एक फ़िल या किल ऑर्डर क्या होता है, और उसका इस्तेमाल कब किया जाता है?
आधुनिक ट्रेडिंग की दुनिया इतनी तेज़तर्रार है कि मुनाफ़ा कमाने के मौके चंद घंटों या यहाँ तक कि मिनटों में भी बनते-बिगड़ते रहते हैं। मौका चूक जाने से कई फायदेमंद सौदे भी औंधे मुँह गिर सकते हैं।
ज़ाहिर है कि हर ट्रेड को मैन्युअल रूप से कंट्रोल कर उसकी एक्सीक्यूशन की एकदम सही टाइमिंग हासिल करना मुश्किल होता है। जहाँ कुछ ट्रेडर अपने सौदों को सफलतापूर्वक मैन्युअल ढंग से मॉनिटर कर पाते हैं, ज़्यादातर ट्रेडरों को स्लिपेज का सामना कर आखिरकार किसी अनचाही डील से संतुष्ट होना पड़ता है।
किसी फ़िल या किल (FOK) ऑर्डर की बदौलत ट्रेडरों को सौदे के नतीजे पर ज़्यादा नियंत्रण हासिल हो जाता है।
इस लेख में आप FOK ऑर्डरों और फ़टाफ़ट किए जाने वाले सौदों को एक्सीक्यूट करने में उनकी अहमियत के बारे में जानेंगे।
प्रमुख बिंदु
- फ़िल या किल ऑर्डर किसी सौदे को या तो पूरी तरह एक्सीक्यूट करने या फिर उसे पूरी तरह रद्द कर देने वाले स्वचालित ट्रेडिंग प्रोटोकॉल होते हैं।
- FOK पूर्व-शर्तों में ट्रेडर अपने वांछित एसेट की कीमत और वॉल्यूम निर्दिष्ट कर सकते हैं।
- FOK कम लाभकारिता मार्जिन वाले हाई वॉल्यूम बाजारों के अनुकूल होते हैं।
- IOC जैसे जाने-माने तेज़तर्रार ऑर्डरों की तुलना में FOK की एक्सीक्यूशन की संभावना थोड़ी कम होती है।
तेज़तर्रार ट्रेड ऑर्डरों को समझना
सौदे एक्सीक्यूट करने की जटिल प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग के इस ज़माने में कई बेशकीमती टूल्स और मैकेनिज़्म ईजाद किए गए हैं। एनालिटिक्स और लाइव डेटा फ़ीड्स से लेकर सामाजिक ट्रेडिंग प्रथाओं तक, ट्रेडिंग जगत में और भी सुधार लाने के कई रास्ते हैं। डिजिटल ट्रेडिंग समाधानों के सबसे बेहतरीन सुधारों में स्वचालित ऑर्डर एक्सीक्यूशन भी शामिल है।
इन प्रोटोकॉलों के चलते ट्रेडर अपने सौदों के लिए पूरनिर्धारित शर्तें सेट कर पाते हैं। सभी निर्दिष्ट शर्तों के पूरा होने पर ट्रेड ऑर्डर फ़ौरन एक्सीक्यूट हो जाता है। लेकिन अगर वे शर्तें पूरी न हों, तो ऑर्डर अपने आप ही रद्द हो जाता है।
ऐसे सिस्टम की बदौलत ट्रेडर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि या तो उनको अपनी मनचाही डील मिल जाएगी या फिर स्लिपेज या बाज़ार की बदलती परिस्थितियों के चलते होने वाले नुकसान से वे बच जाएँगे। निवेशकों को सौदों को अब मैन्युअली रद्द नहीं करना पड़ता। पहले के ज़माने में इसके चलते लोगों से गलतियाँ होने और प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होने की संभावना होती थी।
फ़टाफ़ट एक्सीक्यूट किए जाने वाले ऑर्डर कई प्रकार के होते हैं, जैसे फ़िल या किल, इमीडियेट या कैंसल, ऑल या नन, और गुड टिल कैंसल्ड ऑर्डर। हर स्वचालित ऑर्डर का अपना एक मकसद होता है व वह अलग-अलग परिस्थितियों में ट्रेडरों के काम आता है।
इन सभी प्रोटोकॉलों की एक आम खूबी होती है – निवेशकों को एक विश्वसनीय ट्रेडिंग रणनीति तैयार करने की सहूलियत प्रदान कर ये प्रोटोकॉल एसेट्स की कीमतों में बार-बार आने वाले बदलावों के रहमोकरम पर रहने से बच जाते हैं।
किसी फ़िल या किल (FOK) ऑर्डर को परिभाषित करना
