कीमतें इन बाय साइड और सेल साइड लिक्विडिटी लेवलों तक पहुँचती हैं, तो बड़ी संख्या में ऑर्डर निष्पादित होते हैं, जिससे बाज़ार की सप्लाई और डिमांड में असंतुलन पैदा होता है। इसके फलस्वरूप ब्रेकआउट की दिशा के आधार पर कीमत में अचानक उछाल या गिरावट आती है।

ट्रेडिंग में लिक्विडिटी लेवल का उपयोग कैसे करें

ट्रेडिंग रिवर्सल होते समय, ट्रेडरों को उन प्राइस एक्शनों पर ध्यान देना चाहिए जो बाय साइड और सेल साइड लिक्विडिटी लेवलों के आसपास संभावित उलटफेर की पुष्टि करते हैं। ये पुष्टिकरण कैंडल, पिन बार, या अन्य प्रमुख बाज़ार पैटर्न के रूप में आ सकते हैं।

संभावित रेवेर्सल पॉइंटों की पुष्टि करने के लिए ट्रेडर्स अन्य तकनीकी इंडीकेटर्स यानि संकेतकों, जैसे किट्रेंड लाइन और मूविंग एवरेज यानि चलती औसत का भी उपयोग कर सकते हैं।

ट्रेडरों को इन क्षेत्रों में वॉल्यूम यानि मात्रा पर भी नज़र रखनी चाहिए। प्रमुख लेवलों के आसपास वॉल्यूम में तेज़ वृद्धि संभावित ब्रेकआउट का संकेत दे सकती है, जिससे कीमत लिक्विडिटी ज़ोनमें और आगे बढ़ सकती है।

फॉरेक्स लिक्विडिटी मुख्य रूप से केंद्रीय बैंकों और निवेश कंपनियों जैसी प्रमुख वित्तीय संस्थाओं द्वारा संचालित की जाती हैं, जो बाज़ार में दैनिक ट्रेडिंग की मात्रा के 90% से अधिक के लिए ज़िम्मेदार होती है।

कुछ ज़रूरी बातें

ICT — यह किस बारे में है?

ICT एक ऐसी तकनीक है जो वित्तीय बाज़ारों की आंतरिक कार्यप्रणाली का विश्लेषण करती है, विशेष रूप से फॉरेक्स और क्रिप्टो ट्रेडिंग में। यह दृष्टिकोण 25 वर्षों से अधिक अनुभव वाले उद्योग के अनुभवी माइकल जे. हडलस्टनद्वारा बनाया गया था।

ICT's YouTube official channel

बेस्ट ट्रेड एंट्रियों को निर्धारित करने के लिए ICT बाज़ार संरचना विश्लेषण, लिक्विडिटी एरिया, ट्रेडिंग वॉल्यूम और अन्य वेरिएबल्स यानि चरों पर आधारित है। ICT ट्रेडरों का अंतिम लक्ष्य लगातार और लाभदायक परिणाम प्राप्त करने के लिए संस्थागत निवेशकों, जिन्हें “स्मार्ट मनी” प्लेयर्स के रूप में भी जाना जाता है, के व्यवहार का अनुकरण करना है।

अन्य ट्रेडिंग सिस्टम या सॉफ़्टवेयर के विपरीत, ICT सभी के लिए एक समान फिट होने वाली पद्धति नहीं है। यह तकनीकों, मॉडलों और विचारों का एक संग्रह है जिसे विभिन्न बाज़ार स्थितियों और ट्रेडिंग शैलियों पर लागू किया जा सकता है। इस प्रकार, यह एक बहुमुखी रणनीति है जिसे बाज़ार में किसी भी प्रकार की स्थिति के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है।

ICT ट्रेडिंग के पीछे की तकनीकें और रणनीतियाँ

रिटेल ट्रेडर ICT का उपयोग बाज़ार में असंतुलन का पता लगाने, स्मार्ट मनी के ट्रेडिंग व्यवहार पैटर्न और कीमत में बड़े उतार-चढ़ाव से लाभ की जाँच करने के लिए करते हैं।

ICT का एक प्रमुख पहलू बाज़ारों के अंदर संस्थागत फूटप्रिंट्स की पहचान करना है, जिसमें बाज़ार निर्माताओं और हेज फंड फर्मों जैसे बड़े प्लेयर्स के कार्यों की बारीकी से निगरानी करना शामिल है।

एक और महत्वपूर्ण तत्व है समय। ICT ट्रेडर्स बाज़ार के सेशनों की निगरानी करते हैं और उस विशिष्ट समय की तलाश करते हैं जब ट्रेडिंग वॉल्यूम कीमतों में तेज़ी से बदलाव के लिए पर्याप्त हो। इस समय को “किलज़ोन” के रूप में जाना जाता है और यहाँ ट्रेडर्स अपनी खरीद या बिक्री के ऑर्डर लगाना पसंद करते हैं।