FOK ऑर्डर स्वचालित ट्रेडिंग ऑर्डरों के परिवार से ताल्लुक रखते है। FOK ऑर्डरों को या तो पूरे ऑर्डर की पूर्ति करने या फिर सौदे को रद्द कर देने के इरादे से ही डिज़ाइन किया जाता है। इस प्रकार, ट्रेडर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके द्वारा बनाए ऑर्डर को या तो फ़ौरन फ़िल कर दिए गए हैं या फिर पूरी तरह से रद्द।
FOK ऑर्डर को सक्रिय ट्रेडरों को ऑनलाइन ट्रेडिंग सिस्टम में खरीदारी या बिक्री का ऑर्डर डालकर अलग-अलग अवधियो और कीमतों पर रिटर्न प्राप्त करने से बचने के लिए ईजाद किया गया था।
उपर्युक्त बातों को मद्देनज़र रखते हुए कई सौदे सिर्फ़ कुछ खास कीमतों और छोटी-छोटी अवधियों के लिए ही फ़ायदेमंद होते हैं, इसलिए किसी भी पूर्व-शर्त के पूरे न होने की सूरत में FOK समूचे समझौते को ही रद्द कर देता है। FOK ऑर्डर प्रोटोकॉल में ट्रेडरों को सिर्फ़ अपनी वांछित मात्र और कीमत ही निर्दिष्ट करनी होती है।
उसके बाद बाज़ार का सर्वे कर किसी अनुकूल सौदे की तलाश करने या फिर कोई नुकसान खाए बगैर समूची पोज़ीशन को ही बंद कर देने के लिए वे बस स्वचालित मैचिंग ऑर्डरों का इंतज़ार कर सकते हैं।
FOK ऑर्डर के फ़ायदे
कड़े लाभकारिता मार्जिन और उच्च लिक्विडिटी मेट्रिक्स वाले हाई वॉल्यूम ट्रेडिंग बाज़ारों के लिए FOK ऑर्डर शानदार होते हैं। ऐसे बाज़ारों में बड़े-बड़े मुनाफ़ों के लिए ट्रेडर ज़्यादातर एसेट्स को भारी मात्र में खरीदते-बेचते हैं। इसलिए ट्रेडरों को समूचे सौदे को किसी निर्दिष्ट कीमत या फिर सबसे बेहतरीन मार्केट प्राइस पर एक्सीक्यूट करना होता है।
FOK के बिना हाई वॉल्यूम बाजारों में निवेश या ट्रेड करना जोखिमपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कई सौदे स्वीकार्य समय-सीमा के दरमियाँ नहीं भरे जा सकेंगे। नतीजतन ट्रेडरों को वांछित वॉल्यूम का सिर्फ़ एक हिस्सा ही मिलेगा, वह भी अक्सर बाज़ार के प्रतिकूल मूल्यांकन पर।
ज़ाहिर है कि ऐसे सौदों से छोटे-बड़े नुकसान ही होते हैं। लेकिन ऐसे में एक ज़्यादा बड़ी दिक्कत बाज़ारों की अविश्वसनीयता की होती है। ट्रेडर कोई भरोसेमंद रणनीति नहीं बना सकते और अप्रत्याशित हालातों का सामना किए बगैर अपने ब्लूप्रिंट का पालन नहीं कर सकते।
FOK ऑर्डर ऐसे हालातों से ट्रेडरों को बचाकर अपने जल्द ही एक्सीक्यूट होने वाले ट्रेडर ऑर्डर पर उन्हें स्पष्ट अपेक्षाएँ रखने की अनुमति देता है, जिसके चलते या तो सौदे को फ़ौरन एक्सीक्यूट करने या फिर उसे रद्द करने की गारंटी मिलती है।
फ़िल या किल ऑर्डर का उदाहरण
FOK ऑर्डरों के फ़ायदों को बेहतर ढंग से समझने के लिए मान लीजिए निवेशक X के पास Google के 20 लाख शेयर हैं, जिन्हें वह $50 प्रति शेयर के हिसाब से बेचना चाहता है। X ट्रेडिंग सिस्टम में इसका एक FOK ऑर्डर डाल देता है।
बाज़ार में फ़िलहाल Google के 10 लाख शेयर $50 के मूल्यांकन के हिसाब से ऑफ़र किए जा रहे हैं। कीमत के मेल खाने के बावजूद भी सौदा रद्द हो जाएगा क्योंकि वॉल्यूम वांछित राशि के करीब भी नहीं है।
हालांकि यह नुकसान जैसा लग सकता है, कई निवेशक एसेट वॉल्यूम के आधार पर ही अपनी ट्रेडिंग रणनीति बनाते हैं। अगर किसी एसेट की वे पर्याप्त मात्रा में खरीद-फ़रोख्त नहीं कर सकते, तो वह सौदा माथापच्ची करने लायक ही नहीं होता।
मान लीजिए बाज़ार में Google के 20 लाख शेयर हैं, लेकिन उसी दौरान कीमत बढ़कर $50.5 तक चली गई है। उसी प्रकार, FOK ऑर्डर अपने आप ही सौदे को पूरी तरह से रद्द कर देगा।
बाज़ार के हालातों के अनुसार, कीमत में आने वाली $0.5 की मामूली-सी गिरावट निवेशक X के लिए न्यूनतम या फिर यहाँ तक कि नकारात्मक प्रॉफ़िंट मार्जिन भी बना सकती है। FOK ऑर्डर ऐसे हालात से बचाकर संभावित सौदे को समाप्त कर देता है।
FOK ऑर्डर की बदौलत ट्रेडर X को कीमत और मात्रा, दोनों ही कसौटियों पर खरा उतरने वाला मार्केट ऑर्डर मिलेगा। नतीजतन, ट्रेडर X विश्वसनीय ट्रेडिंग रणनीतियाँ बनाकर फ़ौरन एक्सीक्यूट किए जाने वाले सौदों के बारे में पुख्ता अपेक्षाएँ बना सकते हैं।
फ़िल या किल बनाम इमीडियेट या कैंसल ऑर्डर
फ़टाफ़ट किए जाने वाले ऑर्डर एक्सीक्यूशन में IOC बनाम FOK की बहस काफ़ी प्रचलित है। इमीडियेट या कैंसल (IOC) ऑर्डर किसी विशिष्ट सौदे की आंशिक फ़िल मुहैया कराते हैं, जिसके चलते कीमत के मेल खाने पर निवेशक अनुबंध के कम से कम एक अंश को पुनः प्राप्त कर पाते हैं।
समझौते के फ़िल न किए गए बैलेंस को फ़ौरन रद्द कर दिया जाएगा। इसलिए IOC और FOK, दोनों ही ऑर्डरों में तात्कालिक एक्सीक्यूशन की खूबी होती है, लेकिन IOC ऑर्डर के पूरे होने की ज़्यादा संभावना होती है।
सरल शब्दों में कहें तो IOC का लिमिट ऑर्डर सौदे के प्राइस को प्राथमिकता देता है व वॉल्यूम को लेकर बस एक नरम-सा प्रतिबंध ही लगाता है। IOC ऑर्डर उन ट्रेडरों के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित हो सकते हैं, जो एक तय कीमत पर एसेट्स की खरीदारी करना चाहते हैं क्योंकि वॉल्यूम के मैच न होने पर वे सौदा रद्द नहीं करते।
ज़ाहिर है कि IOC ऑर्डर कई स्थितियों में मददगार साबित होते हैं व एक्सीक्यूशन की अपनी बेहतर संभावना के चलते वे FOK से ज़्यादा लोकप्रिय होते हैं।
अपने फ़ोर्स फ़िल के कारण FOK के ऑर्डर ज़्यादा एक्सट्रीम होते हैं व उनके फ़ौरन एक्सीक्यूट होने की संभावना ज़रा कम होती है। लेकिन कुछ बाज़ारों में यह फ़ायदेमंद भी हो सकता है क्योंकि ट्रेडिंग के जगत में सौदे को हमेशा एक्सीक्यूट करना ही इकलौती प्राथमिकता नहीं होती। इसलिए दोनों तरह के ऑर्डरों के अपने-अपने उपयुक्त इस्तेमाल होते हैं व महत्त्वाकांक्षी निवेशकों को दोनों ही को परखकर देख लेना चाहिए। कम वॉल्यूम और प्राइस के प्रति संवेदनशील बाज़ारों का झुकाव IOC ऑर्डरों की तरफ़ होता है, जबकि ऊँची वॉल्यूम वाले बाज़ार के भागीदार अक्सर FOK का सहारा लेते हैं।
अंतिम विचार
ट्रेडिंग के चहल-पहल वाले माहौल में अपने तात्कालिक भविष्य को नियंत्रित करने के लिए FOK ऑर्डर एक शानदार मैकेनिज़्म साबित होते हैं। भले ही FOK का इस्तेमाल IOC ऑर्डरों जितना न होता हो, उनकी विशिष्ट पूर्व-शर्तों की बदौलत ट्रेडरों को अपने सौदों पर ज़्यादा नियंत्रण मिलता है।
नतीजतन FOK स्लिपेज या विलंबित एक्सीक्यूशन के जोखिमों को समाप्त कर देते हैं। ट्रेडिंग की दुनिया में अप्रत्याशित बदलाव आते रहते हैं, इसलिए अनचाही परिस्थितियों से बचने के लिए एक ऑटोमेटेड सुरक्षा-तंत्र होने से कभी कोई नुकसान नहीं होता।
उत्तर या सलाह की तलाश है?
व्यक्तिगत सहायता के लिए फॉर्म में अपने प्रश्न साझा करें