कोर ICT अवधारणाएँ

लिक्विडिटी के अलावा कई मुख्य अवधारणाएँ ICT ट्रेडिंग रणनीति की नींव का निर्माण करती हैं:

core concepts of ICT trading
  • विस्थापन (Displacement): यह तीव्र खरीद या बिक्री के दबाव को संदर्भित करता है जिसके कारण कीमतों में बदलाव होता है। यह घटना कीमत में एक गैप पैदा कर सकती है और ट्रेंड में बदलाव ला सकती है और इसे अक्सर लिक्विडिटी एरिया में ब्रेकथ्रू के बाद देखा जाता है।
  • अभिप्रेरण (Inducement): यह अल्पकालिक उच्च या निम्न को लक्षित करने को संदर्भित करता है जहाँ लिक्विडिटी मौजूद होती है, और जहाँ स्टॉप को बाहर निकालने और दीर्घकालिक ट्रेंड की दिशा में जारी रहने का इरादा हो। इसे बुल और बीयर फ्लैग जैसे चार्ट पैटर्नों में देखा जा सकता है।
  • इष्टतम ट्रेड प्रवेश बिंदु (Optimal Trade Entry Points): किसी ट्रेड में प्रवेश करने के लिए ये आदर्श पॉइंट हैं। ट्रेडरों ने उन्हें फाइबोनैचि रिट्रेसमेंट संकेतक (Fibonacci retracement indicator) का उपयोग करके पाया। वे आम तौर पर 61.8% और 78.6% के लेवल के बीच में रहते हैं।
  • बाज़ार संरचना का बदलाव स्तर (Market Structure Shift Level): यह अवधारणा उन प्रमुख लेवलों की पहचान करती है जहाँ पिछले ट्रेंड पलटे थे, जो बाज़ार की दिशा में संभावित बदलाव का संकेत देते हैं। इसका उपयोग एक रेफ़रेन्स पॉइंट यानि संदर्भ बिंदु के रूप में किया जाता है और इसे तब देखा जा सकता है जब कीमत अपवर्ड ट्रेंड में लोअर लो यानि निचले से नीचे हो जाती है या फिर इसके विपरीत।
  • उचित मूल्य अंतर (Fair Value Gaps): ये बाज़ार में होने वाले असंतुलन हैं जिसके फलस्वरूप मूल्य अंतर यानि प्राइस गैप बनता है। ICT पेशेवर इन गैप्स पर नज़र रखते हैं क्योंकि वे कीमतों में बदलाव लाने के लिए चुंबक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • संतुलित मूल्य सीमा (Balanced Price Range): यह तब होता है जब ऊपर या नीचे एक तेज़ गति होती है, जिसके बाद विपरीत दिशा में एक समान गति पैदा होती है। यह दोहरे उचित मूल्य अंतर की विशेषता है और बाज़ार संरचना में बदलाव का संकेत दे सकती है।

निष्कर्ष

ICT और अन्य पद्धतियों में, लिक्विडिटी का अत्यधिक महत्व होता है। बाज़ार में बदलाव की भविष्यवाणी के लिए सेल साइड लिक्विडिटी और बाय साइड लिक्विडिटी लेवलों की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।

ICT एक दृष्टिकोण है जो बाज़ारों की जटिल गतिशीलता को समझने के साथ-साथ समझदार संस्थागत निवेशकोंके व्यवहार को दोहराने का प्रयास करता है। ICT ट्रेडिंग अवधारणाओं का एकीकरण और अनुप्रयोग एक ट्रेडर की परफॉरमेंस को पर्याप्त बढ़ावा दे सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

क्या ICT से ट्रेड करना लाभदायक है?

ICT उन लोगों के लिए लाभदायक हो सकता है जो बाज़ार को समझते हैं और इसमें शामिल तरीकों का समझदारी से उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि, किसी भी रणनीति की तरह, इसमें भी हमेशा की तरह के जोखिम शामिल हैं और इससे मुनाफे की गारंटी नहीं दी जा सकती।

क्या ICT शुरुआती लोगों के लिए अच्छा है?

हालाँकि शुरुआती लोग ICT की रणनीतियों को अपना सकते हैं, यह अनुशंसा की जाती है कि उन्हें मौलिक अवधारणाओं की ठोस समझ होनी चाहिए। शुरुआती लोगों के लिए सरल ट्रेडिंग तकनीकों के साथ शुरुआत करके धीरे-धीरे ज़्यादा उन्नत रणनीतियों का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।

ICT के लिए संभावित बाज़ार क्या हैं?

ICT रणनीतियों का उपयोग आमतौर पर फॉरेक्स, क्रिप्टो और फ्यूचर्स के बाज़ारों में किया जाता है। कुछ ट्रेडर्स इन तकनीकों को अन्य निवेश साधनों, जैसे कि इक्विटी और कमोडिटी पर भी लागू कर सकते हैं।

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